प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

उत्पन्ना एकादशी 2021


Wednesday, 17 March 2021
उत्पन्ना एकादशी 2021

उत्पन्ना एकादशी 2021

तिथि- 30 नवम्बर 2021

 

उत्पन्ना अर्थात किसी की उत्पत्ति होना या जन्म होना। इसी दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी भी कहा जाता है। देवी एकादशी भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं। धार्मिक ग्रंथों व सनातन धर्म में मान्यता है कि उन्होंने इस दिन राक्षस मुर का वध किया था इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है।

 

उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त

तिथि- 30 नवम्बर

समय- 01 दिसम्बर को प्रातः 07:37:05 से 09:01:32 तक

समयावधि- 1 घंटे 24 मिनट

 

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि

भगवान विष्णु तथा एकादशी माता की अराधना उत्पन्ना एकादशी में किया जाता है। इसकी विधि को उल्लेखित कर रहे हैं जिसका पालन करना करना चाहिए -

चरण- 1  इस एकादशी का व्रत करने वालों को पहले दशमी की रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए।

चरण- 2  एकादशी से पूर्व के दिन में ही अच्छे से दांतों को साफ करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का अन्न का हिस्सा दांतों में दबा न रह जाए।

चरण- 3  एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर संकल्प लें। 

चरण- 4  फूल, धूप, दीप, चावल से विधिवत भगवान नारायण की पूजा करें।

चरण- 5  इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए तथा रात्रि में जागरण करना चाहिए। 

चरण- 6  अगले दिन जरूरतमंद ब्राह्मणों को भोज कराना चाहिए तथा दक्षिणा, कपड़े आदि देकर विदा करने के पश्चात ही स्वयं भोजन करना चाहिए।

 

व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-

रात्रि का भोजन कदाचित नहीं करना चाहिए।

ज्यादा नहीं बोलना चाहिए।

व्रत के दौरान दुष्ट, पापी, झूठे लोगों की संगत से बचना चाहिए।

सूर्यास्त के बाद सोना नहीं चाहिए।  

व्रत के दिन द्वेष, छलकपट, काम और वासना से दूर रहें।

 

 

उत्पन्ना एकदशी का महत्व

 उत्पन्ना एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसकी महत्ता इसलिए भी अधिक हैं क्योंकि जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखना चाहते है वो इसी उत्पन्ना एकादशी से व्रत रखने की शुरुआत करते है। इस एकादशी का महत्व इससे ही समझा जा सकता है कि अगर कोई मनुष्य शंखोद्धार तीर्थ में स्नान कर भगवान के दर्शन प्राप्त करता है तो भी उसको उत्पन्ना एकादशी के समान फल प्राप्त नहीं कर सकता।

 

पौराणिक कथा

उत्पन्ना एकादशी की कथा माधव ने स्वयं कुंती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। मुर नामक एक महा बलशाली राक्षस था जिसने अपने बल और पराक्रम से सतयुग में स्वर्ग को जीत लिया था। उस के बल और पराक्रम के सामने देवराज इंद्र, वायु देव, अग्नि देव भी नहीं टिक सके। सभी देवों को जीवन व्यतीत करने के लिए पृथ्वी लोक पर आना पड़ा। अपनी हार से निराश होकर देवराज इंद्र कैलाश पर्वत पर जटाधारी भगवान शिव के समक्ष अपनी सभी समस्याओं को बताया। इंद्र की सभी बातें सुनने के पश्चात उमापति ने इंद्र को क्षीर सागर में श्री नारायण के पास जाने के लिए कहा। कैलाश से सभी देवों ने क्षीर सागर के लिए प्रस्थान किया। वहां पर सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से मुर का वध करने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया कि वह मुर नामक दैत्य का वध अवश्य करेंगे। उसके बाद सभी देवता मुर का वध करने के लिए की उसकी नगरी में चले गए।

सहस्त्र वर्षों तक भगवान विष्णु व राक्षस मुर के मध्य युद्ध हुआ। युद्ध करते-करते भगवान विष्णु को निद्रा आने लगी। उस समय नारायण विश्राम के लिए एक गुफा में जाकर सो गए। नारायण को सोते देख राक्षस ने उन पर आक्रमण करने की सोची। उसी समय नारायण के शरीर से एक कन्या उत्पन्न हुई। उस कन्या तथा मुर के मध्य युद्ध चलता रहा। मुर बेहोश होकर धरा पर गिर पड़ता है। उसी समय कन्या उसके मस्तिष्क को उसके धड़ से अलग कर देती हैं। यह सब होने के पश्चात श्री हरि की आंखें खुलती है। इस प्रकार उस कन्या ने भगवान विष्णु की रक्षा की। नारायण ने उसको तुम्हारा पूजन करने वाले प्राणी के दुख नष्ट हो जाएंगे और वह मोक्ष को प्राप्त करेगा।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp