शुक्रवार व्रत की विधि, महत्व और कथा
हिन्दू पंचांग में सभी दिनों को महत्वपूर्ण माना गया है। शुक्रवार का दिन भी अन्य दिनों की तरह ही महत्वपूर्ण है। शुक्रवार का दिन वैसे तो लक्ष्मी माता को समर्पित होता है। लेकिन इस दिन संतोषी माता का भी व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही शुक्रवार का व्रत भी रखा जाता है। घर में सुख समृद्धि के लिए शुक्रवार के व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी की अराधना करने तथा पूरे विधि विधान के साथ व्रत रखने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और धन की कभी कमी नहीं होती। धन की देवी माता लक्ष्मी अगर अपने भक्त से प्रसन्न हो जाए तो उसे अपार धन प्रदान करती है।
मां संतोषी के व्रत विधि
शुक्रवार के दिन तीन तरह के व्रत को सामान्यतः किया जाता है। ऐसे में सही विधि की जानकारी होना महत्वपूर्ण है। हम संतोषी माता के व्रत की विधि को बता रहे हैं ताकि व्रत रखने पर इस विधि का प्रयोग करने से व्रत के पूर्ण परिणाम को प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि है-
चरण- 1 सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए तथा उसके पश्चात स्ना कर नए वस्त्र धारण करें।
चरण- 2 स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना महत्वपूर्ण है।
चरण- 3 तांबे के कलश को स्थापित कर गुड़ और चने का प्रसाद किसी बड़े पात्र में रखें तथा उसे सभी को बांटना चाहिए।
चरण- 4 मां संतोषी की विधिवत पूजा करना चाहिए।
चरण- 5 मां संतोषी की कथा सुननी और सुनानी चाहिए तथा आरती भी करना चाहिए।
चरण- 6 इस दिन किसी भी तरह के खटाई का प्रयोग वर्जित माना जाता है।
चरण- 7 पात्र में रखे जल को घर के प्रत्येक हिस्से में छिड़ना चाहिए। बचे हुए जल को तुलसी के पौधे में छिड़क देना चाहिए।
शुक्रवार के व्रत की विधि
शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मां का भी व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान की जाने वाली अन्य विधियां वहीं रहती है लेकिन कुछ चीजों का ध्यान देना जरूरी है। इस व्रत की विधि है-
चरण- 1 लाल पुष्प, सफेद या लाल चंदन का उपयोग पूजा में करना चाहिए।
चरण- 2 खीर या चावल से लक्ष्मी माता को भोग लगाएं तथा प्रसाद बांटे।
चरण- 3 इस व्रत में सिर्फ एक समय का भोजन ग्रहण करें तथा इसमें खीर को जरुर शामिल करें।
शुक्रवार के व्रत का महत्व
वैभव की प्राप्ति के लिए शुक्रवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से परिवार में सुख समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन क व्रत रखने के धन में वृद्धि होती है तथा जीवन मंगलमय होता है। इस व्रत का व्रत लगातार 16 शुक्रवार को रखना चाहिए।
शुक्रवार के व्रत की कथा
प्राचीन समय के एक नगर में एक युवा अपनी बूढ़ी मां के साथ रहता है। बूढ़ी मां ने अपने बेटे की शादी कर दी लेकिन शादी के बाद बूढ़ियां अपनी बहू को काफी परेशान करती तथा उसे खाना भी पेट भर कर नहीं देती। एक दिन युवा ने अपने मां की इस हरकत से परेशान होकर नगर को छोड़कर शहर जाने का निर्णय किया और मां और पत्नी को बताकर चला गया। युवा ने जाते समय अपनी पत्नि से निशानी के तौर पर कोई सामान मांगा लेकिन उसकी पत्नि के पास कुछ भी नहीं था। एक दिन उसने संतोषी माता के व्रत के बारे में सुना और संतोषी माता का व्रत रखने लगी। इस व्रत के प्रभाव से पति का पत्र और पैसे प्राप्त होने लगे। विवाहिता का जीवन समृद्ध होने लगा लेकिन विवाहिता के जलने के कारण पड़ोस में रहने वाली महिला ने अपने बच्चे को खटाई खिलानी शुरु कर दी जिससे मां दुर्गा नाराज हो गई और विवाहिता के पति को राजा पकड़कर ले गए। विवाहिता के स्थिति को देख माता के नाराजगी का अहसास हुआ और फिर विवाहिता ने मांफी मांगी जिसके बाद मां ने उसे मांफ किया और फिर से समृद्धि जीवन में लौटा दिया।
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