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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है। इसके तापमान की बात करें तो यह तापमान 100000 डिग्री सेल्सियस में नापा जाता है। पृथ्वी से इसकी दूरी 9 करोड़ 30 लाख मील यानी 14 करोड किलोमीटर से अधिक बताई गई है। सूर्य को सभी ग्रहों के अंदर सबसे अधिक प्रकाशमान होने का श्रेय प्राप्त हुआ है तथा सर्व ग्रहों में सबसे अधिक शक्तिशाली होने के कारण सूर्य को सौरमंडल में राजा का पद दिया गया है। सूर्य ग्रह इसके बावजूद भी पृथ्वी के लोगों को घूमता हुआ प्रतीत होता है। आम बोलचाल की भाषा में बोले तो सूर्य पूर्व से निकलता है और पश्चिम में अस्त हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का बड़ा महत्व बताया गया है।

सूर्य जातक की कुंडली में अगर सही स्थान पर मौजूद है तो इससे जातक में मनोबल, शक्ति व इच्छाशक्ति अच्छी रहती है। वहीँ जातक लगातार सकारात्मक विचारों की तरफ आकर्षित होता रहता है। ऐसा जातक जिसकी कुंडली में सूर्य उच्च का होकर बैठा है ऐसे जातक व्यवसाय में सफल होते हुए नजर आते हैं। सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में आत्मा का अधिष्ठाता बोला गया है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य बलवान होगा तो आत्मा बलवान होती हुई नजर आएगी। सूर्य के कारक तत्वों की बात करें तो सूर्य राज्य, राजत्व, माणिक्य, सोना, रक्त, कपड़ा, पिता, पर्वत, आत्मा, शरीर, प्रकाश आदि के लिए कारक बोला गया है। सूर्य, सिंह राशि का स्वामी होता है। यदि सूर्य कुंडली में सिंह राशि के साथ विराजमान है तो उस घर के सभी लाभ प्रदान करता हुआ नजर आता है। कुंडली में यदि सूर्य की स्थिति सही नहीं है तो व्यक्ति को दिमाग, संबंधी रोग, जिगर संबंधी रोग, हड्डी टूटना, नेत्र रोग, ज्वर शरीर में जलन, हृदय रोग आदि होते हुए नजर आते हैं। सिंह राशि के साथ कुंडली में यदि सूर्य बैठा हुआ है तो वह जातक स्वाभिमानी होता है, तेजस्वी होता है, बलवान, उदार, बुद्धिमान, उग्र स्वभाव वाला, पर्वत में प्रसन्न रहने वाला, दूसरों पर अधिकार जताने वाला होता है।

वैदिक ज्योतिष में सूर्य

ज्योतिष में सूर्य को देवता का दर्जा प्राप्त है। सूर्य व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करता हुआ नजर आता है। हिंदू धर्म में सूर्य देवता को देव का दर्जा प्राप्त है और इसीलिए व्यक्ति सूर्य देव की पूजा करता हुआ नजर आता है। सूर्य सभी ग्रहों में बहुत विशाल है। ज्योतिष में ऐसा बोला गया है कि यदि सूर्य की महादशा चल रही है तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में उच्च का होता है जबकि तुला राशि में इसे नीच का बताया गया है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य लग्न में बैठा है तो उस व्यक्ति का चेहरा बड़ा और गोल होता है। साथ ही साथ आंखों का रंग भी लाल होता हुआ नजर आता है।

सूर्य पुरुषों के लिए दाईं आँख और स्त्रियों की बाई आंख के लिए कारक बताया गया है। कुंडली में यदि सूर्य पीड़ित है तो उस व्यक्ति को हृदय और आंख से संबंधित रोग होते हुए नजर आते हैं। चेहरे पर मुंहासे, तेज बुखार, टाइफाइड जैसी बीमारियां सूर्य के कारण होती हैं। जन्मपत्री में सूर्य यदि अच्छे स्थान पर बैठा हुआ है तो इसके जातक को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और उसकी मनचाही इच्छाएं पूरी होती नजर आती हैं। व्यवसाय के लिए भी यह महत्वपूर्ण बताया गया है। सूर्य के कारण व्यक्ति में मनोबल आता हुआ नजर आता है। सूर्य कुंडली में अच्छी स्थिति में मौजूद है तो इससे जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं और उसके बिगड़े हुए कार्य बन जाते हैं। व्यक्ति समाज में काफी मान सम्मान भी प्राप्त करता है।

कुंडली के अंदर सूर्य सरकारी नौकरी को भी दर्शाता है। यदि सूर्य अच्छी स्थिति में है और अपने घर में बैठा हुआ है तो उस स्थिति में जातक को आसानी से सरकारी नौकरी प्राप्त हो जाती है और वह उच्च पद पर बैठता हुआ नजर आता है।

सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का तांत्रिक मंत्र ॐ घृणि सूर्याय नमः

सूर्य का बीज मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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