वरुथिनी एकादशी 2021
तिथि- 7 मई 2021
बैशाख माह की कृष्ण पक्ष को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वरुथिनी एकादशी सौभाग्य और पुण्य का प्रतीक है। इस व्रत को रखकर मनुष्य सौभाग्य की प्राप्ती करता है। माघ महीने की शुल्क पक्ष को माना जाता है। अपने पापों के प्राश्चित के लिए इस भगवान मधुसूदन की पूजा कर अपने पाप की प्राश्चित करता है तथा इस व्रत की शक्ति से दुखों को दूर करता है। अन्य सर्यग्रहण के समय में जिस फल की प्राप्ती स्वर्ण दान करने से मिलती है उस फल की प्राप्ति इस एकादशी पर सिर्फ व्रत रखने से मिल जाता है।
वरुथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
तिथि- 07 मई
समय- 08 मई को प्रातः 05:35:17 से 08:16:17 तक
समयावधि- 2 घंटे 41 मिनट
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
भगवान मधुसूदन की पूजा कर अपने उद्देश्यों की प्राप्ति इस व्रत को रखकर की जाती है। व्रत को सही विधि से रखने से पूर्ण उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। यहां उल्लेखित विधि का पूर्ण रूप से पालन करना अनिवार्य हो जाता है-
चरण- 1 वरुथिनी एकादशी से पूर्व दशमी पर एक बार ही सात्विक भोजन करें।
चरण- 2 व्रत के दौरान सिर्फ बह्मचार्य का पालन करना करें।
चरण- 3 स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। सच्चे मन में संकल्प का विचार कर भी व्रत रख सकते हैं।
चरण- 4 रात्रि में जागरण तथा अगले दिन व्रत के पारण के लिए ब्राह्मणों तथा जरुरतमंदों को भोजन कराएं।
व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-
व्रत के दिन कांसे के बर्तन का उपयोग वर्जित माना जाता है।
भोजन में तेल का उपयोग बिल्कुल न करें।
शहद, मसूर की दाल, चना का उपयोग न करें।
व्रत के से एक दिन पूर्व तथा व्रत के दौरान एक से अधिक बार भोजन न करें।
झूठ न बोले तथा क्रोध भी न करें।
वरुथिनी एकदशी का महत्व
वरुथिनी एकादशी अन्य एकादशियों की तरह ही महत्वपूर्ण है। इस व्रत में किसी ब्राह्मण को दान देने से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। इतना ही नहीं कन्या दान तथा करोड़ों सालों तक ध्यान लगाने से जो फल प्राप्त होता है वही फल इस व्रत के रखने से भी प्राप्त होता है। दुखों को दूर करने के लिए इस व्रत को मनुष्य रखता है तथा इस व्रत के फल के रुप में मनुष्य को सौभाग्य की प्राप्ति संभव हो पाती है। इस संसार में एक सौभाग्यशाली जीवन जीने के लिए तो यह व्रत महत्वपूर्ण है ही साथी ही परलोक में भी सुखी जीवन भोगने के लिए इस व्रत को रखा जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं में अपने दुख को समाप्त करने के लिए इस व्रत को रखने का जिक्रकिया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इसका महत्व बताते हुए जो कथा सुनाई उसके अनुसार पौराणिक समय में नर्मदा नदी के किनारे तपस्वी और दानवीर राजा मान्धाता का राज्य हुआ करता था। एक बार राजा जंगल में तपस्या कर रहा था तभी एक भालू ने उनपर हमला कर दिया और राजा के पैर को काट लिया। भालू ने राजा को घसिट कर घने जंगलों में ले गया। राजा ने वरुथिनी का व्रत रखा हुआ था इसलिए इतनी समस्याओं के बावजूद क्रोध न किया और भगवान विष्णु से प्रार्थना की। अपने भक्त की प्रार्थना सुनकर भगवान खुद वहां प्रकट हुए और भालू का वधकर राजा को मुक्ति दिलाई। इस हमले से राजा के पैर बहुत ज्यादा घायल हो चुके थे जिससे राजा बहुत दुखी था। विष्णु भगवान ने इस दुख से मुक्ति पाने का उन्हें रास्ता बताते हुए उन्हें मथुरा जाकर अपने वाराह अवतार की पूजा करने को कहा। राजा ने ऐसे ही किया औऱ वह फिर से सुंदर शरीर वाला का राजा बन गया।
ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।