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शनि की साढ़ेसाती


Kundaliश्री शनिदेव को न्याय के देवता और दंडाधिकारी कहा जाता है। शनि का प्रकोप जिस भी राशि पर पड़ता है वह उसे नष्ट कर देते हैं और शनिदेव जिस पर भी प्रसन्न होते हैं। उसके भंडार भर जाते हैं। आपने शनिदेव के बहुत-से प्रकोप के बारे में सुना होगा। उन्हीं प्रकोप में से एक साढ़ेसाती प्रकोप है। जो सबसे ज्यादा घातक होता है। साढ़ेसाती यानी साढ़े 7 साल तक दोष से घिरे रहना।
आइए जानते हैं मनुष्य की राशि में कब साढ़ेसाती दोष लगता है और इसे दूर करने के क्या उपाय हैं।
माना जाता है कि शनि ग्रह सबसे धीमी गति से घूमने वाला ग्रह है। जो एक से दूसरी राशि तक गोचर करने में ढाई साल का समय लेता है। गोचर करते हुए शनि ग्रह किसी मनुष्य की जन्म राशि है तो वह राशि अगली राशि और बारहवीं स्थान वाली राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव डालती है। 3 राशियों से होकर गुजरने में इसे 7 साल 6 महीने का समय लगता है जिसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं।
शनि की साढ़ेसाती जीवन को परेशानी से भर देता है। जिसकी राशि में साढ़ेसाती दोष लग जाता है। उसे यातनाएं सहनी पड़ती हैं। जीवन में संकट, दुर्घटना, आर्थिक नुकसान, अपमान और बहुत सी समस्याएं सामने झेलनी पड़ती हैं। इस दोष से मनुष्य चाह कर भी बाहर नहीं निकल पाता मगर यदि शनि देव की कृपा पा ली जाएं तो दोष मुक्त हुआ जा सकता है।

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शनि की साढ़ेसाती के लक्षण-

जिस राशि पर शनि की साढ़ेसाती होती है उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
आमदनी कम हो जाती और खर्चा बढ़ने के कारण बजट डगमगा जाता है।
नींद कम आती है और दिन प्रतिदिन चिताएं बढ़ती जाती हैं।
भविष्य की योजनाएं स्वत: ही असफल हो जाती हैं।
पति-पत्नी में लड़ाई झगड़े बढ़ने के कारण दांपत्य जीवन अव्यवस्थित हो जाता है।
मानसिक चिंताएं बढ़ने के कारण स्वास्थ्य खराब रहने लगता है।
युवाओं को घर से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
शनि के प्रकोप के कारण लंबी-लंबी यात्राओं पर जाना पड़ता है।
अपने मित्र सहायता करने के लिए मना कर देते हैं और रिश्तेदार भी साथ छोड़ देते हैं।
संतान की ओर से सुख मिलने की बजाएं दुखों का पहाड़ टूटने लगता है।

साढ़ेसाती दोष के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें-

जब किसी मनुष्य पर साढ़ेसाती दोष लग जाता है तो इन कार्यों से बिल्कुल दूर हो जाना चाहिए।
कभी भी अकेले यात्रा करने ना जाएं और वाहन सावधानी से चलाएं।
बुरे काम और शराब आदि से दूर रहें।
विवादों के समय अपना मत रखने से बचें।
धार्मिक गतिविधियों में भाग लें और भजन कीर्तन में ध्यान लगाएं।

साढ़ेसाती दूर करने के उपाय

इस दोष को दूर करने के लिए शनिदेव को प्रसन्न करना आवश्यक है।
हर शनिवार को शनि की शिला पर तेल चढ़ाएं और सूर्य उगने से पहले और सूर्य उगने के बाद पीपल पर तेल की जोत जलाएं। साथ पीपल पर साबुत उड़द और गुड भी चढ़ाएं।
शनिवार को गरीब और जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं। सरसों का तेल, कपड़े, कंबल, लोहे का सामान आदि चीजों का दान करें।
शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ प्रतिदिन अपने परिवार के साथ करें।
भगवान शिव को खुश करने से शनिदेव भी खुश हो जाते हैं इसलिए भगवान शिव को खुश करने का प्रयास करें।
गाय को भोजन कराएं और चीटियों को शहद और चीनी से जिमाएं।
बड़ों का सम्मान करें और माता पिता की सेवा करें।
41 दिन तक सच्ची श्रद्धा और भक्ति से श्री शनिदेव के व्रत रखें।
हर रोज 101 बार ओम श: शनिश्चराय नमः का जाप करें।
जिस मनुष्य की कुंडली में ये दोष हो उसे शनिवार के दिन काले रंग के चमड़े के जूता या चप्पल मंदिर में छोड़कर आना चाहिए।
मंदिर चप्पल छोड़ते समय भूल कर भी मुड़ कर पीछे ना देखें।
इन उपायों को करने से भगवान शनिदेव आप पर जरूर प्रसन्न होंगे और आपकी कुंडली से साढ़ेसाती दोष दूर होकर खुशियां फिर से आपके घर लौट आएंगी।

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