ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जाने के बाद ग्रहण संबंधित सभी उलझन दूर हो जाएंगी-
हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण का बड़ा महत्व है। वैदिक शास्त्र में सूर्य ग्रहण के महत्व को समझाया और बताया गया है। सूर्य ग्रहण को लेकर कई प्रकार के अंधविश्वास भी फैले हुए हैं। मगर वैज्ञानिक रूप से सभी तथ्य खगोलीय घटना पर आधारित हैं। पुरानी कथाओं के अनुसार माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान देवता और दानव के बीच युद्ध होने लगा तो असुर जीत गए और वह देवताओं से अमृत को छीन कर ले गए। कुछ अमृत पाने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धरकर असुरों से अमृत ले लिया, जो भगवान विष्णु अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे। तब राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच में जाकर अमृत पीने बैठ गया जैसे ही उसने अमृत पीया, सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह कोई असुर है। सभी देवताओं ने उससे अमृत को छीन लिया राहु ने तुरंत अपना रूप धारण कर लिया और वह देवताओं से युद्ध करने लगा। भगवान विष्णु ने राहु पर सुदर्शन चक्र से वार किया मगर राहु अमृत पी चुका था इसलिए वह मरा नहीं उसका सिर और धड़ राहु और केतु के रूप में अमर हो गए। ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है।
हालांकि वैज्ञानिकों का मानना यह है कि यह पूरी तरह से खगोलीय घटना है जिसमें सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं जिससे चंद्रमा सूर्य की उपछाया से होकर गुजरता है और उनकी रोशनी फीकी पड़ने लगती है।
दरअसल सूर्य ग्रहण कब लगता है जब और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की रोशनी, चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती। चंद्रमा की वजह से जब सूर्य ढकने लगता है तो इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
1. सूर्य का चंद्रमा से केवल 1 भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं
2. और जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा की पीछे छिपता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जाता है
मनुष्य के जीवन पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव ज्योतिषी और वैज्ञानिकों के अनुसार अलग-अलग माना गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य ग्रहण का मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जबकि ज्योतिष ग्रहण का बड़ा महत्व माना गया है। इसका प्रभाव नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है। आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण किस प्रकार से मनुष्य के जीवन को प्रभावित करता है-
1. माना जाता है कि जिस दिन सूर्य ग्रहण पड़ता है उस दौरान गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए। ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिला पर पड़ सकता है।
2. ग्रहण काल में घर के जरूरी काम नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे काम करने में बाधा आने के साथ-साथ नुकसान होने की संभावना होती है।
3. सूर्य ग्रहण के समय कभी भी घर से बाहर निकल कर नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए, इसका प्रभाव आंखों पर पड़ सकता है।
4. ग्रहण के समय मंदिर बंद कर दिए जाते हैं। भोजन बनाने और खाने पर भी प्रतिबंध होता है।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक राशियों के अनुसार ग्रहण कब बुरा प्रभाव पड़ सकता है-
माना जाता है कि ग्रहण खत्म होने पर स्नान करना चाहिए और ग्रहण के दिन दान देने का भी विशेष महत्व माना गया है।
सूर्य ग्रहण के समय सब्जी काटना, कपड़ों की सिलाई करना, कपड़े धोना और नुकीले सामानों को उपयोग करने से बचना चाहिए।
ग्रहण के समय आर्थिक क्षति का योग बन जाता है। लेन-देन और कारोबार में हानि हो जाती है।
कई बार पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण हो जाता है, जिससे सेहत में उतार-चढ़ाव आ जाता है।
ग्रहण के समय कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। जरूरी काम करने से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण का पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 | शुरू होगा 13:42 भारत में नहीं |
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पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 | खत्म होगा 18:41 भारत में नहीं |
दूसरा सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर 2021 | शुरू होगा 10:59 भारत में नहीं |
दूसरा सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर 2021 | खत्म होगा 15:07 भारत में नहीं |
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आगे पढ़ेकुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।
आगे पढ़ेधन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।
आगे पढ़ेसूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।
आगे पढ़ेशनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.
आगे पढ़ेविज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।
आगे पढ़ेज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।
आगे पढ़ेचंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।
आगे पढ़ेकेतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.
आगे पढ़ेज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।
आगे पढ़ेग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं
आगे पढ़ेचंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है
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