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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है। बनते हुए काम को बिगाड़ना केतु की मुख्य आदत बताई गई है। सभी ग्रहों की तुलना में केतु को सबसे अधिक रहस्यवादी बताया गया है। यह व्यक्ति को हृदयविहीन, विश्वासघाती बनाता हुआ नजर आता है लेकिन कई बार कुंडली के अंदर अचानक ही केतु ग्रह बहुत कुछ प्रदान करता हुआ भी नजर आता है लेकिन अधिकतर समय केतु रुकावट ही पैदा करता हुआ नजर आता है।

अचानक उन्नति या फिर गिरावट किसी तरीके की कोई दुर्घटना, उलझन, आर्थिक तंगी इन सब बातों के लिए केतु को महत्वपूर्ण बताया गया है। वहीं अगर केतु ग्रह कुंडली के बुरे घर में बैठा है तो यह ज्यादा अच्छा बताया गया है। मंगल ग्रह के तरीके से केतु एक अग्नि रूप लिए हुए ग्रह है। ऐसा बोला गया है कि सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव एक ही स्थान पर पड़ रहा हो अथवा केतु के माध्यम से पड़ रहा हो तो उस स्थान पर आग का भय लगातार बना रहता है।

कुंडली में केतु ग्रह

कुंडली के अंदर केतु अगर स्वयं राशि का या फिर स्वयं अपने घर में मौजूद हो तो केतु विशेष शुभ फल देने वाला होता है। यदि केतु लग्न में बैठा हुआ हो और साथ ही साथ लग्न का स्वामी भी कुंडली के पहले घर यानी कि लग्न में मौजूद हो तो व्यक्ति को यह केतू बहुत अधिक धनवान बनाता हुआ और संपन्न बनाता हुआ नजर आता है। इतिहास में हिटलर की कुंडली काफी विख्यात रही है जिनकी कुंडली के अंदर तीसरे घर में केतु विराजमान था जिसके कारण वह बहुत अधिक क्रूरता करते हुए नजर आया लेकिन गुरू के साथ केतु तीसरे घर में था जिसके कारण यह हिटलर को प्रसिद्ध करते हुए भी दिखा। राहु के तरीके से केतु भी अचानक ही फल प्रदान करने वाला होता है किंतु यदि किसी शुभ ग्रह के साथ शुभ भाव में बैठा हुआ हो तो अचानक की जातक को बहुत अधिक फल और लाभ प्रदान करता है।

केतु की धार्मिक कहानी

हिंदू धर्म ग्रंथों में राहु को लेकर एक काफी विख्यात कहानी लिखी गई है। बताया जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ और समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो उसका पान करने के लिए देवताओं और असुरों में झगड़ा होने लगा था। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया था और देवताओं और असुरों को दो अलग-अलग पंक्ति में बैठाया था। सभी को अमृत मोहिनी रूप में विष्णु जी करा रहे थे लेकिन मोहिनी का रूप देखने के बाद सभी असुर उसकी सुंदर काया में ही फँसकर रह गए थे और मोहिनी देवताओं को पान करा रही थी। तभी एक असूर वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया था और उसने अमृत का घूंट पी लिया था। यह बात जब भगवान विष्णु को पता चली तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर अलग कर दिया था और वह दो भागों में बट गया था। जिसमें से एक का नाम राहु और दूसरे का नाम के केतू रखा गया था। सर को राहु बोला गया था और सर के नीचे के भाग को केतु नाम से जाना जाता है।

केतु का वैदिक मंत्र ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। सुमुषद्भिरजायथा:।।

केतु का तांत्रिक मंत्र ॐ कें केतवे नमः

केतु का बीज मंत्र ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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