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माँ स्कंदमाता - नवरात्र का पाँचवा दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा विधि


Thursday, 07 October 2021
Navratri

Navratri 2021 Day 5 : मां स्कंदमाता नवरात्र के पांचवें दिन

 

ज्योतिषाचार्य और पंडितो की माने तो नवरात्रि के दरमियान पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है।  हमारे शास्त्रों में भी यह भी बताया गया है कि इन माता की पूजा करने से मूर्ख को भी ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है।  रक्त कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता  के नाम से भी जाना जाता है।  स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं।  माता ने अपने दाएं हाथ में ऊपर वाली भुजा में स्कंद को गोद में पकड़ हुए है। नीचे वाले भुजाओं में कमल का पुष्प है। और बाई और की हाथों में वरद मुद्रा है और नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है इनका वर्ण एकदम शुभ्र है।  माता का आसन कमल का फूल है इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।

 

माता स्कंदमाता देवासुर संग्राम मैं देवताओं के सेनापति भी बने थे। हमारे पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कह कर इनकी महिमा कि जाती है।   

 

मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा विधि

 

ज्योतिषाचार्य की माने तो पूजा विधि करने से पहले उनकी फोटो या प्रतिमा को सबसे पहले स्थापित करें।   उसके पश्चात गंगाजल या गोमूत्र से उनकी शुद्धि करें और फिर चौकी पर चांदी तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उसको कलश के पास रखें उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।

 

इसके बाद आप अपने व्रत और पूजन का संकल्प करें और वहां स्थापित सभी देवी देवताओं का पूजा अर्चना करें। 

 

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।  इसके पश्चात पूजा संपन्न होने के बाद वितरण करें।

 

मां स्कंदमाता ध्यान मंत्र | Skandmata Mantra

 

ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।

अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

 

मां स्कंदमाता स्रोत पाठ | Skandmata Shrot Paath

 

स्रोत पाठ

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥

महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥

नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥

तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।

सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥

सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥

स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥

पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

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