पंचांग- आज का पंचांग


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आज के पंचांग की गणना

हिंदू कैलेंडर के इतिहास की बात करें तो पंचांग में विक्रम संवत का बेहद महत्वपूर्ण स्थान बताया गया है। विक्रम संवत को गणना के लिए सबसे सटीक कैलेंडर बोला गया। 75 ईसा पूर्व महान राजा विक्रमादित्य के काल में इस कैलेंडर का निर्माण किया गया था इसीलिए इसको विक्रम संवत कैलेंडर बोला जाता है। इसी कैलेंडर के अनुसार 12 महीने का 1 वर्ष और 7 दिन का 1 सप्ताह मानने का प्रचलन शुरू हुआ था लेकिन आज के भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता मिली हुई है। भारत का दुर्भाग्य ही बोलेंगे कि आजाद भारत में आज हम अपने खुद के कैलेंडर को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और अंग्रेजी कैलेंडर को मानते हुए चल रहे हैं। भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल में आज भी वह कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है जो कि हिंदुओं का कैलेंडर है जिसे विक्रम संवत कैलेंडर बोला जाता है। आजादी के बाद इस तरीके से बदला भारत कि हिंदू अपने कैलेंडर विक्रम संवत को पूरी तरीके से भूल चुके हैं और हमारे घरों में जो कैलेंडर होते हैं वह अंग्रेजी कैलेंडर इस्तेमाल किए जाते हैं। आज के समय की आवश्यकता है कि हम एक बार फिर से हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत की तरफ अपना मुंह मोड़े और अपनी संस्कृति और अपने धर्म को बचाने के लिए आगे आएं।

हिंदू पंचांग का महत्व इसलिए भी आज बहुत बढ़ जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग में तारीख के साथ-साथ, पर्व, राशिफल व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल होती हैं जिनमें की मुहूर्त, सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, चन्द्रास्त ताराबल और  राहुकाल आदि चीजों को शामिल करके पंचांग का निर्माण होता है और आज के पंचांग में यही सब चीजें बताई जाती हैं कि आज का दिन कैसा रहेगा, कौन सा शुभ समय रहने वाला है और वह कौन सा समय है जब कोई शुभ काम नहीं कर रहा है यही सब  जानकारी आज के पंचांग में दी जाती हैं। 

 हिंदू धर्म के अनुसार प्रतिदिन पता होना चाहिए कि आज के शुभ दिन कौन से हैं, आज के शुभ समय कौन से हैं और आज किस काल में क्या घटित होने वाला है। मुहूर्त का महत्व हमारे धर्म में शुरू से ही लिखा गया है कि अच्छे समय में यदि अच्छे कार्य किए जाएंगे तो निश्चित रूप से भविष्य में उनके अच्छे फल प्राप्त होते हैं लेकिन आज अंग्रेजी कैलेंडर  हमारे बीच जगह बना चुका है और उसके अंदर इस तरीके की जानकारियां नहीं होती हैं और कई बार हम अच्छे काम भी गलत समय में कर लेते हैं जिसका खामियाजा आगे आने वाले समय में भुगतना पड़ता है। एस्ट्रो ओनली आपके लिए आज का पंचांग लेकर आया है जिसमें हम आपको बताएंगे कि आज के दिन में सूर्योदय व सूर्यास्त किस समय होने वाला है, साथ ही साथ चंद्रमा का उदय और चंद्रमा का अस्त किस समय होगा और आज किस समय में कौन सा शुभ समय रहने वाला है या फिर आज के दिन में अशुभ समय कौनसा रहेगा जिसके अंदर आपको कोई भी काम नहीं करने हैं। घर से निकलते वक्त अगर आप एक बार आज का पंचांग देख लेंगे तो निश्चित रूप से यह आपका दिन बनाने का काम करेगा और आपको पता होगा कि आज के दिन में पंचांग क्या बोल रहा है, आपकी राशि क्या बोल रही है और आपको आज किस तरीके का व्यवहार करना है।

आज का पंचांग क्या है? 

