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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है। राहु और केतु के जन्म की कहानी उस समय शुरू हुई जब देवता और राक्षसों के बीच में समुद्र से अमृत निकाला जा रहा था। जिस समय अमृत निकाला जा रहा था तब देवताओं ने राक्षसों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु से निवेदन किया था कि वह कुछ ऐसा करें कि जिससे राक्षस अमृत पीने से बच जाए। और दुनिया में अनर्थ होने से रह जाए। तब भगवान विष्णु ने एक स्त्री का रूप धारण किया था जिसका नाम मोहिनी रखा गया था।

राहु ग्रह से जुड़ी हुई कहानी

जब अमृत को समुद्र से निकाला गया तब तय किया गया कि देवता और राक्षस दोनों ही अलग-अलग पंक्ति बनाकर बैठ जाए ताकि सभी को एक-एक करके अमृत दे दिया जाए। असुरों को यह प्लान अच्छा लगा था और सभी अलग-अलग पंक्ति बना कर बैठ गए थे। तभी अमृत पिलाने का कार्य मोहिनी को दिया गया था। मोहनी का रूप देखकर असुर मंत्रमुग्ध हो गए थे और वह अमृत को ना देखकर केवल और केवल मोहिनी को देख रहे थे। तभी एक असुर ऐसा भी था जो कि छुपकर और रूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया था। यह बात चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को बताई। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का सर काट दिया था क्योंकि उसने अमृत पी लिया था और वह अमर हो गया था। तब उस राक्षस के सर को राहु बोला गया और नीचे के शरीर को केतू बोला गया तभी से राहु-केतु का जन्म हुआ और ज्योतिष में यह दोनों ही ग्रह लगातार अपना प्रभाव डालते हुए नजर आते हैं।

ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्त्व

राहु ग्रह के मित्रों की बात करें तो शनि, बुध, शुक्र, राहु ग्रह के मित्र होते हैं वही सूर्य, चंद्रमा और मंगल राहु के दुश्मन बोले गए हैं। वृष राशि में राहु उच्च का होता है तो वही वृश्चिक राशि में यह नीच का कहलाता है। राशि परिवर्तन करने में राहु 18 दिन लेता है।

ऐसा नहीं है कि राहु हमेशा कुंडली में बुरे प्रभाव भी देता है। यदि राहु कुंडली के अंदर बलवान होकर बैठा है तो यह अचानक जातक को बहुत अधिक धन प्रदान करता हुआ नजर आता है। यहां तक कि यह व्यक्ति को अचानक ही धन प्राप्ति करा देता है। राहु की स्थिति अगर कुंडली में अच्छी है तो जातक राहु की मदद से सरकारी नौकरी में भी सफलता हासिल करता हुआ नजर आता है। साथ ही साथ राहु की मदद से जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है।

मेष से वृष राशि गुरुवार, 23 सितंबर, 2021, 12:52 PM
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ग्रह गोचर

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बुध गोचर

कुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।

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बृहस्पति गोचर

धन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।

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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।

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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।

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चंद्रमा गोचर

चंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।

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केतु ग्रह

केतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.

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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।

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सूर्य ग्रहण

ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं

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चन्द्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है

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