ऑनलाइन कुंडली मिलाना / राशिफल मिलाना
लग्न कैसे निकाली जाती है?
वैदिक गणित से जातक की लग्न राशि निकालने के लिए तीन चीजों होती है अंग्रेजी जन्म तिथि ,जन्म का समय और जन्म स्थान यानि कि किस जगह पर जातक का जन्म हुआ है। इन सब जानकारियों की मदद से जातक की लग्न कुंडली निकल जाती है। लग्न, निकालना बेहद ही आसान काम है यह मुश्किल नहीं हैं। आपके पास यदि आपकी कुंडली है तो उसके अंदर पहले घर में, कुंडली के पहले भाव में जो राशि लिखी हुई है या जो अंक लिखा गया है जैसे कि मान लीजिए आपकी कुंडली में यदि 2 अंक लिखा हुआ है पहले भाव में तो आपकी कुंडली , वृष लग्न वाली कुंडली हुई। बड़ी आसानी से लगन को देखा जा सकता है। लग्न निर्धारित करती है कि जातक का व्यवहार कैसा होगा, जातक के शरीर की संरचना कैसी होगी, जातक किस तरीके का व्यवहार करेगा आदि बहुत ही अति महत्वपूर्ण जानकारियां लगने से ही प्राप्त की जाती है।
कैसे बनाएं अपनी कुंडली?
“एस्ट्रो ओनली” की इस सेवा में आप बड़ी ही आसानी से अपनी कुंडली का निर्माण कर सकते हैं।अभी हमने ऊपर, आपको लग्न देखना बताया और लगन से जुड़ी हुई अति महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उससे पहले हमने आपको ज्योतिष और जन्म कुंडली के बारे में सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण जानकारियां दे दी है। “एस्ट्रो ओनली” की इस सेवा से आप बड़ी आसानी से अपनी जन्म कुंडली बना सकते हैं। यह जो तालिका दी गई है उसमें सबसे पहले आपको अपना नाम भरना है आप अपना पूरा नाम भरें इसके बाद अपने जन्म की तारीख दूसरे बॉक्स में भरें फिर जन्म का समय सही समय आपको यहां पर भरना है याद रखें कि कुंडली में समय बहुत महत्व हैं यदि आपन समय में गड़बड़ करेंगे तो आपकी कुंडली गलत बन सकती है और अंत में आपको अपने जन्म के स्थान की सही जानकारी देनी है। आप जैसे ही नीचे दिए हुए बटन पर क्लिक करेंगे तो आपके सामने आपकी जन्मकुंडली बनकर आ जाएगी। जन्मकुंडली को देखने के लिए सबसे पहले लग्न कुंडली देखनी पड़ती है। कुंडली में दो चीजें अति महत्वपूर्ण है एक तो लग्न कुंडली और दूसरी चंद्र कुंडली। लग्न कुंडली से ओवरऑल जातक के बारे में पता चलता है तो वही चंद्र कुंडली जातक के व्यवहार और राशिफल की सटीक जानकारी देती है।
कुंडली के फायदे?
जन्म कुंडली के बहुत से फायदे हैं। ज्योतिष एक विज्ञान है, यह मात्र एक भविष्यवाणी नहीं है। यह कोई ऐसा विज्ञान नहीं है जिसमें कि मात्र तुक्के मारे जाते हैं बल्कि जातक के जन्म के समय में ग्रहों की दशा और दिशा कैसी है साक्षात राशि में कौन सा ग्रह है इसका आंकलन किया जाता है क्योंकि शास्त्रों में ऐसा लिखा गया है कि ग्रह वर्षों से हर व्यक्ति जुड़े हुए है और व्यक्ति के जीवन में उसी तरीके के परिवर्तन होते रहते हैं जिस तरीके से ग्रहों की चाल रहती है। कुंडली की मदद से कोई भी व्यक्ति है जान सकता है कि उसको जीवन में कौन सी पढ़ाई करनी चाहिए या फिर किस तरह की नौकरी करना जातक के लिए अच्छा रहेगा। साथ ही साथ जातक के जीवन से जुड़ी हुई हर तरह की जानकारी व्यवसाय, परिवार, शादी- विवाह, धन संपत्ति , विवाद सभी विषयों की जानकारी कुंडली में मौजूद होती है इसलिए कुंडली का महत्व बढ़ जाता है। जातक यदि अपने गुणों के आधार पर अपना जीवन संवारता है तो निश्चित रूप से उसको अपने जीवन में सौहार्द व सफलता प्राप्त होती हुई नजर आएगी।
कुंडली के बारह भाव कौन-कौन से होते हैं?
प्रथम भाव :-कुंडली के 12 भावों की बात करें तो प्रथम भाव जैसा हमने बताया लग्न होती है कुंडली का पहला घर, लग्न बोला जाता है इससे जातक के रंग- रूप, आकृति ,व्यवहार, प्रतिष्ठा-यश के बारे में जान सकते हैं।
दूसरा भाव :-कुंडली का दूसरा भाव धन से जुड़ा हुआ भाव होता है या धर्म से जुड़ा हुआ घर होता है। यह सोना-चांदी, धन-संपत्ति, भाषण, वाणी आदि के बारे में बताता हुआ नजर आता है।
तीसरा भाव :-कुंडली के तीसरे घर या फिर तीसरे भाव की बात करें तो यह साहस का बोला जाता है। कुंडली का तीसरा भाव साहस, पराक्रम, भाई-बहन, शौर्य और पड़ोसी से संबंधित एक भाव है जो की कुंडली में विशेष महत्व रखता है।
चौथा भाव :-कुंडली का चौथा भाव चौथा घर अति महत्वपूर्ण घर बताया गया है। इस घर में हमेशा अच्छे ग्रहों का होना जातक के लिए विशेष योग बनाता है। यह घर सुख का घर है इसमें सुख-दुख, ऐश्वर्य, आभूषण ,मित्र, वाहन और हृदय से जुड़ी हुई चीजें दर्शाई जाती हैं।
पांचवा भाव :-कुंडली का पांचवा घर संतान, विद्या, बुद्धि, प्रेम, भविष्य आदि चीजों के बारे में बताता हुआ नजर आता है, यह त्रिकोण का एक घर है जो कि इष्ट देव के बारे में भी बताता हुआ नजर आता है।
छठा भाव :-कुंडली का छठा भाव को नकारात्मक बताया गया है यदि यह घर खाली है तो ज्यादा लाभदायक रहता है शत्रु, युद्ध, झगड़ा, मुकदमा और चोट के बारे में बताता हुआ नजर आता है।
सातवां भाग :-कुंडली का सातवां भाव पति-पत्नी, विवाह, स्त्री-सुख आदि चीजों के बारे में बताता हुआ नजर आता है। शादी और विवाह के बाद के जीवन के लिए सातवें भाव को देखा जाता है, यह भी एक महत्वपूर्ण भाव हैं।
आठवां भाव :-आठवां भाव आयु, मृत्यु, धन की प्राप्ति, गुप्त रोग जैसी बातों के बारे में बताता हुआ नजर आता है यह घर भी यदि खाली रहे तो अधिक अच्छा बताया गया है।
नोवा भाव :-कुंडली का नवम भाव धर्म से जुड़ा हुआ भाव है यह भी एक अच्छा घर है। यात्रा, भाग्योदय, धर्म और शिक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण घर हैं और करियर के लिहाज से इसी घर को देखा जाता है।
दसवां भाव :-कुंडली का यह भाव व्यापार, उच्च अधिकारी, नौकरी, आजीविका आदि से संबंधित घर है। यह घर सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है जीवन में पैसा कितना आएगा, कब आएगा, जातक क्या काम करेगा यह सब दसवां भाव बताता है।
ग्यारहवां भाव :-कुंडली का ग्यारहवां भाव, दसवे घर की तरह से ही एक महत्वपूर्ण घर है। यह आय के बारे में बताता है कि जातक किस तरीके की आय प्राप्त करते हुए नजर आएगा और जीवन में किस वर्ष और हिस्से में वह अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पैसा कमाएगा।
बारहवा भाव :-कुंडली का बारहवा घर खर्च का घर बोला गया है। यह व्यय से संबंधित घर है खर्च, संकट आदि चीजों को यह दर्शाता है। बोला जाता है कि कुंडली का यह घर भी खाली रहे तो ज्यादा अच्छा रहता है।
