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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है। भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में इसे कामवासना का प्रतीक माना गया है। श्वेत वर्ण, रमणीय, शरीर सुंदर नेत्र, वात कफ प्रकृति, घुंघराले बाल, विलासी, स्वार्थी, मृदु स्वभाव, रजोगुण तेजस्वी गुणों के लिए शुक्र को जिम्मेदार माना गया है। सुंदरता, प्रेम, आकर्षण से संबंधित ग्रह बोला गया है। स्त्री और पुरुष दोनों के ही जननांगों पर यह गहरा प्रभाव डालता हुआ नजर आता है। यह एक शुभ स्त्री ग्रह है और पुरुष के लिए एक अच्छी पत्नी प्रदाता ग्रह बोला गया है। संगीत, नृत्य, ललित कला, राग रंग, मनोरंजक साधन, टीवी चलचित्र, रूप सौंदर्य, सांसारिक सुख, भोग विलास, वाहन, सौंदर्य इत्यादि क्षेत्रों के ऊपर शुक्र का अधिकार बोला गया है।

शुक्र ग्रह की प्रवृत्ति रचनात्मक होती है और यह पूर्णतया सांसारिक ग्रह होता है। यह ग्रह सर्वगुण संपन्न, मिलनसार और सामाजिक रूप से संपन्न ग्रह बोला गया है। समझौतावादी, शांति कारक एवं मैत्री संबंध बनाने वाला यह होता है। शुक्र ग्रह, वृष एवं तुला राशि का स्वामी बोला गया है। शुक्र से संबंधित यदि रोगों की बात करें तो यह कफ वात रोग, वीर्य विकार, मधुमेह, गुप्त रोग इत्यादि से संबंधित बोला गया है। शुक्र ग्रह के मित्र ग्रहों की बात करें तो बुध एवं शनि शुक्र ग्रह इसके मित्र हैं। मंगल और गुरु सम बोले गए हैं और शत्रु ग्रहों में सूर्य एवं चंद्रमा शुक्र के शत्रु रहते हैं। शुक्र एक शुभ ग्रह बोला गया है। शुक्र यदि लग्न में वृष के साथ है तो जातक बुद्धिमान, आवेश पूर्ण,अस्थिर मन वाला, स्वपन जगत में विचार करने वाला होता है। वहीं अगर तुला राशि का शुक्र होने पर जातक सुंदर होता है, कुशाग्र बुद्धि होती है।उदर होता है, मिलनसार, धनवान होता है, काम एवं कला प्रेमी होता है, सुखी विवाहित जीवन जीने वाला होता है। लंबी यात्रा करने वाला प्रसिद्ध एवं बुद्धिमानी होता है।

ज्योतिष में शुक्र ग्रह

शुक्र ग्रह को ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण ग्रह बोला गया है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह एक शुभ ग्रह होता है। शुक्र ग्रह, वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है। मीन राशि में यह उच्च का होता है जबकि कन्या में शुक्र नीच का हो जाता है। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है। शुक्र एक राशि में लगभग 23 दिन तक रहते हुए दिखते हैं। लग्न में अगर शुक्र होता है तो यह बेहद अच्छा बोला गया है। शुक्र की लगन होने पर जातक सुंदर होता है। ऐसे जातक अच्छे वक्ता होते हैं और अपनी भाषा के दम पर यह बहुत नाम कमाते हुए नजर आते हैं। कला के क्षेत्र में इन लोगों को खास सफलता प्राप्त होती हुई नजर आती है। शुक्र का प्रभाव अगर कुंडली में सातवें घर पर पड़ रहा है तो ऐसे जातक वैवाहिक सुख लेते हुए नजर आते हैं। विवाह संबंधी कार्यों के लिए शुक्र का अच्छा होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि शुक्र कुंडली में कमजोर है तो उसको वैवाहिक सुख नहीं प्राप्त हो पाता है या फिर देरी से विवाह होता हुआ नजर आता है। शुक्र को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग विलास, शोहरत, कला, सौंदर्य, रोमांस और कामवासना का कारक बोला गया है। शुक्र ग्रह के मित्रों की बात करें तो बुध और शनि शुक्र के मित्र होते हैं वही सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु कहलाते हैं।

ज्योतिष में बोला गया है कि इस शुक्र का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में हर क्षेत्र पर पड़ता हुआ नजर आता है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसके ऊपर शुक्र का प्रभाव नहीं पड़ता हो। कुंडली में अगर शुक्र शक्तिशाली है और बलवान है तो शुक्र के बाद उस जातक को अन्य ग्रहों की बहुत अधिक मदद नहीं चाहिए होती है। अकेले शुक्र ही उस जातक के जीवन को चमकाने का काम करते हैं।

शुक्र ग्रह का मनुष्य पर प्रभाव

कुंडली के अंदर यदि शुक्र बलवान है तो यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को सुखी बनाते हैं। पति-पत्नी के बीच में विवाद कम होते हुए नजर आते हैं। व्यक्ति की रोमांस लाइफ भी अच्छी गुजरती हुई नजर आती है। जातक को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हुई नजर आती है। साथ ही साथ साहित्य और कला के क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति को काफी मान सम्मान प्राप्त होता हुआ नजर आता है।

लेकिन वही कुंडली के अंदर शुक्र कमजोर है तो जातकों को सबसे पहले वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पति पत्नी के बीच विवाद होते हुए नजर आते हैं। व्यक्ति के जीवन में गरीबी आती है और भौतिक सुखों का अभाव रहता हुआ नजर आता है। साथ ही साथ जातक को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक दुखों का भी सामना करना पड़ता है। शुक्र अगर कुंडली में कमजोर होते हैं तो ऐसे व्यक्ति की कामुक शक्ति भी कमजोर होती हुई दिखती है। किडनी के ऊपर भी शुक्र का प्रभाव रहता है। कमजोर शुक्र किडनी संबंधी रोग उत्पन्न करता हुआ नजर आता है।

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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