आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है। 

पंचांग में योग का निर्माण सूर्य और चंद्रमा के सहयोग से होता है और यह  27 प्रकार के होते हैं, इनके नाम इस प्रकार से हैं 1। विष्कुम्भ, 2। प्रीति, 3। आयुष्मान, 4। सौभाग्य, 5। शोभन, 6। अतिगण्ड, 7। सुकर्मा, 8।घृति, 9।शूल, 10। गण्ड, 11। वृद्धि, 12। ध्रव, 13। व्याघात, 14। हर्षल, 15। वङ्का, 16। सिद्धि, 17। व्यतीपात, 18।वरीयान, 19।परिधि, 20। शिव, 21। सिद्ध, 22। साध्य, 23। शुभ, 24। शुक्ल, 25। ब्रह्म, 26। ऐन्द्र, 27। वैघृति। 


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अशुभ योग कौन से हैं? 

पंचांग के अंदर जिन 27 योग की चर्चा की गई है उसमें से 9 योग अशुभ माने गए हैं,इनके अंदर कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आईये विस्तार से जानते हैं अशुभ योग कौन से हैं जिनके अंदर कोई भी काम किए जाने की मनाही की गई है 

विष्कुम्भ योग

जैसा कि नाम से ही हमें ज्ञात हो जाता है कि यह विष से भरा हुआ योग है इसके अंदर कोई भी अच्छा काम करने की मनाही की गई है। विष से भरा हुआ घड़ा इस को परिभाषित करने के लिए काफी है, इसके अंदर यदि कोई काम किया जाता है तो वह भविष्य में अशुभ फल प्रदान करता हुआ नजर आता है। 

अतिगण्ड

यह योग भी काफी अशुभ योग बताया गया है इसके अंदर कोई भी काम किया जाए तो भविष्य में काफी निराशा हाथ लगती है या फिर घाटे का सौदा साबित होता है। इस योग में यात्रा करना बेहद ही अशुभ बोला गया है यदि ऐसा किया जाता है तो भविष्य में हानिकारक परिणाम सामने आते हैं।

शूल योग

शूल योग में कोई भी काम किया जाए तो वह भविष्य में कांटे की तरह चुभता रहता है। यदि उसको बाहर निकालेंगे या काम करने के बाद इससे बाहर निकलेंगे तो भी यह काम उस वक़्त भी कांटे की तरीके से ही शरीर को हानि पहुंचाता हुआ नजर आएगा।

गण्ड

इस योग में कोई भी काम किया जाए तो उसके अंदर लगातार अड़चनें आती ही रहती हैं।  वह काम सफल नहीं होता है बल्कि  समय बेकार जाता रहता है यहां तक कि इस योग में काम करने पर विवाद कभी भी सुलझते नहीं है।  वह हमेशा फंसे हुए नजर आते हैं इसलिए नया काम शुरू करते समय इस योग का विशेष ध्यान रखा जाता है।

व्याघात योग

इस योग में कोई काम कर दिया जाए तो वह बाद में किसी घात की तरह व्यक्ति को  परेशान करता हुआ नजर आता है। यही नहीं किसी भी समय वह काम हमें आघात पहुंचा सकता है और इस समय को बेहद ही अशुभ समय बताया गया है इसलिए व्याघात योग का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

वज्र योग

कभी भी व्यक्ति को वाहन इस योग में नहीं खरीदना चाहिए।  यदि आप इस योग में वाहन खरीदते हैं तो वज्र की तरीके से ही कभी ना कभी जातक को परेशान करता है या दुर्घटना के भी आसार बनते हैं इसलिए वज्र योग में ना तो वाहन खरीदने चाहिए ना ही यात्रा करनी चाहिए। कपडा,सोना आदि कोई भी सामान भी खरीदने से बचना चाहिए।

व्यतिपात योग

इस योग में यदि कोई व्यक्ति नया काम शुरू करता है तो उसके अंदर भारी हानि उठानी पड़ती है या फिर साथी के साथ विवाद शुरू हो जाते हैं इसलिए इस योग का भी ध्यान रखना चाहिए। 

परिध योग

वैसे तो यह योग अशुभ बताया गया है लेकिन यदि इस समय में शत्रु के विरुद्ध कोई काम किया जाए तो उसमें सफलता मिलती है अर्थात शत्रु पर विजय मिलती है केवल शत्रु के विरुद्ध कोई काम इस योग में किया जाता है।

वैधृति योग

योग में कभी भी व्यक्ति को यात्रा नहीं करनी चाहिए इस योग में ऐसे काम किए जा सकते हैं जो कि स्थिर हैं लेकिन यात्रा से संबंधित कोई भी काम इस समय में नहीं किया जाता हैं।



शुभ योग कौन से हैं?

