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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है। पाश्चात्य लोगों ने मंगल को युद्ध का देवता भी बोला है। मंगल साहस, स्फूर्ति और आत्मविश्वास देने वाला ग्रहण बताया गया है। इसलिए इस ग्रह को मंगल कहते हैं। कुछ परिस्थितियों में कुंडली के अंदर मंगल अमंगलकारी भी हो जाता है जैसे कि कुंडली में यदि कहीं कुछ ख़ास घर में मंगल विराजमान हो तो जातक मांगलिक हो जाता है और ऐसे जातक को विवाह संबंधी बड़ी-बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

मंगल ग्रह कुंडली ज्योतिष में ऊर्जा, भाई, शक्ति, साहस, पराक्रम और शौर्य का कारण बताया गया है। मेष और वृश्चिक राशि के यह स्वामी होते हैं। मकर राशि में मंगल उच्च होते हैं और कर्क राशि में नीच के कहलाए जाते हैं। वहीँ नक्षत्रों के अंदर मंगल को मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी बोला गया है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल युद्ध के अंदर विजय दिलाने वाला ग्रह बोला गया है ऐसे जातक जिनका मंगल शक्तिशाली होता है वह बड़े-बड़े युद्ध में शानदार जीत दर्ज करते हैं वही दुश्मनों को आसानी से हराते हुए नजर आते हैं। लेकिन अगर कुंडली के अंदर मंगल कहीं गलत घर के अंदर गलत स्थिति में बैठे हुए हो तो यह बहुत अधिक परेशान करने का काम भी जाता को करते हैं। कुंडली के अंदर मंगल यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठे हुए हो तो वह जातक मांगलिक हो जाता है और ऐसे जातक को विवाह में देरी वह कई तरीके की रुकावट का सामना करना पड़ता है।

मनुष्य के जीवन पर मंगल का प्रभाव

मनुष्य के जीवन पर मंगल का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हुआ नजर आता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल शक्तिशाली होता है और बलवान होता है ऐसे लोग सही से पूरी तरीके से स्वस्थ होते हैं। सुंदरता से भरपूर यह लोग होते हैं। इनकी ऊर्जा शक्ति काफी अधिक होती है और यह जातक असंभव से असंभव काम भी करते हुए नजर आते हैं लेकिन मंगल का शक्तिशाली होना व्यक्ति को कहीं ना कहीं अभिमानी भी बना देता है।

शक्तिशाली मंगल

जिन जातकों की कुंडली में मंगल बलवान होता है यानी कि मंगल सही घर में और सही राशि के साथ विराजमान होते हैं ऐसे जातक साहसी और निडर होते हैं। आत्मविश्वास इनके अंदर काफी अधिक झलकता हुआ नजर आता है। खेल के क्षेत्र में यह जातक तरक्की करते है। कला के क्षेत्र में इनको सफलता प्राप्त होती हुई नजर आती है। यहां तक कि व्यक्ति के भाई बहन भी व्यवसाय में बड़ी तरक्की करते हुए नजर आते हैं। माता-पिता का साथ इन लोगों को मिलता हुआ नजर आता है।

कमजोर मंगल का प्रभाव

वहीं अगर जातक की कुंडली में मंगल कमजोर है तो ऐसे जातक डरे डरे रहते हैं और कार्य के क्षेत्र में किसी भी तरीके का रिस्क लेने से डरते हैं। आत्मविश्वास की कमी इनके अंदर साफ साफ झलकती है। पारिवारिक जीवन में भी यह बहुत बड़ी बड़ी दिक्कतों का सामना करते हैं। जमीन से संबंधी विवाद और कर्ज जैसी समस्याओं से यह घिरे हुए रहते हैं।

मेष से वृषभ सोमवार, 22 फरवरी, 2021 05:04 पूर्वाह्न
वृषभ से मिथुन बुधवार, 14 अप्रैल, 2021 01:41 पूर्वाह्न
मिथुन से कर्क 2 जून, 2021 07:17 पूर्वाह्न
कर्क से सिंह 20 जुलाई, 2021 06:19 पूर्वाह्न
सिंह से कन्या 6 सितंबर, 2021 04:22 पूर्वाह्न
कन्या से तुला 22 अक्टूबर, 2021 02:26 पूर्वाह्न
तुला से वृश्चिक 5 दिसंबर, 2021 06:21 पूर्वाह्न
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ग्रह गोचर

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क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

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बुध गोचर

कुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।

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बृहस्पति गोचर

धन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।

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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।

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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।

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चंद्रमा गोचर

चंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।

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केतु ग्रह

केतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.

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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।

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सूर्य ग्रहण

ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं

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चन्द्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है

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