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वेंकटेश्वर मंदिर


Friday, 19 March 2021
वेंकटेश्वर मंदिर

वेंकटेश्वर मंदिर

 

 

 

हिंदू धर्म में भगवान की सबसे ज्यादा पूजा अर्चना की जाती है. जिससे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लाखों हैं और हर एक मंदिर की अपनी अलग ही महिमा है। कुछ मंदिर तो ऐसे हैं जो दुनिया भर में विख्यात है. लोग दर्शन के लिए लाखों की संख्या में हर रोज आते हैं. उन्हीं मंदिरों में शामिल हैं तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर। जो एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है. इस मंदिर की महिमा बड़ी निराली है. यह मंदिर शक्तिशाली और चमत्कारी है.  प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नाम के एक तालाब के किनारे आए और उन्होंने यहां पर निवास किया था और यह तालाब तिरुमाला के पास है। आज हम आपको बताएंगे वेंकटेश्वर मंदिर की पूरी जानकारी। मंदिर में कैसे जाएं और किस प्रकार बालाजी का ये मंदिर प्रसिद्ध है। आइए बताते हैं विस्तार से

 

वेंकटेश्वर तिरुपति मंदिर

तिरुपति मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। जो समुद्र से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ी पर बना है. यह मंदिर भारत के सबसे ज्यादा तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र है. भगवान तिरुपति का यह मंदिर विश्व के सर्वाधिक धनी धार्मिक स्थानों में भी शामिल है. श्री वेंकटेश्वर प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी वैंकटचला पर स्थित है. माना जाता है कि वेंकट पहाड़ी का स्वामी होने के कारण इन्हें वेंकटेश्वर कहा जाता है। इन्हें सात पहाड़ों का भगवान भी कहा जाता है. मंदिर में वेंकटेश्वर के रूप में भगवान श्री  विष्णु विराजमान है. मंदिर के गर्भ गृह से लेकर के द्वार तक मंदिर बेहद खूबसूरत है.

 

मंदिर का इतिहास

तिरुपति बालाजी के मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन माना जाता है. मंदिर का इतिहास 7वीं  शताब्दी से प्रारंभ हुआ. जब कांचीपुरम के शासक वंश पर लोगों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था. 15 वी शताब्दी के बाद मंदिर के महिमा दूर तक फैल गई। ये भी कहा जाता है कि मंदिर के उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय से भी हुई थी. मंदिर की महिमा का वर्णन सभी ग्रंथों में मिलता है.  1843 से 1933  तक अंग्रेजों के शासन के दारौन हातीरामजी मठ के महंत ने मंदिर की देखरेख की. 1933 में मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथों में लिया और स्वतंत्र प्रबंधन समिति तिरुमला तिरुपति बनाई गई. आंध्र प्रदेश राज्य बनने के बाद इस समिति का पुनर्गठन हुआ और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्र सरकार के रूप में नियुक्त किया गया.

 

मंदिर तक कैसे पहुंचे

मंदिर चेन्नई से 130 किलोमीटर दूर स्थित है. जहां कई तरह से पहुंचा जा सकता है.

 

 

वायु मार्ग

 

तिरुपति पर एक छोटा सा हवाई अंडा है. जहां पर मंगलवार और शनिवार को हैदराबाद से फ्लाइट मिल सकती है.

 

 

 

रेल मार्ग

 

तिरुपति बालाजी मंदिर जाने के लिए आप रेल मार्ग भी अपना सकते हैं. यहां रेलवे जंक्शन तिरुपति है. चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद के लिए हर समय ट्रेन उपलब्ध रहती है. साथ ही तिरुपति के पास के कई शहरों में भी ट्रेनें चलती हैं.

 

सड़क मार्ग

बस की सहायता से तिरुपति बालाजी के मंदिर पहुंच सकते हैं. मंदिर परिसर तक पहुंचने के लिए एपीएसआरटीसी के बस उपलब्ध है. मंदिर में सेवा के लिए निशुल्क ही चलाई जाती है और टैक्सी के माध्यम से भी आप मंदिर में पहुंच सकते हैं.

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