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सोमनाथ मंदिर, गुजरात


Friday, 19 March 2021
सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल सोमनाथ मंदिर गुजरात के कठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे पहले सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पूजा जाता है। सोमनाथ मंदिर को इतिहास में 6 बार तोड़ा जा चुका है और सातवीं बार इसका पुनर्निर्माण हुआ। सोमनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि चंद्रमा का दूसरा नाम सोम है। चंद्रमा ने क्षयी शाप से मुक्ति के लिए अपने आराध्य शंकर भगवान की तपस्या की थी तब भगवान शंकर उन्हें दर्शन देकर शाप मुक्त किया। माना जाता है चंद्रमा देव को दर्शन देकर भगवान शिव वहीं पर सोम के रूप स्थापित हो गए थे। देवताओं ने उस स्थान पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। यही कारण है कि इस इस मंदिर का नाम सोमनाथ हुआ।

 

सोमनाथ मंदिर का इतिहास

सबसे पहले  इस मंदिर का अस्तित्व ईसा के पूर्व में आया। दूसरी बार 649 ईस्वी में मंदिर का अस्तित्व के बारे में बताया जाता है। कहा जाता है कि 649 ईस्वी में वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर इतना खूबसूरत और नायाब नमूना था कि मंदिर को देखकर बड़े नवाबों की आंखें खुली की खुली रह गई थी।

 

 

 

सबसे पहले 725  ईस्वी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने मंदिर को तुड़वाया। जिसके बाद प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

 

सन् 1024 में महमूद गजनवी अपने साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर को देखने आया तो वह मंदिर की खूबसूरती को देखते ही दंग रह गया। उसने मंदिर को तोड़ने का फैसला लिया और 5000 साथियों के साथ मंदिर की संपत्ति लूट कर उसे नष्ट कर दिया। उस दौरान मंदिर की रक्षा करने वाले बहुत से श्रद्धालु मारे गए।

 

 

 

मंदिर के प्रति आस्था विश्वास और श्रद्धा ने दोबारा से मंदिर को खड़ा कर दिया और राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने 1093 में सिद्धराज जयसिंह की सहायता से मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

 

मंदिर पर हमलावरों ने हमला करना नहीं छोड़ा और 1297 में एक बार फिर से दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर पर हमला कराया और मंदिर को तुड़वा दिया। हिंदु धर्म के लोगों ने मिलकर फिर से मंदिर का बनवाया लेकिन 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने मंदिर को तोड़कर सारा चढ़ावा लूट लिया।

इसके बाद औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया। पहले 1665 और दूसरी 1706 में मंदिर तोड़ा गया।

 

 

इस तरह से मंदिर पर बहुत बार हमला किया गया। 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने सोमनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर पूजा-अर्चना करने के लिए महादेव जी का मंदिर बनवाया।

 

 

 

1947 में देश के आजाद होने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने समुद्र का जल लेकर नए मंदिर निर्माण का संकल्प लेते हुए 1950 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और 1995 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस मंदिर को राष्ट्र के नाम समर्पित किया।

 

सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर भगवान शंकर को समर्पित मंदिर है। भारत सरकार ने यहां पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर बेहद विशाल है जिसके निर्माण में काफी समय लगा। सोमनाथ मंदिर के तीन प्रमुख भाग है। गर्भग्रह, सभामंडप और नृत्यमंडप। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट है। इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और लाखों की संख्या में यहां भक्तों का ताता लग रहता है। मंदिर के शिखर पर अवस्थित कलश का वजन 10 टन है और ध्वजा 27 फुट ऊंचा है।

 

 

मंदिर का क्षेत्रफल 10 किलोमीटर है। जिसमें लगभग 42 मंदिर है। यहां भगवान शिव, माता पार्वती, माता लक्ष्मी, मां गंगा, सरस्वती और नंदी की मूर्तियां भी स्थापित है। मंदिर में गौरीकुंड नाम का विशाल सरोवर है जो मंदिर की शोभा में चार चांद लगाता है। सरोवर के पास एक शिवलिंग स्थापित है। इस पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। इतना ही नहीं मंदिर के पास ही 3 नदियां हिरण, सरस्वती  और कपिला का अद्भुत संगम है।

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