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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है। देव गुरु बृहस्पति बहुत ही उधर एवं महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं और ऐसा बोला जाता है कि यदि कुंडली में गुरु बृहस्पति सही स्थिति में है तो वह जातक काफी चतुर,परमार्थी, शांत स्वभाव वाला होता हुआ नजर आता है।

जातक कितना विद्वान होगा, व्यवसाय में कितना आगे निकलता हुआ नजर आएगा, यह काफी हद तक बृहस्पति पर ही निर्भर करता हुआ नजर आता है। इसके अतिरिक्त गुरु के कई और भी नाम हैं जैसे गुरु को अंगिरा, वाचस्पति आदि नामों से पुकारा जाता रहा है। सब ग्रहों में अत्यंत बलशाली एवं अत्यंत शुभ ग्रह बृहस्पति यानी कि गुरु को ही बोला गया है।

धन-लक्ष्मी, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म इन सबके लिए बृहस्पति को कारक बोला जाता रहा है। यह विवेक बुद्धि, ज्ञान, स्वास्थ्य, आध्यात्मिक एवं पारलौकिक सुख से भी संबंधित ग्रह रहे हैं। बृहस्पति को देवताओं का गुरु होने का गौरव प्राप्त होता है। साथ ही साथ वेद शास्त्रों में ऐसा ही लिखा गया है कि बृहस्पति ग्रह मानवता का हितेषी रहे हैं। स्त्रियों के लिए बृहस्पति ग्रह पति सुख प्रदान करने वाले रहे हैं। साथ ही साथ सौरमंडल में सभी ग्रह में मंत्री का पद प्राप्त होता है। आपको बता दें कि गुरु, धनु एवं मीन राशि के स्वामी बताए गए हैं।

गुरु शुक्र से अधिक बलवान होते हैं। यदि कुंडली के अंदर बृहस्पति सही स्थिति में है तो जातक धर्म से जुड़ा हुआ देवता और पिता का सुख प्राप्त करने वाला और अच्छा व्यवसाय करने वाला होता है, वहीं अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर है तो यह जातक को कान के रोग, वायु व कफ विकार, पेट का फोड़ा, स्थूलता दुर्बलता, कमर दर्द कब्ज आदि की समस्या आते हुए नजर आते हैं। यह स्वयं राशि में मौजूद हैं तो ऐसा जातक राजनीति करने वाला भी होता है, मिलनसार होता है, धनवान होता है, उच्च पदाधिकारी होता है। शांत रहता है, कुशल साहित्य में रुचि एवं साहसी होता है।

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को गुरु ग्रह भी बोला जाता है। जातक की कुंडली में गुरु ग्रह एक अध्यापक का ही काम करता है जो कि समय समय पर व्यक्ति को बहुत कुछ सीखाता भी है और साथ ही साथ यह व्यक्ति की मदद भी करता हुआ नजर आता है। कुंडली में यदि गुरु ग्रह बहुत अच्छी स्थिति में है तो यह जातक को व्यवसायिक रूप से सफल बनाता है। साथ ही साथ उसको धनवान भी बना देता है। कुंडली में दूसरे स्थान, पांचवें, सातवें, नौवे और ग्यारहवें स्थान पर बैठा बृहस्पति बहुत अच्छा बताया गया है। यह व्यवसाय के साथ-साथ नौकरी में व्यक्ति की काफी मदद करता है।

बृहस्पति ग्रह भी जातक के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण यह बताया गया है। खासकर स्त्रियों की बात करें तो महिलाओं के लिए यह ग्रह शादी और परिवार के लिए महत्वपूर्ण पूर्ण होता है। पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं भगवान विष्णु की पूजा करती हुई नजर आती हैं और बृहस्पति ग्रह का संबंध भगवान विष्णु से बताया गया है। जिन लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही होती है या फिर उसमें रुकावट आती है तो इसलिए भी बृहस्पतिवार के दिन लड़कियां व्रत करती हुई नजर आती हैं। बृहस्पति ग्रह से केले के पेड़ को भी जोड़कर रखा गया है। जातक के बिगड़े हुए काम बनाने का कार्य बृहस्पति ग्रह अच्छे से करते हुए नजर आते हैं। गुरु ग्रह को एक दयालु ग्रह बोला गया है और यह जातक की मदद करते हुए दिखते हैं। कुंडली में यदि इस ग्रह की स्थिति सही है तो वह जातक काफी सफल होता हुआ दिखता है। साथ ही साथ परिवार में भी उसको पूरा पूरा मान सम्मान प्राप्त होता हुआ नजर आता है।

बृहस्पति ग्रह का महत्व

राजनीतिक रूप से भी यह व्यक्ति की मदद करता हुआ दिखता है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है वह बहुत अच्छे राजनेता बनते हुए दिखते हैं। राजनीति के लिए बोला गया है कि गुरु का कुंडली में मजबूत होना बेहद आवश्यक है। यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत नहीं है तो राजनीति के क्षेत्र में असफलताएं मिलती हुई नजर आती हैं और बार-बार हार का सामना करना पड़ता है। मनोबल के लिहाज से भी बृहस्पति ग्रह को काफी अच्छा बताया गया है। जिन जातकों का बृहस्पति अच्छा होता है वह जातक सही समय पर सही निर्णय लेते हुए दिखते हैं। प्रेम के क्षेत्र में जिन लोगों को सफलता नहीं मिल रही होती है या फिर घर परिवार में जिन लोगों को प्यार नहीं मिल रहा होता है उनकी कुंडली में बृहस्पति के ऊपर नजर रखी जाती है। बृहस्पति ग्रह को यदि कुंडली में सही जगह प्राप्त है तो ऐसे लोग बड़े घर में रहते हुए नजर आते हैं।

बृहस्पति ग्रह व्यक्ति के शरीर पर भी काफी प्रभाव डालता हुआ नजर आता है। यदि बृहस्पति ग्रह कमजोर हैं तो ऐसा जातक मानसिक और पेट सम्बंधित रोग होते हुए नजर आते हैं। ऐसे जातक को एसिडिटी, गैस संबंधी काफी समस्या होती हुई दिखती हैं। साथ ही साथ कैंसर जैसी भयानक बीमारी का खतरा भी लगातार बना रहता है। बृहस्पति ग्रह यदि कुंडली में मजबूत है तो ऐसे लोगों को पीली वस्तुओं का व्यापार करना चाहिए, अध्यापन का काम करना चाहिए, संपादन का काम करना चाहिए, हलवाई का काम करना चाहिए और आभूषण विक्रेता जैसे क्षेत्रों में इनको सफलता प्राप्त होती हुई दिखती है।

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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