तो अब हम आपको कुछ अच्छे योग बताते हैं जिनके अंदर काम करने से अच्छे फल प्राप्त होते हैं- 

प्रीति योग 

यह एक अच्छा योग है इसके अंदर प्रेम व्यवहार और परस्पर लोगों के बीच प्यार बना रहता है, इस योग में प्रेम विवाह करना चाहिए, रूठे मित्रों को मनाना चाहिए, मेल मिला बनाना के लिए यह योग अच्छा योग बताया गया है।

आयुष्मान योग

आयुष्मान योग भी एक बेहद अच्छा योग है इस समय में भी जो अच्छे काम किए जाते हैं वह लंबे समय तक जीवित रहते हैं, साथ ही साथ व्यक्ति की भी आयु बढ़ती हुई नजर आती है आयुष्मान योग काफी महत्वपूर्ण हैं।

सौभाग्य योग

इस योग में विवाह जैसे काम पूरे किए जाते हैं जो जातक इन कामों को सौभाग्य योग में करता है वह सदा सुखी रहता है। इस योग में हुई शादी  से वैवाहिक जीवन सभी सुख में रहते हैं।  यह योग शादी के साथ-साथ नए घर जा कार्य के लिए भी अच्छा बताया गया है।

शोभन योग

यात्रा पर जाने के लिए कोई योग अगर सबसे अच्छा है तो वह शोभन योग बोला गया है, यह योग यात्रा शुरू करने के लिए बेहद अच्छा बताया गया है साथ ही साथ इस में  शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

सुकर्मा योग

इस योग में यदि कोई व्यक्ति नई नौकरी शुरू करता है तो यह नई नौकरी उसके लिए काफी फलदाई साबित होती है।  नई नौकरी या फिर नया व्यवसाय शुरू करने के लिए यह योग अच्छा बोला गया है। 

धृति योग

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है धरती से जुड़ा हुआ कोई भी काम इस योग में किया जाता है जैसे कि नया घर लेना, भूमि पूजन करना या मकान बनवाना शुरू करना जैसे कार्य  इस योग में किए जाएं तो अच्छे फल प्राप्त होते हैं।

वृद्धि योग

वृद्धि योग में कोई भी काम किया जाए तो वह वृद्धि ही वृद्धि करता है।  जातक के जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है और वह काम भी बहुत तेजी से आगे बढ़ता हुआ नजर आता है।

ध्रुव योग

मकान का निर्माण करना या फिर मकान से जुड़ा हुआ कोई भी काम करना इस योग में अच्छा बताया गया है लेकिन इस योग में वाहन नहीं खरीदना चाहिए।

हर्षण योग

यह योग व्यक्ति के जीवन में खुशियां ही खुशियां लेकर आता है यह एक शुभ योग बोला गया है।

सिद्धि योग

यह योग भी बेहद शुभ योग होता है इसके अंदर कोई भी काम शुरू करें तो उसके अंदर आपको सफलता मिलने की उम्मीद बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसको भगवान से जुड़ा हुआ योग भी बोला गया है।

वरीयान योग

यह योग भी बेहद अच्छा योग बताया गया है इसके अंदर भी आप कोई नया काम शुरू कर सकते हैं।

शिव योग

भगवान शिव से जुड़ा हुआ यह योग बेहद ही लाभदायक योग होता है इसके अंदर भी यदि कोई भी नया काम शुरू किया जाएँ तो अवश्य सफल रहेगा।

सिद्ध योग

सिद्धि योग की तरीके से ही सिद्ध योग भी काफी महत्वपूर्ण योग है, यह भी मंगलकारी योग है इसके अंदर भी अच्छे काम करने के परिणाम अच्छे प्राप्त होते हैं।

साध्य योग

साधना से जुड़ा हुआ यह योग है इसके अंदर साधना शुरू की जा सकती है या फिर बच्चे की पढ़ाई से जुड़ा हुआ यह योग है इसके अंदर बच्चे की पढ़ाई शुरू करवाई जाए तो उसमें भी अच्छे परिणाम मिलते है।

