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शुक्र वक्री

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का वक्री होना एक महत्वपूर्ण घटना कहलाती है। इस अवस्था में ग्रह आगे की ओर न चलकर पीछे की ओर चलते हैं जिसको वक्री कहा जाता है। शुक्र ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के लिए अनूठा रूप होता हैं। इस दौरान शुक्र ग्रह अपनी सामान्य गति से बढ़कर तेजी से कार्य करता है। वैवाहिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ग्रह की दशा देखकर है किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दांपत्य जीवन का सुख कब और कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

वक्री शुक्र के प्रभाव

शुक्र अपनी सामान्य अवस्था या फिर वक्री अवस्था में हो तो किसी ना किसी रूप में सभी जातकों पर अपना प्रभाव छोड़ता है। कला, प्रेम, सुंदरता और वैभव का कारक माने जाने वाला शुक्र व्यक्ति को भोग विलास की चीजों के प्रति भी आकर्षित करता है। हालांकि जब शुक्र वक्री अवस्था में होता है ऐसा माना जाता है कि ग्रह अशुभ प्रभाव देने लगता है किंतु यह बात पूर्णता सत्य नहीं है। क्योंकि कोई भी ग्रह किसी भी अवस्था में सभी जातकों पर अच्छा प्रभाव देता है और ना ही बुरा। यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की कुंडली में अन्य ग्रहों की क्या अवस्था है और वह कितने अंश पर बैठे हैं।

शुक्र ग्रह के वक्री होने से संबंधों में प्रेम भावना जागृत होती हुई देखी जा सकती है। क्योंकि शुक्र ग्रह प्रेम संबंधों के लिए कारक ग्रह माना गया है। कुंडली में शुक्र का मजबूत स्थिति में होना इस बात की ओर इशारा करता हैं कि व्यक्ति का जीवन ऐशो आराम से बीतेगा। शुक्र ग्रह का महत्व जीवन में बहुत अधिक बताया गया है शादी विवाह ही नहीं बल्कि व्यापार में भी शुक्र का बड़ा महत्व बताया गया है। शुक्र वक्री होने पर हमेशा हानि नहीं पहुंचाते हैं बल्कि जब पीछे उल्टी चाल चल रहे होते हैं तब भी यह जातक को लाभ प्रदान करते हुए नजर आते हैं। शर्त यही है कि कुंडली में मौजूद शुक्र सही अवस्था में बैठे हो यानि की अस्त न हो। यदि कुंडली में शुक्र ग्रह सही नहीं है और गलत घर में बैठे हैं तो वक्री होने पर यह अपने बुरे प्रभाव कम करते हुए भी नजर आते हैं और उन जातकों को लाभ प्राप्त होता हुआ नजर आता है।

कुंडली में वक्री शुक्र

किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि शुक्र ग्रह अच्छी जगह पर विराजमान है तब भी उनको वक्री होने पर अच्छे प्रभाव देना थोड़ा कम कर देते हैं . यहां तक कि कई बार देखने में आया है कि वक्री शुक्र जातक को कला के क्षेत्र में बहुत अधिक लाभ प्रदान करते हुए नजर आते हैं. गीत संगीत में सफल होता हुआ नजर आता है। शुक्र की वक्री स्थिति महिलाओं के मन को सबसे अधिक प्रभावित करती हुई नजर आती है इस समय में उनकी प्रेम की भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है । शुक्र अगर वक्री है तो पुरुष के ऊपर भी इसका प्रभाव पड़ता है वह विलासिता पूर्ण जीवन जीने लगता है और साथ ही साथ भोग विलास में बहुत अधिक लिप्त होता हुआ नजर आता है।

वक्री अवस्था में शुक्र जब अशुभ फल देता हैं तो व्यापार में हानि, भोग-विलास की चीज़ो से मन ऊबता हुआ भी देखा जाता हैं। सांसारिक चीज़ो को छोड़ जातक एकाकी जीवन को जीने के मन में विचार लाने लगता हैं। किन्तु ग्रह वक्री होने पर शुभ या अशुभ फल देगा यह सब जातक की कुंडली का विस्तृत अध्ययन करने पर ही ज्ञात होता हैं। सामान्य रूप से सभी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ता हैं।

