प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

विजया एकादशी 2021


Wednesday, 17 March 2021
विजया एकादशी 2021

विजया एकादशी 2021

तिथि- 09 मार्च 2021

 

साल में कुल 24 एकादशी होती है। सभी एकादशी का अपना विशेष महत्व है। विजया एकादशी भी इन्हीं महत्वपूर्ण एकादशी में से एक है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष को विजया एकादशी कहा जाता है। वैसे तो सभी दिन भगवान की पूजा करना चाहिए लेकिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए विजया एकादशी का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान श्रीराम को भी लाभ प्राप्त हुआ था।

 

विजया एकादशी शुभ मुहूर्त

तिथि- 09 मार्च

समय- 10 मार्च को प्रातः 6:37:14 से 08:59:03 तक

समयावधि- 2 घंटे 21 मिनट

 

विजया एकादशी पूजा विधि

किसी भी एकादशी का व्रत रखने से ज्यादा इसके तरीकों का भी विशेष ध्यान रखना होता है। नीचे लिखी पूजा विधा का प्रयोग कर अपने व्रत को उत्तम स्तर का बनाया जा सकता है। अनिवार्य विधि -

चरण- 1  एकादशी से पूर्व की संध्या पर वेदी बनाना और उसपर सप्त धान्य रखना चाहिए।

चरण- 2  वेदी पर अपनी स्थिति के अनुसार सोने, चांदी, ताम्बे या मिट्टी का कलश स्थापित करना चाहिए।

चरण- 3  सूर्योदय के पश्चात स्नान कर वर्त का संकल्प लेना चाहिए। 

चरण- 2  विष्णु भगवान के कलश को स्नान के पश्चात पंचपल्लव कलश में स्थापित करना चाहिए। 

चरण- 4  श्री हरि की पूजा करना चहिए जिसमें चंदन, फल, फूल, का उपयोग करना चाहिए।

सारे दिन घर में धार्मिक माहौल बनाए रखें। इसके लिए भगवन कथा का पाठ घर में सारे दिन करते रहना चाहिए तथा सब उसे सुनने का भी प्रयास करें। 

चरण- 5  रात्रि में ‘श्री हरि’ का भजन तथा जागरण करना चाहिए।

चरण- 6  अगले दिन ब्राह्मणों तथा जरुरतमंदों को भोजन कराकर या दान दान देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

 

व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-

 ग्यारस की रात्रि को सोने से बचना चाहिए। रात्रि में भागवान की अराधना से विष्णु जी प्रशन्न होते है।

व्रत के दौरान पान खाना वर्जित है। इसके पीछे तर्क यह है कि पान से रोजगुण की प्रवृति में वृद्धि होती है।

व्रत के दौरान दातुन करन से बचना चाहिए।

जीवनसाथी से शारीरिक दूरी रखना चाहिए क्योंकि इससे भक्ति भावना में कमी आती है। छूठ, क्रोध चोरी जैसे नकारात्मक कृत्यों को बिल्कुल नहीं करना चाहिए।  

 

 

विजया एकदशी का महत्व

24 एकादशी में से सबसे प्राचीनतम एकादशी होने की वजह से इसकी महत्वता अधिक मानी जाती है। अपने पितृ तथा पूर्वज को कुयोनि से छुटकारा दिलाने के लिए भी इस व्रत का पालन किया जाता है। माना जाता हैं कि इस व्रत के रखने से पितृ कुयोनि को छोड़कर स्वर्ग लोक में चले जाते है। इस एकादशी का व्रत रखने के कारण पिछले और वर्तमान मनुष्य के सभी पाप से मुक्ति मिल जाती है। बैकुंठ धाम की प्राप्ति के लिए भी मनुष्य को इस व्रत को आचरण में लाना चाहिए।

 

पौराणिक कथा

 

विजयी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है यही कारण हैं कि इसकी कथाएं भगवान राम से जुड़ी है। जब भगवान राम रावण पर विजयी पाने के लिए लंका की ओर अग्रसर हुए और उन्होंने समुद्र तट पर पानी देखकर वह परेशान हो गए। किसी भी तरह का रास्ता न मिलने पर अपने भाई लक्ष्मण के आग्रह पर बकदाल्भ्य मुनि के पास गए। तब मुनि बकदाल्भ्य ने भगवान राम को विजयी एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखने का आग्रह किया। भगवान राम ने भी व्रत को सच्ची श्रद्धा के साथ रखा जिसके बाद उन्होंने न केवल समुंद्र के अथाक पानी को पार किया बल्कि लंका पर चढ़ाई कर विजयी भी प्राप्त की। पौराणिक कथाओं में स्वयं ब्रह्मा जी ने इसके लाभ का जिक्र किया है। पौराणिक इतिहास में भय से मुक्ति तथा शत्रुओं पर विजयी की लिए यह पूरा अनेक बार मनुष्य ने रखा है।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp