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ग्रह गोचर

ग्रह गोचर यानी कि ग्रह जब एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं या फिर कई बार ग्रह वक्री होते हुए नजर आते हैं तो इसका असर व्यक्ति के ऊपर निश्चित रूप से पड़ता हुआ नजर आता है। सबसे पहले अगर हम बात करें ग्रहों के गोचर की तो ग्रह अपने अनुसार लगातार साल भर जगह और राशि बदलते हुए नजर आते हैं। सबसे तेज चंद्रमा अपनी राशि बदलता हुआ नजर आता है इसलिए राशिफल बनाते समय चंद्रमा का ध्यान रखना अति आवश्यक बोला गया है। चंद्रमा और सूर्य दो ऐसे ग्रह हैं जो कि बहुत तेजी से चलते हुए नजर आते हैं इसी कारण से राशिफल में चंद्र आधारित राशिफल व सूर्य आधारित राशिफल को जगह दी गई है। ग्रहों का यह गोचर व्यक्ति के ऊपर निश्चित रूप से प्रभाव डालता है। उससे पहले आइए हम आपको बता दें कि जन्म कुंडली में बारह भावों के कारक ग्रह कौन से होते हैं।

जन्म कुंडली के अंदर बारह घर होते हैं और इन बारह घरों के ऊपर बारह ही ग्रहों का स्वामित्व बताया गया है। यह 12 ग्रह अपने क्रम के अनुसार कुंडली में बैठे हुए नजर आते हैं। प्रथम भाव की बात करें तो प्रथम भाव का स्वामी सूर्य को बोला गया है। सूर्य का यह घर है और इस घर के लिए कारक बताया गया है। इसी को लग्न भी बोला गया है। दूसरे घर की बात करें तो यह घर धन से सम्बन्ध रखता हैं। इस घर के स्वामी गुरु को बताया गया हैं। कारक ग्रह भी बताया गया है। तृतीय भाव की बात करें तो तृतीय भाव जो कि सहज का घर होता है उस घर के स्वामी मंगल होते हैं। चौथे घर की बात करें तो चौथा घर जो की कुंडली का एक महत्वपूर्ण घर है सुख से संबंधित यह घर है इस घर के स्वामी चंद्रमा एवं बुध को बताया गया है। कुंडली के पांचवें घर की बात करें तो पांचवी घर के स्वामी गुरु को बताया गया है और इस घर के कारक भी होते हैं। छठे घर में शनि एवं मंगल बैठे हुए दिखते हैं।

सातवा घर जो कि विवाह एवं पत्नी पति का घर होता है इस घर को शुक्र ग्रह का घर बताया गया है। आठवां घर एक बार फिर से शनि का बताया गया है। नवम घर सूर्य एवं गुरु से संबंधित होता है। दसवां घर, सूर्य, बुध, गुरु एवं शनि से संबंधित बताया गया है। एकादश भाव में गुरु को स्थान दिया गया है और 12 घर की बात करें तो यहां पर शनि को कारक ग्रह बताया गया है। आपको बता दें कि यह स्थिर कारक है। कुंडली में कोई भी ग्रह, कोई भी लग्न के भावों के स्वामी तो प्रत्येक कुंडली में राशियों के अनुसार अलग-अलग होते हुए नजर आएंगे किंतु भावों के कारक प्रत्येक कुंडली में यही होते हैं। लेकिन जिस तरीके से ग्रह, गोचर और जगह बदलते हुए नजर आते हैं और जिस राशि के साथ बैठे हुए दिखते हैं उसी राशि के अनुसार वह फल देते हुए नजर आते हैं इसलिए साल भर होने वाले ग्रहों की चाल में परिवर्तन के ऊपर हमेशा ध्यान दिया जाता है। ग्रह, जब राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका असर व्यक्ति के जीवन पर निश्चित रूप से पड़ता हुआ नजर आता है। यहां तक कि व्यक्ति का व्यक्तित्व भी बदलता हुआ देखा जाता है।

कई बार आपने देखा होगा कि अचानक व्यक्ति चिड़चिड़ा होने लगता है और कई बार अचानक उसका स्वास्थ्य खराब होने लगता है तो इसके पीछे कहीं न कहीं ग्रहों का गोचर काम करता हुआ नजर आता है। कुंडली और ज्योतिष शास्त्र के अंदर ग्रहों का यह गोचर काफी महत्व रखता है। ग्रहों के गोचर का असर व्यक्ति के व्यवसाय और नौकरी से लेकर जीवन के हर पहलु पर पड़ता हुआ नजर आता है। ग्रह गोचर के बाद व्यक्ति का राशिफल भी बदलता हुआ दिखता है। साल भर, ग्रह गोचर होता हैं और अपना स्थान बदलते हुए नजर आते हैं इसलिए ग्रहों के इस परिवर्तन के ऊपर ध्यान देना अति आवश्यक होता है। एस्ट्रो ओन्ली की इस सेवा में आप आसानी से जान सकते हैं कि इस समय कौन सा ग्रह किस राशि के साथ बैठा है और इस गोचर से सभी राशियों पर क्या असर होगा। गोचर की मदद से आप अपना भविष्यफल भी आसानी से जानते हुए नजर आ सकते हैं।

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ग्रह गोचर

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क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

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बुध गोचर

कुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।

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बृहस्पति गोचर

धन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।

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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।

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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।

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चंद्रमा गोचर

चंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।

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केतु ग्रह

केतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.

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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।

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सूर्य ग्रहण

ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं

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चन्द्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है

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