पंचांग या पञ्चाङ्गम् संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका शब्दशः मतलब है पांच अंगों से बनी हुई कोई वस्तु। पंचांग के अंदर पांच चीजें महत्वपूर्ण रहती हैं जिनको की आधार बनाकर पंचांग का निर्माण किया जाता है जैसे तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।  हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में 12 महीने होते हैं जिनको की माह बोला जाता है और एक माह में 2 पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष जबकि एक पक्ष में पंद्रह तिथियां होती हैं जबकि इन दो पक्षों में से एक पक्ष में पूर्णिमा आती है और दूसरे के अंदर अमावस्या आती है, साथ ही साथ ऋतु का भी उल्लेख किया गया होता है। 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माह के नाम

1. चैत्र, 2. वैशाख, 3. ज्येष्ठ, 4. आषाढ़, 5. श्रावण (सावन), 6. भाद्रपद, 7. अश्विन, 8. कार्तिक, 9. मार्गशीर्ष, 10. पौष, 11. माघ, 12. फाल्गुन 

हिन्दू पंचांग में ऋतु 

हिंदू पंचांग के अंदर ऋतु का भी उल्लेख होता है।  आज के समय में लगातार नई पीढ़ी इन ऋतु को भूलती जा रही है और वह अंग्रेजी वेदर या मौसम की जानकारी अधिक अधिक रखने लगी है लेकिन हिंदू पंचांग में हमेशा ऋतु का उल्लेख किया गया है तो आइए जानते हैं हिंदू कैलेंडर के अनुसार कौन-कौन सी ऋतु बताई गई है 

  • वसंत ऋतु
  • ग्रीष्म ऋतु
  • वर्षा ऋतु
  • शरद ऋतु
  • हेमंत ऋतु
  • शिशिर ऋतु 

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आज की तिथि

ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के बीच की दूरी मापने को ही तिथि बोला जाता है। सूर्य और चंद्रमा के बीच जो दूरी होती है या जो दूरी बन रही होती है उसी को तिथि कहते हैं। दूसरे शब्दों में तिथियां हमें यह भी बताती है कि चंद्रमा और सूर्य की किस समय कितनी दूरी रहने वाली है जिसके आधार पर राशिफल, पंचांग आदि का निर्माण किया जाता है। इस बात को थोड़ा और सामान्य शब्दों में बता दें तो पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर घूमती है और चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा होता है इस बीच पृथ्वी से सूर्य और चंद्र कभी तो एक ही डिग्री पर उपस्थित होते हैं तो कभी 180 डिग्री पर मौजूद होते हैं जब दोनों एक ही डिग्री पर दिखाई देते हैं तब अमावस्या होती है और जब 180 डिग्री का अंतर होता है तब पूर्णिमा घोषित की जाती है यह दोनों ही घटनाएं महीने में एक बार होती हुई नजर आती हैं। 30 दिनों में एक बार अमावस आती है और 30 दिनों में एक बार पूर्णिमा होती है। अमावस्या पूर्णिमा के बीच जो समय लगता है और ऐसा ही पूर्णिमा से अमावस के बीच जो समय होता है उस उस समय के अंतर को बताने वाली थी तिथि कहलाती है। पूर्णिमा और अमावस्या पूर्णिमा की ओर जाने को शुक्ल पक्ष बोला जाता है। साधारण भाषा में जब चंद्रमा बढ़ता है उन दिनों को शुक्ल पक्ष बोलते हैं और चंद्रमा जब घट रहा होता है तो उसको कृष्ण पक्ष बोलते हैं।

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आज का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में कोई भी काम करने से पहले उस काम का मुहूर्त देखा जाता है कि किस समय में हमें कुछ काम करना है या फिर ऐसा बोले कि जिस समय या जिस दिन हम कुछ नया काम करना चाहते हैं तो उस दिन किस समय नक्षत्रों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति हमारे काम के अनुकूल होगी तो उसको देखकर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है, इसके साथ ही मुहूर्त के बिना किए जाने वाले काम को सही नहीं बताया गया है और ज्योतिष विद्या के अनुसार शुभ मुहूर्त में किए गए काम का फल भविष्य में व्यक्ति को शुभ प्राप्त होता है। और यदि खराब समय में कोई काम किया जाए तो भविष्य में उसके हानिकारक परिणाम देखने को मिलते हैं इसीलिए मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक बताया गया है। हिंदू कैलेंडर में मुहूर्त का अलग से स्थान रखा गया है पंचांग में हर दिन मुहूर्त के बारे में बताया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में मुहूर्त  इसलिए नहीं बताया जाता है क्योंकि उनके यहां मुहूर्त जैसी कोई भी चीज या ऐसा कोई विज्ञान मौजूद नहीं है जो कि दिन में नक्षत्र या फिर चंद्रमा की गति के अनुसार मुहूर्त का निर्माण कर सकें  इसलिए पंचांग में और खासकर हिंदू कैलेंडर में शुभ मुहूर्त का अलग से स्थान होता है और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हमेशा से ही शुभ मुहूर्त में काम करते हुए नजर आते हैं।

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आज का राहू काल

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है राहु काल में कोई भी काम करना अच्छा नहीं बताया गया है। राहु काल का यदि आप चित्र देखेंगे तो उसके अंदर आपको सिर पर सर्प दिखेगा। उस सांप से ही समझा जा सकता है कि यह काल  मनुष्य के लिए अच्छा नहीं है यदि इस समय में कोई भी शुभ काम किया जाएगा तो उसके परिणाम अच्छे प्राप्त नहीं होंगे। यह परिणाम सकारात्मक कार्यों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं बोला गया है। राहु काल के लिए हमारे वेदों में अलग से व्याख्यान लिखा गया है और  पंचांग में भी राहुकाल का विशेष उल्लेख है और राहु काल को लेकर पंचांग में बोला गया है कि इस समय में कोई भी शुभ काम शुरू नहीं करना चाहिए और यदि कोई जातक राहु काल में कोई काम शुरू करता है तो उसके विपरीत परिणाम मनुष्य को प्राप्त होते हैं।

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आज का करण

 पंचांग के अंदर करण का विशेष महत्व होता है। बिना करण के शुभ मुहूर्त नहीं निकाले और देखे जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अच्छा और शुभ काम करना चाहता है जैसे कि घर लेना चाहता है, बच्चे का नामकरण करना चाहता है, शादी करना चाहता है तो सभी कार्यों में करण को देखा जाता है और इसके बाद ही शुभ मुहूर्त का आकलन किया जाता है। कुछ करण ऐसे बताए गए हैं जिनमें की किसी भी तरीके के शुभ कार्य किए जा सकते हैं और कुछ करण ऐसे होते हैं जिनके अंदर किसी भी तरीके का अच्छा कार्य करना शुभ नहीं बताया गया है, इनको वर्जित बोला गया है जैसे कि भद्रा में किसी भी तरीके का शुभ कार्य करना वर्जित बोला गया है। इस समय में यदि कोई जातक शुभ काम करेगा तो उसके दुष्परिणाम सामने आते हुए दिखेंगे।

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आज का नक्षत्र

आकाश में सूर्य के चारों तरफ जो ब्राह्मण का मार्ग बनता है, उसको क्रांति व्रत कहते हैं इसी के चारों तरफ ग्रह व चक्र घूमते हुए नजर आते हैं। क्रांति व्रत में प्रकाश पुंज तारों के 12 समूह होते हैं इनको राशि चक्र कहते हैं। यह ग्रहों की एक पट्टी होती है जो 12 राशियों में विभक्त होती है। प्रत्येक राशि की अपनी विशेषता अपना महत्व होता है उसी तरीके से 12 राशियों में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। नक्षत्र तारों का ही एक समूह होता है लेकिन यह साधारण तारों की भांति टिमटिमाते नहीं है लेकिन लगातार चमकते रहते हैं। इनको नक्षत्र बोला गया है। एक नक्षत्र में कई कई तारे या उनके समूह होते हैं जो मिलकर आकृति बनाते हैं। उसी के अनुसार राशियों के नाम रखे गए हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि राशियां 12 होती हैं और नक्षत्र 27 होते हैं, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। इस प्रकार कुल नक्षत्र चरण 108 बताए गए हैं। एक राशि के अंदर 2-1/4 नक्षत्र यह 9 नक्षत्र चरण बताए गए हैं।

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आज का वार

पंचांग के अंदर वार यानी कि दिन होता है। पंचांग में सात वार का जिक्र किया गया है जिनमें कि रविवार, सोमवार मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार शामिल है। सप्ताह के अंदर जो भी दिन होते हैं इनको वार के रूप में जाना जाता है। सूर्योदय से लेकर सूरज ढलने तक का जो समय होता है उसको वार या दिन बोला जाता है। हर दिन या वार का एक देवता निर्धारित है जो कि उस दिन को जातक या व्यक्ति के लिए खास बनाता है। सदियों से ही दिन और देवता दोनों एक साथ पूजे जाते रहे हैं। कौन सा दिन शुभ है या कौन सा वार शुभ है इसका निर्धारण पंचांग के द्वारा ही होता है। पंचांग में ग्रहों की चाल स्थिति और सूर्य-चंद्रमा की चाल को देखकर इस बात का पता लगाया जाता है कि दिन में कौन सा समय अच्छा होने वाला है। सप्ताह में कितने दिन और कौनसे दिन पर कौनसे भगवन को पूजा जाता हैं इसके लिएएक-एक कर जानते हैं।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है। 

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

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