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विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani)


Saturday, 20 March 2021
विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani) विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani) भक्त इन पंक्तियां को स्तुति श्री हिंगलाज माता और श्री विंध्येश्वरी माता की आरती के रूप मे प्रयोग करते हैं: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी । कोई तेरा पार ना पाया ॥ पान सुपारी ध्वजा नारियल । ले तेरी भेंट चडाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ सुवा चोली तेरी अंग विराजे । केसर तिलक लगाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ नंगे पग मां अकबर आया । सोने का छत्र चडाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया । निचे शहर बसाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये । कालियुग राज सवाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ धूप दीप नैवैध्य आर्ती । मोहन भोग लगाया ॥ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी..॥ ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया । मनवंचित फल पाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी । कोई तेरा पार ना पाया ॥

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