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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है। सरकारी नौकरी, उच्च पद और व्यक्ति का स्वभाव और मनोबल कैसा होगा यह सब सूर्य की दशा पर निर्भर करता है। सिंह राशि का स्वामी सूर्य अन्य ग्रहों के मुकाबले व्यक्ति को ऊर्जावान, मजबूत मनोबल, निडरता नेतृत्व क्षमता की खूबियों से परिपूर्ण बनाता है। सूर्य को अर्क ,अरुण और भास्कर जैसे अन्य नामों से भी सुशोभित किया जाता है।

मेष राशि में उच्च का रहने वाला सूर्य तुला राशि में नीच का होता है। जबकि अन्य ग्रह शनि और शुक्र के साथ सूर्य का शत्रुता पूर्ण रिश्ता है जबकि चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति के साथ सूर्य की अच्छी बनती है। कई पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और शनि को पिता और पुत्र के तौर पर बताया गया है किंतु इन दोनों के बीच आपसी तालमेल नहीं देखा जाता। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो इस दौरान व्यक्ति को सूर्य से प्राप्त होने वाले अच्छे प्रभावों में बढ़ोतरी देखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की रोज सुबह जल चढ़ाने से उसके गुणों को अपने अंदर आत्मसात किया जा सकता है बल्कि कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।

सूर्य के गुण और उसके फल

ज्योतिष के अनुसार सूर्य प्रत्येक राशि में भ्रमण करता है जिसका प्रभाव समय-समय पर प्रत्येक राशि पर जरूर पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति समाज में मान सम्मान प्रतिष्ठा और उच्च पद के लिए प्रयासरत है तो उसको सूर्य की उपासना करने से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता जरूर मिलती है। सप्ताह के सभी दिन प्रत्येक ग्रह से जुड़े हुए हैं जिसमें की रविवार का दिन विशेष तौर पर सूर्य की उपासना के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है। व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति को देखकर उसके जीवन में पिता से मिलने वाले सहयोग और इसमें को जाना जा सकता है। सकारात्मक विचारों को आकर्षित करने वाला यह ग्रह व्यक्ति को मजबूत मनोबल और दृढ़ इच्छा शक्ति प्रदान करता है जिसके चलते ऐसा देखा गया है कि व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पद पर आसीन होता है और सरकारी सहयोग प्राप्त करने वाला बनता है।

सूर्य को मजबूत करने के लिए रविवार के दिन व्रत और पूजा पाठ करना चाहिए। साथ ही गुड और तांबे से जुड़ी चीजों को जरूरतमंद व्यक्ति को दान में देना चाहिए। केसरिया रंग के वस्त्र को धारण करने से भी सूर्य को प्रश्न किया जा सकता है और उससे मिलने वाले गुणों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अन्य ग्रह के साथ अच्छी स्थिति में ना हो तो ऐसे में माणिक धारण करने से सूर्य की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है और उसके अच्छे गुणों को आत्मसात करने में सहायता मिलती है।

सूर्य के बुरे प्रभाव

व्यक्ति की आत्मा के रूप में सूर्य को पहचाना जाता है किंतु यदि यही आत्म स्वरूप सूर्य शनि योग गुरु के प्रभाव से पीड़ित होता है तो ऐसे में व्यक्ति का स्वरूप बिल्कुल विपरीत हो जाता है। नेत्र, ह्रदय और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी व्यक्ति पीड़ित हो सकता है। दूसरों के प्रति उदासीन, अहंकार में चूर, क्रोध और आलसी प्रवृत्ति व्यक्ति में देखी जाती है। जीवन में स्थायित्व को लाने वाला यह ग्रह यदि कमजोर स्थिति में हो तो विपत्ति, परेशानी और रोग जीवन में बना रहता है। यदि किसी स्त्री की कुंडली में सूर्य की स्थिति दुर्बल होती है तो उसके पति और उसके बीच क्लेश और सांसारिक सुखों की कमी देखी जाती है।

सूर्य का मनुष्य पर प्रभाव

सूर्य को ज्योतिष में मनुष्य के लिए आत्मा बोला गया है। सूर्य आत्मा और पिता का कारक होता है। कुंडली में यदि व्यक्ति के लिए सूर्य अच्छी स्थिति में हैं तो ऐसा जातक पिता से धन संपत्ति प्राप्त करता हुआ नजर आता है और ऐसे व्यक्ति के पिता का व्यापार भी बहुत अच्छा चलता हुआ दिखता है। लग्न में यदि सूर्य बैठे हुए हैं तो जातक का मनोबल काफी ऊंचा रहता है और वह बहुत अधिक सफलता प्राप्त करता हुआ नजर आता है किंतु स्वास्थ्य संबंधी और खासकर आंखों से संबंधित रोग मनुष्य को परेशान करते हुए नजर आते हैं।

सूर्य कुंडली के सातवें घर के लिए भी अच्छा बोला गया है जो कि वैवाहिक घर होता है। साथ ही साथ सूर्य अगर कुंडली में नौवें और दसवें घर में भी बैठा है तो वहां पर भी है लाभ देता हुआ नजर आता है लेकिन शर्त यही होती है कि वह नीच राशि में ना हो और शत्रु राशि के साथ ना बैठा हो।

राजा स्वरूप यह सूर्य ग्रह व्यक्ति को बेहतर भविष्य के लिए प्रेरणादायक साबित होता है। सूर्य की स्थिति को जाने के लिए आज ही उपाय करें और अपने जीवन को सुखद बनाएं।

धनु से मकर 14 जनवरी 2021 08:29 पूर्वाह्न
मकर से कुंभ 12 फरवरी 2021 09:27 पूर्वाह्न
कुंभ से मीन 14 मार्च 2021 06:19 पूर्वाह्न
मीन से मेष 14 अप्रैल 2021 02:49 पूर्वाह्न
मेष से वृष 14 मई 2021 11:41 पूर्वाह्न
वृष से मिथुन 15 जून 2021 06:17 पूर्वाह्न
मिथुन से कर्क 16 जुलाई 2021 05:09 पूर्वाह्न
कर्क से सिंह 17 अगस्त 2021 01:33 पूर्वाह्न
सिंह से कन्या 17 सितम्बर 2021 01:29 पूर्वाह्न
कन्या से तुला 17 अक्तूबर 2021 01:28 पूर्वाह्न
तुला से वृश्चिक 16 नवम्बर 2021 01:18 पूर्वाह्न
वृश्चिक से धनु 16 दिसम्बर 2021 03:59 पूर्वाह्न
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ग्रह गोचर

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ज्योतिषियों से बात करे

क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

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बुध गोचर

कुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।

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बृहस्पति गोचर

धन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।

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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।

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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।

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चंद्रमा गोचर

चंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।

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केतु ग्रह

केतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.

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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।

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सूर्य ग्रहण

ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं

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चन्द्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है

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