शुभ योग

शुभ योग में भी अच्छे काम करने से व्यक्ति के वह काम आगे बढ़ते हुए और व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हुए नजर आते हैं और उन कामों में प्रसिद्धि भी मिलती हैं।

शुक्ल योग

चंद्रमा से जुड़ा हुआ यह योग है यह भी शुभ योग में आता है इसके अंदर भी अच्छे काम शुरू किए जा सकते हैं।

ब्रह्म योग

किसी व्यक्ति के जीवन में झगड़े चल रहे हो तो उसको ब्रह्म योग में वे झगड़े सुलझाने चाहिए, वह झगड़े आसानी से से अपने पक्ष में जीतते हुए नजर आएंगे। 

इन्द्र योग

इंद्र योग में भी अच्छे काम किए जा सकते हैं लेकिन इस योग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस योग दिन में ही काम करने चाहिए क्यूंकि रात में यह योग काम नहीं करता है।

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आगे पंचांग पढ़िए

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ज्योतिषीयो से परामर्श करें

क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है।

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आज की तिथि

ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के बीच की दूरी मापने को ही तिथि बोला जाता है। सूर्य और चंद्रमा के बीच जो दूरी होती है या जो दूरी बन रही होती है उसी को तिथि कहते हैं। दूसरे शब्दों में तिथियां हमें यह भी बताती है कि चंद्रमा और सूर्य की किस समय कितनी दूरी रहने वाली है जिसके आधार पर राशिफल, पंचांग आदि का निर्माण किया जाता है। इस बात को थोड़ा और सामान्य शब्दों में बता दें तो पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर घूमती है और चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा होता है इस बीच पृथ्वी से सूर्य और चंद्र कभी तो एक ही डिग्री पर उपस्थित होते हैं तो कभी 180 डिग्री पर मौजूद होते हैं जब दोनों एक ही डिग्री पर दिखाई देते हैं तब अमावस्या होती है और जब 180 डिग्री का अंतर होता है तब पूर्णिमा घोषित की जाती है यह दोनों ही घटनाएं महीने में एक बार होती हुई नजर आती हैं। 30 दिनों में एक बार अमावस आती है और 30 दिनों में एक बार पूर्णिमा होती है। अमावस्या पूर्णिमा के बीच जो समय लगता है और ऐसा ही पूर्णिमा से अमावस के बीच जो समय होता है उस उस समय के अंतर को बताने वाली थी तिथि कहलाती है। पूर्णिमा और अमावस्या पूर्णिमा की ओर जाने को शुक्ल पक्ष बोला जाता है। साधारण भाषा में जब चंद्रमा बढ़ता है उन दिनों को शुक्ल पक्ष बोलते हैं और चंद्रमा जब घट रहा होता है तो उसको कृष्ण पक्ष बोलते हैं।

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आज का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में कोई भी काम करने से पहले उस काम का मुहूर्त देखा जाता है कि किस समय में हमें कुछ काम करना है या फिर ऐसा बोले कि जिस समय या जिस दिन हम कुछ नया काम करना चाहते हैं तो उस दिन किस समय नक्षत्रों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति हमारे काम के अनुकूल होगी तो उसको देखकर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है, इसके साथ ही मुहूर्त के बिना किए जाने वाले काम को सही नहीं बताया गया है और ज्योतिष विद्या के अनुसार शुभ मुहूर्त में किए गए काम का फल भविष्य में व्यक्ति को शुभ प्राप्त होता है। और यदि खराब समय में कोई काम किया जाए तो भविष्य में उसके हानिकारक परिणाम देखने को मिलते हैं इसीलिए मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक बताया गया है। हिंदू कैलेंडर में मुहूर्त का अलग से स्थान रखा गया है पंचांग में हर दिन मुहूर्त के बारे में बताया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में मुहूर्त  इसलिए नहीं बताया जाता है क्योंकि उनके यहां मुहूर्त जैसी कोई भी चीज या ऐसा कोई विज्ञान मौजूद नहीं है जो कि दिन में नक्षत्र या फिर चंद्रमा की गति के अनुसार मुहूर्त का निर्माण कर सकें  इसलिए पंचांग में और खासकर हिंदू कैलेंडर में शुभ मुहूर्त का अलग से स्थान होता है और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हमेशा से ही शुभ मुहूर्त में काम करते हुए नजर आते हैं।

