प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे
Rahu Banner

वक्री राहु

सभी ग्रहों में राहु को सबसे ज्यादा नीच और अशुभ ग्रह माना जाता है। यह जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसके भाग्य में दुख का कारण बन जाता है और उसके सभी काम इतने बिगड़ जाते हैं कि वह कभी भी संवर नहीं पाते। जातक के जीवन में अंधेरा सा छा जाता है और वह किसी भी काम को मन लगाकर नहीं कर पाता । हालांकि हर चीज का उपाय होता है इसलिए राहु की अशुभ दृष्टि से बचने की भी बहुत से उपाय बताए गए हैं। आज हम आपको वर्की राहु के प्रभाव के बारे में बताएंगे

राहु के वक्री होने पर जातक के जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार कहा गया है कि कुंडली में सूर्य चंद्रमा हमेशा सीधा और सामान्य दिशा में ही चलते हैं वह कभी वक्री नहीं होते लेकिन राहु और केतु ऐसे ग्रह है जो हमेशा उलटी दिशा यानी वक्री होते हैं। ऐसा नहीं है कि वर्की राहु होने पर जातक को अशुभ ही फल मिलते हैं।ऐसा देखा गया हैं कि कई कुंडली में वक्री राहु शुभ फल देता है।

कुंडली के बारह भाव में राहु का प्रभाव

जब वक्री राहु प्रथम भाव में विराजमान होता है तो जातक का पारिवारिक जीवन संकट में आता है और जीवन साथी से बिना बजे लड़ाई झगड़े बढ़ते हैं।

द्वितीय भाव में वक्री राहु होने पर जातक में डर उत्पन्न होता है। विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन नहीं लग पाता वह किसी भी परीक्षा को देने से डरने लगते हैं और जातक भी कंजूसी का भी भाव आ जाता है।

तृतीय भाव में वक्री राहु जातक को शुभ फल देता है वह जातक को बुद्धिमान और बलवान बनाने में सहायता करता है।

चतुर्थ भाव में वक्री राहु जातक को बड़ा ही घमंडी, क्रूर और अधर्मी बना देता हैं। वह अपने माता पिता को कष्ट देने लगता है और किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करता।

पंचम भाव में वक्री राहु होने पर जातक को संतान की ओर से कष्ट मिलने लगता है। जातक की संतान बुरे कार्यों की तरफ बढ़ने लगती है।

षष्ठ भाव में यदि राहु वक्री होता है तो बड़ा ही अच्छा फल प्राप्त होता है। जातक को आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। घर में लक्ष्मी का निवास रहता है और सुख शांति बनी रहती है।

यदि सप्तम भाव में राहु वक्री हो जाता है तो जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। जातक समझ नहीं पाता है कि वह किस तरह से अपने जीवन के सही फैसले ले। जातक लोभी और रोगी भी हो जाता है।

अष्टम भाव में राहु के वक्री होने से जातक के साथ कोई आकस्मिक दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती हैं ।

नवम भाव में राहु के वक्री होने से जातक को धर्म नष्ट करने का पाप लगता है। वह अधर्मी कार्यों में अपनी रुचि बढ़ा देता है।

दशम भाव में राहु के वक्री होने पर पारिवारिक जीवन का सुख नहीं मिलता। विवाह के योग्य बनते बनते बिगड़ जाते हैं। भोग-विलास में अपना समय नष्ट करने लगता है।

एकादश भाव में राहु वक्री होकर बैठने से सुख अनुभूति होती है।जीवन में अचानक से खुशियां आने लगती हैं और सब कुछ अच्छा और बेहतर हो जाता है।

द्वादश भाव में वर्की राहु के विराजमान होने से जातक पर दुखों का पहाड़ टूटने लगता है। वह गलत राह पर चलने को अग्रसर हो जाता है। बुद्धिमान व्यक्ति भी बुद्धिहीन हो जाता है और गलत कामों में रुचि लेने लगता है।

Banner1
Banner1
Ad

वक्री बुध ग्रह

picture

ज्योतिषियों से बात करे

क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

आगे पढ़े
picture

वक्री बुध

बुध ग्रह को बुद्धि का ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।यह ग्रह पूरी तरह से हमारी बुद्धि से संबंधित है। बुध ग्रह के वक्री होने को बड़ा ही अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे मानसिकता पर असर पड़ता है और यदि मनुष्य की मानसिकता ही खराब हो जाए तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है आइए जानते हैं वक्री बुध बारे में

आगे पढ़े
picture

वक्री बृहस्पति

किसी भी जातक की कुंडली में बैठे ग्रह की स्थिति यह निर्धारित करती है कि उस जातक के भाग्य में क्या होने वाला है। सामान्य तौर पर सभी ग्रह शुभ और अशुभ दोनों फल देते हैं किन्तु कई ग्रह ऐसे होते हैं जो वक्री होने पर मनुष्य की खुशियां बर्बाद कर देते हैं। मगर वही कुछ ग्रह ऐसे होते हैं यदि वह वक्री हो जाए तो किसी भी मनुष्य को भिकारी से राजा बना सकते हैं। आज हम आपको ग्रहों के गुरु बृहस्पति ग्रह के वक्री होने के प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं

आगे पढ़े
picture

शुक्र वक्री

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का वक्री होना एक महत्वपूर्ण घटना कहलाती है। इस अवस्था में ग्रह आगे की ओर न चलकर पीछे की ओर चलते हैं जिसको वक्री कहा जाता है। शुक्र ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के लिए अनूठा रूप होता हैं। इस दौरान शुक्र ग्रह अपनी सामान्य गति से बढ़कर तेजी से कार्य करता है। वैवाहिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ग्रह की दशा देखकर है किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दांपत्य जीवन का सुख कब और कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

आगे पढ़े
picture

वक्री शनि

वैदिक ज्योतिषी के अनुसार शनि ग्रह को बड़ा ही प्रभावशाली ग्रह माना गया है। शनि को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। मगर ऐसा भ्रम है कि कुंडली में शनि के प्रभाव से जातक के जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं। हालांकि यह तथ्य सही नहीं है क्योंकि शनि की शुभ और अशुभ दृष्टि इस बात पर निर्भर करती है कि शनि कुंडली के कौन से भाव में और किस स्थिति में विराजमान है इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कुंडली में उल्टी गति में भ्रमण करने पर यानी वक्री शनि होने पर जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

आगे पढ़े
picture

वक्री राहु

सभी ग्रहों में राहु को सबसे ज्यादा नीच और अशुभ ग्रह माना जाता है। यह जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसके भाग्य में दुख का कारण बन जाता है और उसके सभी काम इतने बिगड़ जाते हैं कि वह कभी भी संवर नहीं पाते। जातक के जीवन में अंधेरा सा छा जाता है और वह किसी भी काम को मन लगाकर नहीं कर पाता । हालांकि हर चीज का उपाय होता है इसलिए राहु की अशुभ दृष्टि से बचने की भी बहुत से उपाय बताए गए हैं। आज हम आपको वर्की राहु के प्रभाव के बारे में बताएंगे

आगे पढ़े
picture

वक्री केतु

राहु के भांति ही केतु को भी बड़ा ही क्रूर ग्रह माना जाता है। यह दोनों ग्रह जीवन में अशुभ दृष्टि डालते हैं। यह दोनों ग्रह वक्री स्थिति में ही कुंडली में मौजूद रहते हैं जिससे जीवन में अशुभ दृष्टि तो पड़ती ही है मगर कई भाव ऐसे होते हैं जिनमें यह शुभ फल प्रदान भी करते हैं। आज हम आपको वक्री केतु के जातक पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

आगे पढ़े
picture

वक्री मंगल

अक्सर आपने सुना होगा की कुंडली में बैठे ग्रह वक्री हो जाते हैं जो मनुष्य के जीवन को बर्बाद कर देते हैं तो कुछ ग्रह आबाद भी करते हैं। आज हम आपको सबसे पहले यह बताएँगे कि वक्री ग्रह होता क्या है साथ ही बताएँगे कि मंगल ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

आगे पढ़े
picture

त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

आगे पढ़े
Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp