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मां वैष्णो देवी मंदिर


Thursday, 18 March 2021
मां वैष्णो देवी मंदिर

मां वैष्णो देवी मंदिर

 

आपने ये भजन जरूर सुना है...माता जिनको याद करें वो लोग निराले होते हैं, माता जिनका नाम पुकारे वो किस्मत वाले होते हैं। ये बात बिल्कुल सच है जो माता के दर्शन के लिए जाते हैं वो किस्मत वाले होते हैं। दरअसल मां वैष्णो देवी की यात्रा और दर्शन करना आसान बात नहीं है। मां वैष्णो  का मंदिर जम्मू-कश्मीर के जिले जम्मू में कटरा नगर में स्थित है, जो 5200 फीट की ऊंचाई पर है। जो भक्ति और श्रृद्धा का परम पवित्र स्थान है। लोग दूर-दूर से माता वैष्णो  की यात्रा पर जाते हैं। माता वैष्णो  की देवी के मंदिर की कथा और माता के दर्शन की महिमा के बारे में बताएंगे।

 

माता वैष्णो  देवी मंदिर कथा

 

हिंदू धर्म माता माता दुर्गा को मां के रूप में पूजा जाता है। लोग माता के लिए व्रत,पूजन, हवन आदि करते हैं। वैसे तो देश भर में माता के मंदिर स्थित है लेकिन माता वैष्णो देवी की महिमा सबसे ज्यादा है। इस मंदिर के बारे में कई कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि माता वैष्णो  के एक परम भक्त थे जिसका नाम श्रीधर था। जो कटरा के पास हंसाली गांव में रहता था। एक बार माता ने श्रीधर को दर्शन देकर भंडारे का आयोजन करने को कहा। जिसके बाद भक्त श्रीधर ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए गांव के सभी लोगों को आमंत्रित किया। उनके गांव के पास में ही भैरव और गोरखनाथ भी रहते थे। श्रीधर ने उनसे विनती की कि वो माता के भंडारे में जरूर आएं। इस तरह श्रीधर ने माता के भंडारे के लिए आमनत्रण तो दे दिया लेकिन वो बेहद गरीब था। जिससे इतने सारे लोगों को भोजन नहीं करा सकता था। कहते हैं कि श्रीधर पर माता वैष्णो  देवी की परम कृपा थी और माता ने श्रीधर की चिंता और मिटाते हुए कन्या का रूप धारण किया और पलभर में ही भंडारे के लिए भोजन तैयार कर दिया। सभी लोग बड़े खुश थे कि आज माता का प्रसाद मिलेगा। उस कन्या ने सभी को भोजन परोसा। जब वो भैरव नाथ के पास आई तो उसने उस दिव्य कन्या का हाथ पकड़ लिया और कन्या तुरंत अंर्तध्यान हो गई। भैरव नाथ माता का पीछे करने लगा और ढूंढता रहा। माता 9 महीने तक त्रिकुटा पर्वत की गुफा में तपस्या करने लगी और बाहर हनुमान जी ने पहरा दिया। माता ने जहां भी कदम रखा वो पवित्र स्थान बन गए। जिस जगह से पीछे मुड़कर माता ने भैरव को देखा वहां माता की चरण पादुका बन गई और जिस जगह हनुमान जी को प्यास ने लगी वहां माता ने पत्थरों में तीर चलाया। बाण लगते ही जल की धारा निकली जिसे बाण गंगा कहते है। माता ने यहीं पर अपने केस धोए इसलिए इसे बालगंगा भी कहा जाता है। ये आज भी कटरा में स्थित है। भैरव माता को ढूंढते-ढूंढते अधकवारी गुफा तक पहुंच गया और उसने माता को ललकारा तब माता ने क्रोध में भैरव के सर को धड़ से अलग कर दिया। जिसके बाद भैरव ने माता से क्षमा मांगी और माता वैष्णो  देवी इतनी दयालु हैं कि ना केवल भैरव को माफ किया बल्कि भैरव को आशीर्वाद दिया कि जब लोग मेरे दर्शन को आएंगे तो मेरे दर्शन के बाद उन्हें तेरे दर्शन करने पर यात्रा पूरी मानी जाएगी।

 

इस तरह माता वैष्णो देवी के बाद लोग भैरव के मंदिर भी दर्शन के लिए जाते हैं।

 

माता वैष्णो मंदिर की महिमा

 

माता वैष्णो देवी का मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। ये कटरा में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर हर मनोकामना पूरी होती है। लोग बड़ी श्रद्धा के साथ दर्शन के लिए 14 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। मंदिर में एक गुफा में माता तीन पिंडियों के रूप में विराजमान है। देवी काली, लक्ष्मी और माता सस्वती की पिंडी के रूप में माता वैष्णो देवी भक्तों को दर्शन देती हैं।

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