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अमरनाथ की यात्रा


Thursday, 18 March 2021
अमरनाथ की यात्रा

अमरनाथ की यात्रा

 

भगवान शिव की महिमा निराली है, हिंदू धर्म में उनका पूजन विधि विधान से किया जाता है। पूरी दुनिया में उनके लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त हैं और हर कोई भगवान भोलेनाथ को अलग अलग तरीके से मनाता है। शिव के धाम अनेक है लेकिन उन सब में सबसे ज्यादा मुश्किल यात्रा वाला अमरनाथ धाम है। इसकी यात्रा करना आसान बात नहीं है। अमरनाथ गुफा शिव को बहुत प्रिय है, जो लोग अमरनाथ की यात्रा करते हैं। उन पर भगवान भोलेनाथ की हमेशा कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं अमरनाथ की पवित्र गुफा मंदिर की विशेषताएं और इतिहास

 

 

अमरनाथ का मंदिर भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित है। यह मंदिर लाखों करोड़ों भक्तों के लिए जीवन दायक है। अमरनाथ का मंदिर एक पवित्र गुफा के रूप में स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है जबकि यह गुफा 11 मीटर ऊंची है। इस परम पवित्र गुफा में भगवान शिव का पूर्ण रूप स्थापित है। अमरनाथ बाबा की यह चमत्कारी गुफा है। यहां पर बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। हर साल जुलाई के प्रारंभ से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाते हैं।

 

अमरनाथ यात्रा का महत्व

अमरनाथ यात्रा सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है क्योंकि यह बहुत ही ठंडे इलाके में और बहुत ऊंचाई पर मौजूद है। यह गुफा श्रीनगर की उत्तर पूर्व में 135 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 13600 फुट की  ऊंचाई पर मौजूद है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा से शुरू होकर सावन मास तक पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए जाते हैं। शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चंद्रमा के घटने बढ़ने के साथ-साथ शिवलिंग के आकार में परिवर्तन होता रहता है। इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का पाठ सुनाया था इसलिए इसका नाम अमरनाथ पड़ा। अमरनाथ यात्रा के बारे में कहा जाता है कि यह यात्रा केवल किस्मत वालों को ही नसीब होती है और जिस पर शिव की कृपा होती है वही उनके दर्शन कर पाता है।

 

 

अमरनाथ का इतिहास

 

16वीं शताब्दी में अमरनाथ की गुफा का सबसे पहले पता मुसलमान गडरिया को चला था। उसने सभी को बताया और आज भी गुफा का चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिया के वंशजों को दिया जाता है।

बाबा अमरनाथ की गुफा के बारे में बताया जाता है कि जिस दौरान भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे उस वक्त उनके अलावा वहां पर एक कबूतर का जोड़ा भी मौजूद था। जो यह कथा सुनकर अमर हो गया।  आज भी  यह कबूतर का जोड़ा अमनाथ की गुफा में ही रहता है। कथा सुनाते समय भगवान शिव ने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा और गले के शेषनाग को शेषनाथ नामक स्थान पर छोड़ दिया था। शंकर जी ने माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा यह सभी स्थल तभी से ही पवित्र स्थान बन गए और अमरनाथ की यात्रा में शामिल हो गए।

 

 

अमरनाथ गुफा का महत्व

 

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बाबा अमरनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को काशी के विश्वनाथ से 10 गुना और संगम प्रयाग से 100 गुना अधिक का फल मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

 

अमरनाथ मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। पवित्र गुफा के अंदर माता पार्वती को 51 महान शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। भगवान शिव आज भी इसी गुफा में निवास करते हैं।

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