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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है। यह साहस, धैर्य, स्फूर्ति तथा आत्मविश्वास देने वाला ग्रह होता है। इसका नाम बेशक मंगल है लेकिन कुछ परिस्थितियों को छोड़कर यह मंगलकारी ही होता है। मंगल को भोम, अंगारक, क्रूर, नेत्र, रुधिर लोहितांग आदि नामों से जाना जाता रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार भी अगर देखें तो मंगल ही एक ऐसा ग्रह है जिसके ऊपर प्राणियों के जीवन का अस्तित्व संभव माना गया है। मंगल ग्रह तमोगुणी होता है। मंगल युवावस्था वाला, साहसी, प्रतापी, बालवस्था में पित्त, प्रकृति युक्त, अग्नि तत्व प्रदान अशुभ पाप ग्रह है। मंगल को अपनी कठोरता के लिए जाना जाता रहा है। मंगल ग्रह स्वभाव से उदंड, अभिमानी, उग्र प्रचंड, विरोध आतुर, सैनिक स्वभाव वाला, रण में सदा लड़ने वाला, सौरमंडल में मंगल को सेनापति का पद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल मेष तथा वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। मंगल पेट से पीठ तक अंगो का आधिपत्य करता है।

शनि ग्रह से मंगल अधिक बलवान बोला गया है। मंगल से संबंधित रोगों की बात करें तो यह पित्त, विकार, जलना, गिरना, चोट, सिर में पीड़ा, शरीर का कोई अंग टूटना, पेट में फोड़ा, नेत्र रोग, गुप्त रोग तथा सूखा रोग आदि से संबंधित है। मंगल भी सूर्य की तरह अग्नि तत्व प्रधान ग्रह बोला गया है। जातक की कुंडली में अगर मंगल मेष राशि यानी कि स्वयं राशि के साथ बैठा है तो जातक साहसी होगा, सावधान होगा, चतुर फुर्तीला होगा, ओजस्वी होगा, आक्रामक स्वभाव, स्पष्ट वक्ता, साथ ही साथ अगर मंगल कुंडली में दशम भाव में बैठा है तो पुलिस या सेना में उच्च अधिकारी या डॉक्टर, सफल व्यापारी, जातक होता हुआ नजर आता है। वहीँ अगर वृश्चिक राशि का मंगल है तो जातक उग्र स्वभाव वाला चतुर व्यवहार, कुशल, अनेक लोगों को अपने साथ रखने वाला, व्यापार कुशल, धनवान, राज्य सेवा में तत्पर, पुलिस तथा सेना में काम करने वाला, डॉक्टर या सफल व्यापारी जातक को बनाता है।

ज्योतिष में मंगल

मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में एक क्रूर ग्रह का दर्जा प्राप्त है। मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। मकर राशि में यह उच्च का होता है और कर्क राशि में नीच का कहलाता है। किसी व्यक्ति का मंगल यदि अच्छा होता है तो वह व्यक्ति स्वभाव से काफी साहसी होता है और उस व्यक्ति को कठिन से कठिन काम करना पसंद आता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में यदि किसी काम को करना शुरू करता है तो वह उस काम को करने के बाद ही पीछे हटता है। मंगल ग्रह को भगवान हनुमान से जोड़कर देखा जाता है। इसीलिए बोला है कि यदि मंगल को शक्ति प्रदान करनी है तो व्यक्ति को निरंतर हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। हनुमान जी की पूजा करने से मंगल ग्रह को शक्ति प्राप्त होती है और उन्हीं की तरीके से शक्तियां उस व्यक्ति के पास आती हैं। जिस तरीके से भगवान हनुमान का स्वभाव था और उन्होंने कठिन से कठिन काम करके दिखाएं उसी तरीके से यदि व्यक्ति की कुंडली में मंगल सही स्थिति में बैठा हुआ है और अपने घर में मौजूद हैं तो वह व्यक्ति भी बड़े से बड़े काम को करता हुआ नजर आता है।

मंगल ग्रह का महत्व

मंगल यदि कुंडली के अंदर अशुभ स्थिति में बैठा हुआ हो तो उस व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दांपत्य जीवन के लिए भी मंगल को काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। यदि मंगल कुंडली में पहले घर में, चौथे घर में, सातवें घर में, आठवे घर में और बारहवें घर में मौजूद है तो वह व्यक्ति मांगलिक होता हुआ नजर आता है और तब उस व्यक्ति को विवाह संबंधी काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

मंगल यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अच्छी स्थिति के अंदर है तो वह सेना, पुलिस, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधित चीजें, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, में सफल होता हुआ नजर आता है।

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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