

ज्योतिषी कुंडली को ही चलित कुंडली कहा जाता है अर्थात इस कुंडली का निर्माण ज्योतिष बहुत ही सावधानी पूर्वक करता है। यह कुंडली भावास में ग्रहों की स्थिति के आधार पर तैयार किए जाते हैं। चलित कुंडली चार्ट में पहले घर की गणना वास्तविक लग्न डिग्री के सापेक्ष किया जाता है। यह चार्ट में लगने से 15 डिग्री पहले शुरू होता है और लग्न के 15 डिग्री के बाद भाव में भी होता है। तथा इसी आधार पर अन्य ग्रहों की भी गणना की जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर इसे समझे तो अगर आपका लगने 32 डिग्री कन्या पर है तो चलित कुंडली चार्ट का पहला घर 17 डिग्री कन्या होगा। तथा 17 डिग्री तुला राशि पर भी खत्म होगा।
चलित कुंडली के निर्माण में बहुत ही सैद्धांतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इस कुंडली का निर्माण ज्योतिषाचार्य के बिना असंभव है। इसमें थोड़ी सी भी गड़बड़ी सभी ग्रहों की स्थिति में परिवर्तन कर सकती है। चलित कुंडली चार्ट को तैयार करने से पहले लगने को स्पष्ट करना पड़ता है तथा संधि और भाव मध्य के उपरांत ग्रहों की स्थिति के स्पष्टता के साथ ही लग्न कुंडली को भी स्पष्ट किया जाता है। उसके बाद चलित कुंडली का निर्माण किया जाता है। इस निर्माण में यह भी देखा जाता है की राशि भाव मध्य में स्पष्ट हुई है तो भाव में जो राशि स्पष्ट है उसे प्रथम भाव में और द्वितीय भाव में जो स्पष्ट है उसे दितीय भाव में अंकित करते हैं। इस चार्ट को तैयार करते समय राशि को क्रमानुसार अंकित ना कर उसके भावों के को देखकर ही अंकित किया जाता है।
चंद्र कुंडली चार्ट चंद्रमा की स्थिति के आधार पर तय किए जाते हैं। यह कुंडली वैसे तो महत्वपूर्ण है लेकिन कई स्थिति में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। महत्व के आधार पर चंद्र कुंडली चार्ट कुंडली में दूसरा स्थान रखती है। इस कुंडली में पहला घर उसी भाव को माना जाएगा जिस घर में चंद्रमा को भगवान या शासक के रूप में माना गया है। उदाहरण के तौर पर देखें तो अगर कुंडली में छठे घर में चांद रखा गया है तो, पहला घर छठा घर को ही माना जाएगा तथा सातवां घर दूसरे घर के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
इसके निर्माण में सबसे बड़ी सावधानी इस बात को लेकर रहती है कि यह बहुत ही कम समय में अपने स्थान में परिवर्तन करता रहता है। ऐसी स्थिति में पुनः तथा बार-बार इसकी जांच करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
जातक की कुंडली में चंद्रमा का बहुत बड़ा योगदान होता है। चंद्रमा ही एक ऐसा ग्रह है जो पूरे माह अपनी स्थिति में बदलाव करता रहता है इसलिए जातक को राशि में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद इसी चंद्रमा से होती है। इसके बदलाव से सकारात्मक जो संकेत मिलते हैं उससे हम सकारात्मक हो जाते हैं।
धरती से बहुत करीब चंद्रमा को ही माना जाता है। ऐसे में चंद्रमा के उपचार की आवश्यकता सबसे ज्यादा पड़ती है। अगर आप भी चंद्रमा की स्थिति में कर अपने कुंडली में बदलाव करना चाहते हैं तो आज ही ज्योतिष आचार्य से संपर्क करें। इसके बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो तुरंत कॉल करें और ज्योतिषाचार्य से बात करके अपनी समस्या का समाधान पाएं।
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