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आज का राहू काल

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है राहु काल में कोई भी काम करना अच्छा नहीं बताया गया है। राहु काल का यदि आप चित्र देखेंगे तो उसके अंदर आपको सिर पर सर्प दिखेगा। उस सांप से ही समझा जा सकता है कि यह काल  मनुष्य के लिए अच्छा नहीं है यदि इस समय में कोई भी शुभ काम किया जाएगा तो उसके परिणाम अच्छे प्राप्त नहीं होंगे। यह परिणाम सकारात्मक कार्यों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं बोला गया है। राहु काल के लिए हमारे वेदों में अलग से व्याख्यान लिखा गया है और  पंचांग में भी राहुकाल का विशेष उल्लेख है और राहु काल को लेकर पंचांग में बोला गया है कि इस समय में कोई भी शुभ काम शुरू नहीं करना चाहिए और यदि कोई जातक राहु काल में कोई काम शुरू करता है तो उसके विपरीत परिणाम मनुष्य को प्राप्त होते हैं।

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आज का करण

 पंचांग के अंदर करण का विशेष महत्व होता है। बिना करण के शुभ मुहूर्त नहीं निकाले और देखे जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अच्छा और शुभ काम करना चाहता है जैसे कि घर लेना चाहता है, बच्चे का नामकरण करना चाहता है, शादी करना चाहता है तो सभी कार्यों में करण को देखा जाता है और इसके बाद ही शुभ मुहूर्त का आकलन किया जाता है। कुछ करण ऐसे बताए गए हैं जिनमें की किसी भी तरीके के शुभ कार्य किए जा सकते हैं और कुछ करण ऐसे होते हैं जिनके अंदर किसी भी तरीके का अच्छा कार्य करना शुभ नहीं बताया गया है, इनको वर्जित बोला गया है जैसे कि भद्रा में किसी भी तरीके का शुभ कार्य करना वर्जित बोला गया है। इस समय में यदि कोई जातक शुभ काम करेगा तो उसके दुष्परिणाम सामने आते हुए दिखेंगे।

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आज का नक्षत्र

आकाश में सूर्य के चारों तरफ जो ब्राह्मण का मार्ग बनता है, उसको क्रांति व्रत कहते हैं इसी के चारों तरफ ग्रह व चक्र घूमते हुए नजर आते हैं। क्रांति व्रत में प्रकाश पुंज तारों के 12 समूह होते हैं इनको राशि चक्र कहते हैं। यह ग्रहों की एक पट्टी होती है जो 12 राशियों में विभक्त होती है। प्रत्येक राशि की अपनी विशेषता अपना महत्व होता है उसी तरीके से 12 राशियों में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। नक्षत्र तारों का ही एक समूह होता है लेकिन यह साधारण तारों की भांति टिमटिमाते नहीं है लेकिन लगातार चमकते रहते हैं। इनको नक्षत्र बोला गया है। एक नक्षत्र में कई कई तारे या उनके समूह होते हैं जो मिलकर आकृति बनाते हैं। उसी के अनुसार राशियों के नाम रखे गए हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि राशियां 12 होती हैं और नक्षत्र 27 होते हैं, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। इस प्रकार कुल नक्षत्र चरण 108 बताए गए हैं। एक राशि के अंदर 2-1/4 नक्षत्र यह 9 नक्षत्र चरण बताए गए हैं।

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आज का वार

पंचांग के अंदर वार यानी कि दिन होता है। पंचांग में सात वार का जिक्र किया गया है जिनमें कि रविवार, सोमवार मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार शामिल है। सप्ताह के अंदर जो भी दिन होते हैं इनको वार के रूप में जाना जाता है। सूर्योदय से लेकर सूरज ढलने तक का जो समय होता है उसको वार या दिन बोला जाता है। हर दिन या वार का एक देवता निर्धारित है जो कि उस दिन को जातक या व्यक्ति के लिए खास बनाता है। सदियों से ही दिन और देवता दोनों एक साथ पूजे जाते रहे हैं। कौन सा दिन शुभ है या कौन सा वार शुभ है इसका निर्धारण पंचांग के द्वारा ही होता है। पंचांग में ग्रहों की चाल स्थिति और सूर्य-चंद्रमा की चाल को देखकर इस बात का पता लगाया जाता है कि दिन में कौन सा समय अच्छा होने वाला है। सप्ताह में कितने दिन और कौनसे दिन पर कौनसे भगवन को पूजा जाता हैं इसके लिएएक-एक कर जानते हैं।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है। 

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

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