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वक्री बृहस्पति

किसी भी जातक की कुंडली में बैठे ग्रह की स्थिति यह निर्धारित करती है कि उस जातक के भाग्य में क्या होने वाला है। सामान्य तौर पर सभी ग्रह शुभ और अशुभ दोनों फल देते हैं किन्तु कई ग्रह ऐसे होते हैं जो वक्री होने पर मनुष्य की खुशियां बर्बाद कर देते हैं। मगर वही कुछ ग्रह ऐसे होते हैं यदि वह वक्री हो जाए तो किसी भी मनुष्य को भिकारी से राजा बना सकते हैं। आज हम आपको ग्रहों के गुरु बृहस्पति ग्रह के वक्री होने के प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं

वक्री बृहस्पति ग्रह के प्रभाव

नवग्रह में बृहस्पति ग्रह सबसे प्रभावशाली और सबसे बड़ा ग्रह है इसका संबंध शुभ कार्य से है यानी कि बृहस्पति ग्रह हमेशा शुभ फल देता है। इसके साथ ही वक्री होने पर भी यह शुभ फल ही प्रदान करता है। कुंडली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम और एकादश भाव का कारक यही ग्रह होता है। बृहस्पति एक साल तक एक राशि में रहते हैं। जब जातक की कुंडली में बृहस्पति वक्री हो जाता है तो वह जातक को सदाचार और सहनशीलता वाला बनाता है

कुंडली के 12 घर पर वक्री बृहस्पति के प्रभाव

यदि बृहस्पति प्रथम लग्न स्थान में वक्री हो तो व्यक्ति में विशेष गुण प्राप्त होते हैं । वह मनुष्य ज्यादा गुणकारी और पूजनीय होता है। शरीर में सुंदरता बढ़ती है। ऐसा जातक समाज में अच्छा सम्मान पाता है और कई मामलों में सही न्याय करने में जातक से गलती हो जाती है यानी कि ऐसा जातक दूसरों के प्रति ज्यादा इमानदारी नहीं दिखा पाता।

जब बृहस्पति द्वितीय भाव में वक्री होता है तो जातक को कोई भी चीज आसानी से मिल जाती है। इस स्थिति में जातक ज्यादा खर्च करने लगता है क्योंकि उसे संपत्ति या वस्तु के प्रति आकर्षण बढ़ जाता हैं । ऐसे जातक लग्जरी घर और आभूषणों के शौकीन हो जाते हैं।

बृहस्पति तीसरे घर में स्थित होने पर वक्री होता है तो इसका जातक को शुभ परिणाम प्राप्त होता है। कठिन मेहनत करने की लगन लग जाती है और वह जल्दी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है और कई स्थिति में ऐसा होता है कि उसे अहंकार होने लगता है।

जब वक्री बृहस्पति चतुर्थ और पंचम घर में बैठा होता है तो जातक परिवार और समाज के प्रति उदार भाव नहीं रखता है। अपने ही बच्चों और पत्नी से सही तरह से बातचीत नहीं करता है। वक्री गुरु संतान सुख में बाधा डालता है।

छठे स्थान में वक्री गुरु जातक को बलशाली, प्रभावशाली और शक्तिशाली बना देता हैं जिससे वह सभी काम को आसानी से पूरा कर लेता है। शत्रु को परास्त करने में कामयाब होता है और अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है।

सप्तम भाव में बृहस्पति ग्रह वक्री होने पर जातक का विवाह बेहद खूबसूरत इंसान से होता हैं। उसका भाग्य जागने लगता है। जातक का जीवनसाथी धनवान परोपकारी और सुख देने वाला मिलता है। उसे संतान की प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है और जीवन में सब कुछ अच्छा होने लगता है।

जब बृहस्पति अष्टम भाव में बैठता है तो व्यक्ति तंत्र-मंत्र के चक्कर में पड़ जाता है । कई बार व्यक्ति अंधविश्वास में फंसकर अपना ही बुरा कर बैठता है। साथ ही, समय सही होने पर व्यक्ति बड़ा ज्योतिषी और धनवान भी बन जाता है।

नवम भाव में बैठा बृहस्पति व्यक्ति को धनवान और प्रभावशाली बनाता है। रंक से राजा बनाने में मदद करता है। मगर ऐसे व्यक्ति में क्रोध ज्यादा होता है और वह दूसरों की बातों को ज्यादा महत्व नहीं देता।

दशम भाव, बृहस्पति जातक को प्रतिष्ठा और मर्यादा रखने वाला होता हैं । धनी और सभी का प्रिय होता है। हर काम को बड़े ही संयम और सहजता के साथ करता है और दूसरों का भला करने में ही अपनी भलाई समझता है।

जब बृहस्पति वक्री होकर ग्यारहवें भाव में बैठता है तो वह व्यक्ति नरम स्वभाव का बनाता है। लोगों से बड़ी ही जल्दी दोस्ती हो जाती है और कई बार दोस्ती के चक्कर में बहुत धन बर्बाद कर देता है।

बारहवें भाव में वक्री गुरु जातक को शुभ कार्य करने में मदद करता है। साथ ही, आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त होते हैं गुरुओं का साथ और सहयोग प्राप्त होता है और शत्रुओं से दूरी बनी रहती है।

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वक्री बुध ग्रह

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वक्री बुध

बुध ग्रह को बुद्धि का ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।यह ग्रह पूरी तरह से हमारी बुद्धि से संबंधित है। बुध ग्रह के वक्री होने को बड़ा ही अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे मानसिकता पर असर पड़ता है और यदि मनुष्य की मानसिकता ही खराब हो जाए तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है आइए जानते हैं वक्री बुध बारे में

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वक्री बृहस्पति

किसी भी जातक की कुंडली में बैठे ग्रह की स्थिति यह निर्धारित करती है कि उस जातक के भाग्य में क्या होने वाला है। सामान्य तौर पर सभी ग्रह शुभ और अशुभ दोनों फल देते हैं किन्तु कई ग्रह ऐसे होते हैं जो वक्री होने पर मनुष्य की खुशियां बर्बाद कर देते हैं। मगर वही कुछ ग्रह ऐसे होते हैं यदि वह वक्री हो जाए तो किसी भी मनुष्य को भिकारी से राजा बना सकते हैं। आज हम आपको ग्रहों के गुरु बृहस्पति ग्रह के वक्री होने के प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं

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शुक्र वक्री

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का वक्री होना एक महत्वपूर्ण घटना कहलाती है। इस अवस्था में ग्रह आगे की ओर न चलकर पीछे की ओर चलते हैं जिसको वक्री कहा जाता है। शुक्र ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के लिए अनूठा रूप होता हैं। इस दौरान शुक्र ग्रह अपनी सामान्य गति से बढ़कर तेजी से कार्य करता है। वैवाहिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ग्रह की दशा देखकर है किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दांपत्य जीवन का सुख कब और कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

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वक्री शनि

वैदिक ज्योतिषी के अनुसार शनि ग्रह को बड़ा ही प्रभावशाली ग्रह माना गया है। शनि को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। मगर ऐसा भ्रम है कि कुंडली में शनि के प्रभाव से जातक के जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं। हालांकि यह तथ्य सही नहीं है क्योंकि शनि की शुभ और अशुभ दृष्टि इस बात पर निर्भर करती है कि शनि कुंडली के कौन से भाव में और किस स्थिति में विराजमान है इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कुंडली में उल्टी गति में भ्रमण करने पर यानी वक्री शनि होने पर जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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वक्री राहु

सभी ग्रहों में राहु को सबसे ज्यादा नीच और अशुभ ग्रह माना जाता है। यह जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसके भाग्य में दुख का कारण बन जाता है और उसके सभी काम इतने बिगड़ जाते हैं कि वह कभी भी संवर नहीं पाते। जातक के जीवन में अंधेरा सा छा जाता है और वह किसी भी काम को मन लगाकर नहीं कर पाता । हालांकि हर चीज का उपाय होता है इसलिए राहु की अशुभ दृष्टि से बचने की भी बहुत से उपाय बताए गए हैं। आज हम आपको वर्की राहु के प्रभाव के बारे में बताएंगे

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वक्री केतु

राहु के भांति ही केतु को भी बड़ा ही क्रूर ग्रह माना जाता है। यह दोनों ग्रह जीवन में अशुभ दृष्टि डालते हैं। यह दोनों ग्रह वक्री स्थिति में ही कुंडली में मौजूद रहते हैं जिससे जीवन में अशुभ दृष्टि तो पड़ती ही है मगर कई भाव ऐसे होते हैं जिनमें यह शुभ फल प्रदान भी करते हैं। आज हम आपको वक्री केतु के जातक पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

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वक्री मंगल

अक्सर आपने सुना होगा की कुंडली में बैठे ग्रह वक्री हो जाते हैं जो मनुष्य के जीवन को बर्बाद कर देते हैं तो कुछ ग्रह आबाद भी करते हैं। आज हम आपको सबसे पहले यह बताएँगे कि वक्री ग्रह होता क्या है साथ ही बताएँगे कि मंगल ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

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