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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है। इसके अनुसार राहु जैसा कोई भी ग्रह मौजूद नहीं है लेकिन वही ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बोला गया है कि राहु का भी अस्तित्व मौजूद है जिसके कारण चंद्रमा के ऊपर ग्रहण लगते हुए भी नजर आते हैं। राहु का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है, यह जिस राशि और जिस ग्रह के साथ बैठा हुआ होता है उसी तरीके के फल प्रदान करता हुआ नजर आता है। अंधकार के कारण ही राहु को चोर ग्रह भी बोला गया है। राहु को चोर ग्रह इसलिए बोला जाता है कि अक्सर यह जातक की कुंडली में केवल चोरी करने का काम करता है और सुख की हानि लेकर आता है। राहु के गुणों की बात करेंगे तो उसमें किसी भी तरीके के गुण मौजूद नहीं होते हैं राहु के केवल और केवल दुर्गुणों की बात की गई है। राहु ग्रह को असुर ग्रह भी बोला गया है। इसे राक्षसी लोगों से जोड़कर देखा जाता रहा है।

ज्योतिष में राहु ग्रह

आक्रामक प्रवृत्ति, तीव्र बुद्धि किंतु आलसी, विद्रोह करने वाला स्वभाव, उत्तेजना, काम को बिगाड़ने वाला, क्रोध में रहने वाला, उलझन से भरा हुआ, परेशान, असमंजस, हिंसा आदि कारक राहु ग्रह से जुड़े हुए बताए गए हैं। ऐसे जातक जिनकी कुंडली में राहु चौथे या पांचवें भाव में बैठा हुआ हो ऐसे जातक काफी गुस्सैल किस्म के होते हैं। गुस्से के कारण यह कई बार अपने काम बिगड़ते हुए भी नजर आते हैं। ऐसे जातक सदैव उलझन में फंसे हुए रहते हैं। जीवन के प्रारंभ में इनको काफी संघर्ष करना पड़ता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो इसके साथ इनको सफलता भी प्राप्त होने लगती है। राहु हमेशा असफलता प्रदान नहीं करता है, कई बार यह कुंडली में व्यक्ति को सफलता दिलाने का काम भी करता है।

मनुष्य पर राहु ग्रह का प्रभाव

राहु की मदद से जातक को आकस्मिक धन प्राप्ति हो जाती है, खोई हुई वस्तु प्राप्त हो जाती है, राजनीति, विदेश यात्रा, उच्च पद दिलाने वाला राहु होता है लेकिन निर्भर करता है कि यह कुंडली में किस राशि के साथ और किस ग्रह के साथ विराजमान है। अचानक घटित होने वाली सभी तरीके की घटनाओं के लिए राहु और केतु को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। कुंडली के चौथे और पांचवें भाव में मजबूत स्थिति में यदि राहु बैठा हुआ है तो ऐसे जातक को पहले से ही घटनाओं की जानकारियां प्राप्त होती हुई नजर आती है और ऐसे जातक की अधिकतर भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं।

राहु की धार्मिक कहानी

हिंदू धर्म ग्रंथों में राहु को लेकर एक काफी विख्यात कहानी लिखी गई है। बताया जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ और समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो उसका पान करने के लिए देवताओं और असुरों में झगड़ा होने लगा था। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया था और देवताओं और असुरों को दो अलग-अलग पंक्ति में बैठाया था। सभी को अमृत मोहिनी रूप में विष्णु जी करा रहे थे लेकिन मोहिनी का रूप देखने के बाद सभी असुर उसकी सुंदर काया में ही फँसकर रह गए थे और मोहिनी देवताओं को पान करा रही थी। तभी एक असूर वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया था और उसने अमृत का घूंट पी लिया था। यह बात जब भगवान विष्णु को पता चली तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर अलग कर दिया था और वह दो भागों में बट गया था। जिसमें से एक का नाम राहु और दूसरे का नाम के केतू रखा गया था। सर को राहु बोला गया था और सर के नीचे के भाग को केतु नाम से जाना जाता है।

राहु का वैदिक मंत्र ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।।

राहु का तांत्रिक मंत्र ॐ रां राहवे नमः

राहु का बीज मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

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