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कुंडली दोष


Kundaliकुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर भविष्य के बारे में जाना जा सकता है किंतु कई बार आपने ज्योतिष आचार्यों को यह कहते सुना होगा कि आपकी कुंडली में दोष है जिसके चलते आपको परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। यह सुनकर आप सोच विचार करने लगते हैं ऐसा क्या दोष हो सकता है और यह दोष होते क्या है। तो आपको बता दें कि कुंडली में सभी ग्रह अपना स्थान लिए होते हैं लेकिन उनकी दशा और दिशा के चलते कई बार ऐसी युति बन जाती है की ग्रह अच्छे घर या भाव में हो कर भी अच्छे प्रभाव देने में सक्षम नहीं होता। कुंडली दोष के बहुत से कारण होते हैं जिसके चलते जातक को जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं परेशान करती है।

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कुंडली दोष कितने प्रकार के होते हैं

आसान शब्दों में, हम कुंडली दोष को नकारात्मक प्रभाव भी कह सकते हैं। कुंडली में सभी ग्रह अपना स्थान लेते हुए दूसरे ग्रहों पर भी दृष्टि डालते हैं जिसके कारण ग्रहों के प्रभाव में बदलाव देखने को मिलता है इसके साथ ही राशि,ग्रह,नक्षत्र,दिशा और दशा का भी अपना विशेष प्रभाव होता है जिसको देखकर ही किसी भी जातक के भविष्य के बारे में जाना जाता है। किंतु कई बार विशेष परिस्थितियों में कुंडली दोष भी पाया जाता है। कुंडली दोष कि कई प्रकार है जिनमें मुख्य रूप से पित्र दोष, नाड़ी दोष, मांगलिक दोष, लग्न दोष, भूकट दोष, कालसर्प दोष, केमद्रुम योग, गुरु चांडाल और दोष शापित दोष हैं।



क्यों कुंडली दोष उत्पन होते हैं

ग्रहों के कारण, लगने वाले कुंडली दोष व्यक्ति के जन्म के समय में भी उत्पन्न हो सकते हैं या फिर आने वाले समय में ग्रहों की स्थिति में होने वाले बदलाव से भी कुंडली दोष बन जाते हैं। कभी-कभी कुंडली में लगने वाले दोष व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मों के कारण भी उत्पन्न हो जाते हैं जिनको उपायों के जरिए भी कम किया जा सकता है। इसलिए कहा जाता है कि व्यक्ति के कर्म उसका सात जन्म साथ नहीं छोड़ते। किंतु कुंडली दोष किसी भी प्रकार का क्यों ना हो उसके लिए उपाय करना जरूरी होता है अन्यथा व्यक्ति के जीवन में दुख,परेशानियां,आर्थिक तंगी, भावनात्मक रूप से कमजोर और शारीरिक कष्टों से घिरा रहता है। लेकिन इससे पहले यह जानना आवश्यक है कि व्यक्ति की कुंडली में कौन सा दोष स्थापित है।

कुंडली दोष को कैसे देख सकते हैं?

कुंडली में दोष हैं यह जानने के लिए ज्योतीष का ज्ञान होना बेहद आवश्यक हैं। इसके साथ ही,ग्रहो की चाल जातक पर क्या असर दिखा रही हैं,क्या कही दो ग्रहों का दृष्टि संबंध तो नहीं,पापी ग्रहों की दृष्टि शुभ ग्रहों के प्रभाव को कम कर रही हैं।ऐसे बहुत से योग बनते हैं कुंडली में जो समय-समय पर जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं।ग्रहों की महादशा,अन्तर्दशा और दशा और दिशा पर कुंडली दोष निर्भर करता हैं।इन दोषों को असर जन्मों तक रहता हैं और कभी-कभी तो आनेवाली पीढ़ी तक चलता है।



क्या कुंडली दोष दूर हो सकते हैं?

कुंडली में दोष हैं, यह जानकर लोग परेशान हो जाते हैं और उनके मन में बहुत से सवाल उठने लगते हैं कि क्या यह दोष कुंडली और जीवन में सिर्फ परेशानियां ही देता रहेगा और क्या यह सब मुश्किलें समाप्त हो पाएंगी तो हम आपको बता दें कि दोष किसी भी प्रकार का हो उससे निजात मिल सकती हैं। इन दोषों का संबंध व्यक्ति के कर्मो से जुड़ा होता हैं जो ग्रहों की स्थिति को कुंडली में देखकर जाना जा सकता हैं। ऐसे में यदि यह जान लिया जाएँ कि दोष किस ग्रह और पूर्व जन्म के कर्मो का दुष्प्रभाव दे रहा है तो दोषों को दूर करने के उपाय किये जा सकते हैं।


एस्ट्रो ओनली कैसे कुंडली दोष में मदद कर सकता हैं

एस्ट्रो ओनली,ज्योतिष से जुडी किसी भी समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं। हमारे ज्योतिषचार्य जातक की कुंडली का बेहद बारीकी से आंकलन करते हैं और पता करते हैं कि आखिर जातक के जीवन में कौन-से ग्रह और योग बन रहे हैं जो दिक्कते दे रहे हैं। सरल,स्पष्ट शब्दों की सहायता से जातक आसानी से कुंडली में उत्पन हुए दोष के बारे में समझ सकते हैं।साथ ही,दोष के निवारण से जुडी पूरी प्रक्रिया को भी समझ सकते हैं।जिस प्रकार दोष अलग हैं,उसी प्रकार उनके उपाय भी एक दूसरे से भिन्न हैं। किन्तु हमारे ज्योतिषाचार्यों की मदद से आप मन्त्रों,पूजा-विधि और यंत्रों के जरिए किसी भी प्रकार के दोष का निवारण कर सकते हैं।


कुंडली दोष के कारण क्या परेशानियां हो सकती हैं

कुंडली में दोष किसी भी प्रकार का हो व्यक्ति के जीवन में परेशानियां और बाधाएं हमेशा बनी रहती हैं। स्थापित व्यवसाय में अचानक ही नुकसान होने लगता है, किसी भी नए काम की शुरुआत करने में रुकावट आती है, घर परिवार की सुख शांति भंग होने लगती है यहां तक कि अविवाहित लोगों की शादी के लिए अच्छे रिश्ते नहीं मिलते, स्वास्थ्य संबंधी विकारों में बढ़ोतरी होने लगती है, संतान की तरफ से शुभ समाचार प्राप्त नहीं होने लगे आदि संकेत होते हैं कि व्यक्ति की कुंडली में दोष उत्पन्न हो रहा है। जिसका असर व्यक्ति के आर्थिक स्थिति से लेकर भावना रूप तो कमजोर बना देता है।दोषों का दुष्प्रभाव जातक को संतान प्राप्ति होने में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। वैवाहिक जीवन में अचानक ही कलह का बढ़ जाना, दुर्घटनों का घटित होना भी कुंडली दोष होने की संभावना को प्रबल करता है।

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