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कृष्ण जन्माष्टमी 2021


Saturday, 20 March 2021
कृष्ण जन्माष्टमी 2021

कृष्ण जन्माष्टमी 2021

कृष्ण की लीला निराली है उन्हें नटखट, गोपाल, मोहन, कान्हा, लड्डू गोपाल, बंसी बजैया, गिरधारी और ना जाने कितने नामों से जाना जाता है। जो भी भगवान श्री कृष्ण के भक्ति करता है। वह उनके ही रंग में रंग जाता है और हमेशा राधे राधे जपता है। श्री कृष्ण के जन्माष्टी को पूरे भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और लोग इनके जन्मदिवस पर व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं साल 2021 में जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी और जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है

 

जन्माष्टमी: 30 अगस्त सोमवार

निशिता पूजा का समय: 23:59 बजे से 24:44 तक 31 अगस्त

अष्टमी तिथि शुरू: 23 30 29 अगस्त

अष्टमी तिथि समाप्त: 02:00 31

 

भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि कई और अन्य देशों में भी मनाया जाता है। इस दिन मथुरा और वृंदावन को दुल्हन  तरह सजाया जाता है। हर कोई भगवान कृष्ण और राधा रानी के रंग में रंगा रहता है। मथुरा और वृंदावन से दूर-दूर से श्रद्धालु आकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। इस दिन मंदिरों में श्री कृष्ण और राधा रानी की झांकियां सभी का मन मोह लेती हैं। जिन लोगों के घर लड्डू गोपाल होते हैं, वह अपने घर को गुब्बारों और फूल मालाओं से सजाते हैं और प्यारे से लड्डू गोपाल यानि भगवान कृष्ण को सुंदर सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं।

 

जन्माष्टमी उत्सव

जन्माष्टमी पर बाल रूप की पूजा की जाती है। लोग बड़े प्यार से भगवान कृष्ण को स्नान आदि कराकर एक बच्चे की तरह उनका जन्मदिन मनाते हैं।

 

इस दिन मंदिरों में बड़ा उत्साह रहता है। रात को 12:00 बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण को जन्मदिन की बड़ी धूमधाम से बधाई दी जाती है।

 

इस दिन लोग रात को जागरण कीर्तन करते हैं और भगवान श्री कृष्ण के रंग में रंगे रहते हैं।

 

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की विधि

श्री कृष्ण के जन्म दिवस पर लोग बड़ी लगन और निष्ठा के साथ व्रत रखते हैं। इस दिन नहा धोकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।

 

घर में लड्डू गोपाल हैं तो उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और सुंदर वस्त्र पहनाएं।

 

 

 

पूरे परिवार के साथ व्रत करने का संकल्प लें।

 

भगवान श्री कृष्ण का रोली और चंदन से तिलक करें और उन्हें फल और मेवा  का भोग लगाएं।

 

फिर भगवान कृष्ण की आरती करें और गाय माता का भी पूजन करके उन्हें आटे की लोई बनाकर खिलाएं।

 

इस व्रत को रात के 12:00 बजे तक रखा जाता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में रात को 12:00 बजे हुआ था।

 

शाम को 12:00 बजे तक भजन कीर्तन करें और यदि आपके घर में लड्डू गोपाल हैं तो उनके लिए सुंदर सा केक बनाएं।

 

इस व्रत को चांद निकलने के बाद खोला जाता है इसलिए रात के 12:00 बजे चांद निकलता है।

 

चांद निकलने के तुरंत बाद चांद को अर्ध्य दें और एक बार फिर से भगवान श्रीकृष्ण कोई स्नान कराएं। उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं और यदि आपने उनके लिए केक बनाया है तो केक काटकर सभी को बांट दें।

 

 

भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस लोगों के जीवन में खुशियां देकर आता है और जो भी इस व्रत को करता है उसका जीवन धन्य हो जाता है

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