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वक्री बुध ग्रह

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क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

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वक्री बुध

बुध ग्रह को बुद्धि का ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।यह ग्रह पूरी तरह से हमारी बुद्धि से संबंधित है। बुध ग्रह के वक्री होने को बड़ा ही अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे मानसिकता पर असर पड़ता है और यदि मनुष्य की मानसिकता ही खराब हो जाए तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है आइए जानते हैं वक्री बुध बारे में

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वक्री बृहस्पति

किसी भी जातक की कुंडली में बैठे ग्रह की स्थिति यह निर्धारित करती है कि उस जातक के भाग्य में क्या होने वाला है। सामान्य तौर पर सभी ग्रह शुभ और अशुभ दोनों फल देते हैं किन्तु कई ग्रह ऐसे होते हैं जो वक्री होने पर मनुष्य की खुशियां बर्बाद कर देते हैं। मगर वही कुछ ग्रह ऐसे होते हैं यदि वह वक्री हो जाए तो किसी भी मनुष्य को भिकारी से राजा बना सकते हैं। आज हम आपको ग्रहों के गुरु बृहस्पति ग्रह के वक्री होने के प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं

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शुक्र वक्री

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का वक्री होना एक महत्वपूर्ण घटना कहलाती है। इस अवस्था में ग्रह आगे की ओर न चलकर पीछे की ओर चलते हैं जिसको वक्री कहा जाता है। शुक्र ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के लिए अनूठा रूप होता हैं। इस दौरान शुक्र ग्रह अपनी सामान्य गति से बढ़कर तेजी से कार्य करता है। वैवाहिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ग्रह की दशा देखकर है किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दांपत्य जीवन का सुख कब और कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

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वक्री शनि

वैदिक ज्योतिषी के अनुसार शनि ग्रह को बड़ा ही प्रभावशाली ग्रह माना गया है। शनि को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। मगर ऐसा भ्रम है कि कुंडली में शनि के प्रभाव से जातक के जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं। हालांकि यह तथ्य सही नहीं है क्योंकि शनि की शुभ और अशुभ दृष्टि इस बात पर निर्भर करती है कि शनि कुंडली के कौन से भाव में और किस स्थिति में विराजमान है इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कुंडली में उल्टी गति में भ्रमण करने पर यानी वक्री शनि होने पर जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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वक्री राहु

सभी ग्रहों में राहु को सबसे ज्यादा नीच और अशुभ ग्रह माना जाता है। यह जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसके भाग्य में दुख का कारण बन जाता है और उसके सभी काम इतने बिगड़ जाते हैं कि वह कभी भी संवर नहीं पाते। जातक के जीवन में अंधेरा सा छा जाता है और वह किसी भी काम को मन लगाकर नहीं कर पाता । हालांकि हर चीज का उपाय होता है इसलिए राहु की अशुभ दृष्टि से बचने की भी बहुत से उपाय बताए गए हैं। आज हम आपको वर्की राहु के प्रभाव के बारे में बताएंगे

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वक्री केतु

राहु के भांति ही केतु को भी बड़ा ही क्रूर ग्रह माना जाता है। यह दोनों ग्रह जीवन में अशुभ दृष्टि डालते हैं। यह दोनों ग्रह वक्री स्थिति में ही कुंडली में मौजूद रहते हैं जिससे जीवन में अशुभ दृष्टि तो पड़ती ही है मगर कई भाव ऐसे होते हैं जिनमें यह शुभ फल प्रदान भी करते हैं। आज हम आपको वक्री केतु के जातक पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

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वक्री मंगल

अक्सर आपने सुना होगा की कुंडली में बैठे ग्रह वक्री हो जाते हैं जो मनुष्य के जीवन को बर्बाद कर देते हैं तो कुछ ग्रह आबाद भी करते हैं। आज हम आपको सबसे पहले यह बताएँगे कि वक्री ग्रह होता क्या है साथ ही बताएँगे कि मंगल ग्रह के वक्री होने पर मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

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