सोमवार व्रत की विधि, महत्व और कथा
सोमवार को अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सप्ताह की इस दिन शुरुआत होती है। ऐसे में सोमवार का दिन काफी ऊर्जावान और महत्वपूर्ण होता है। सोमवार का महत्व अंग्रेजी कैलेंडर में ही नहीं है बल्कि हिंदू पंचांग के अनुसार यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। महिलाएं खासतौर पर इस दिन का व्रत रखती हैं तथा अपने लिए एक अच्छे वर का आशीर्वाद भगवान शिव से मांगती हैं।
सोमवार व्रत की विधि
सोमवार का व्रत सही विधि से कर अच्छे फलों की प्राप्ति की जा सकती है। यह विधि है-
चरण- 1 सोमवार का व्रत करने वालों को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
चरण- 2 स्नान करने के पश्चात स्वच्छ कपड़ों को धारण करना चाहिए।
चरण- 3 पवित्र गंगाजल का घर में छिड़काव करना महत्वपूर्ण होता है।
चरण- 4 घर में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर पर पुष्प अर्पित करें।
चरण- 5 भगवान शिव और पार्वती की आराधना के बाद ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
चरण- 6 सोमवार के दिन के महत्व पर आधारित कथा को सुनना और सुनाना चाहिए।
चरण- 7 इस दिन आरती करना चाहिए तथा प्रसाद का वितरण भी करना चाहिए।
सोमवार व्रत की का महत्व
सोमवार के दिन विधि विधान साथ भगवान शिव और पार्वती की पूजा करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इस दिन के महत्व को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं। भक्त अपनी इच्छा अनुसार फल प्राप्त करने के लिए इस वर्ष का अनुपालन करते हैं।
सावन का सोमवार
वैसे तो सभी सोमवार महत्वपूर्ण है लेकिन सावन के सोमवार का महत्व व अन्य सोमवार की तुलना में अधिक होता है क्योंकि सावन का पूरा माही भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इसलिए सोमवार का व्रत रखते हैं। सावन के सोमवार बारे में कहा जाता है कि जब देवी पार्वती शिवजी से विवाह करना चाहती थी तो उन्होंने सावन के सभी सोमवार का व्रत रखा था और पूरे महीने उपवास किया था। माता पार्वती की भक्ति भावना को देखकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण की और उनसे विवाह किया। उसके बाद से ही महिलाएं सभी सावन के सोमवार का व्रत अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती है।
सोमवार व्रत की की कथा
सोमवार के व्रत को लेकर पौराणिक कथाएं मौजूद है। इस कथा अनुसार प्राचीन काल में अमरपुर नामक नगर में एक व्यापारी ने करता था। ईश्वर की कृपा से उसके पास सभी सुख सुविधाएं मौजूद थी लेकिन उसके बावजूद वह काफी दुखी था। व्यापारी के पास पुत्र नहीं था। पुत्र की प्राप्ति के लिए व्यापारी ने भगवान शिव पार्वती की प्रत्येक सोमवार को आराधना करनी शुरू कर दी। सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती के आराध्य में व्यापारी इतना मगन हो जाता कि इससे प्रभावित होकर एक दिन माता पार्वती ने शिव से उसकी इच्छा पूर्ण करने का आग्रह किया। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने व्यापारी के सपने में दर्शन दिए और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन यह भी कहा कि यह पुत्र अल्पायु का होगा जिसकी मृत्यु 12 वर्ष पूर्ण होने पर हो जाएगी।
जब बालक 11 वर्ष का हुआ व्यापारी ने उसे शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी भेजने का निर्णय किया तथा मामा को उसके साथ भेजा। व्यापारी का बालक अमर ऐसे में जहां भी विश्राम करता है वहां पर यज्ञ का आयोजन करता और ब्राह्मणों को भोजन कराता था। काशी में जब बालक 12 वर्ष का हुआ तब उसकी तबीयत खराब होने लगी और वह मृत्यु को प्राप्त हुआ। ईश्वर की लीला कुछ और ही थी इसलिए उसी वक्त भगवान शिव और माता पार्वती काशी के समीप से गुजर रहे थे। बालक की मृत्यु पर मामा को रोते देखा तो उन्हें याद आया कि यह बालक वही है जिसे 12 वर्ष की अल्पायु उन्होंने दी थी। माता पार्वती ने फिर से भगवान शिव से आग्रह किया और कहां इसे और जीवन आप प्रदान करें। प्रत्येक सोमवार का व्रत विधि विधान से रखने के कारण भगवान शिव ने उस बालक की आयु को बढ़ा दी।
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