कुंडली की उपयोगिता
कुंडली की उपयोगिता के बारे में बात करें तो संसार का प्रत्येक प्राणी या वस्तु, ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव से प्रभावित होती रही है। ग्रहों की चाल से संसार का प्रत्येक प्राणी प्रभावित होता है वह उसी तरीके का व्यवहार करता है जैसे कि ग्रहों की प्रकृति होती है। ज्योतिष द्वारा हर व्यक्ति के भूत, भविष्य एवं वर्तमान को जाना वह पहचाना जा सकता है लेकिन अब सवाल उठता है कि किस तरीके से और कैसे किसी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान को पहचाना जाता है। दरअसल ग्रहों के गुण होते हैं और हर ग्रह हमारे जीवन के किसी ना किसी एक विषय को प्रभावित कर रहा होता है। पिछले जन्म के आधार पर ही हमारे इस जन्म के ग्रह निर्धारित होते हैं उन ग्रहों से पिछले जन्म के बारे में आकलन किया जाता है जबकि वर्तमान जीवन के बारे में जानने के लिए वर्तमान में ग्रहों की दशा और महादशा के ऊपर ध्यान दिया जाता है क्योंकि उसी के अनुसार हम वर्तमान में व्यवहार कर रहे होते या हमारे जीवन में अभी जो भी घटित हो रहा है वह उनके अनुसार घटित होता है। कुंडली की उपयोगिता इसलिए भी आज हमारे जीवन में देखी जाती है क्योंकि तेज भागती हुई जिंदगी में हम यह नहीं जानते हैं कि आज जो हम काम कर रहे हैं उसका भविष्य में हमें कैसा फल मिलेगा जो हम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं क्या वह हमारे लिए लाभदायक है या नहीं। यदि हमने गलत शिक्षा ग्रहण कर ली तो हम इस प्रतिस्पर्धा में काफी पिछड़ जाएंगे इसलिए भी कुंडली की उपयोगिता बढ़ गई है। इस भागती हुई जिंदगी में हमारा एक भी गलत कदम हमें काफी पीछे कर देता है इसलिए कुंडली की मदद से जातक पहले ही जान और समझ सकता है कि उसके लिए वर्तमान और भविष्य में क्या करना सही होगा और क्या नहीं करना बेहतर रहेगा।
कुंडली के प्रकार
जन्मकुंडली के प्रकार की बात करें तो जन्म कुंडली मुख्य आठ प्रकार की होती है।-
लग्न कुंडली - यह जीवन के सभी विषयों के ऊपर जानकारी प्रदान करती है वर्तमान और भविष्य में क्या छुपा है साथ ही जातक का गुण कैसा रहेगा यह सब लग्न कुंडली बताती है।
चंद्र कुंडली - यह भी जातक के जीवन से जुड़े हुए सभी विषयों के ऊपर जानकारी प्रदान करती हैं। चंद्र कुंडली भी विशेष महत्व रखती है बच्चों के भविष्य फल के लिए हमेशा चंद्र कुंडली का अध्ययन किया जाता हैं।
होरा कुंडली - होरा कुंडली जातक के धन और संपत्ति के बारे में बताती है जातक के जीवन में धन संपदा कैसी रहेगी, उसका व्यापार कैसा चलेगा इसके बारे में सारी जानकारी देती है।
द्रेष्कोण कुंडली - यह कुंडली जातक के जीवन में सुख के बारे में जानकारी देती है भाई बहनों का सुख और जातक के जीवन में सुख, किस तरीके से रहेगा यह सब जानकारी यही कुंडली देती है।
सप्तमांश - सप्तमांश कुंडली जातक के जीवन में संतान- सुख को दिखाती है जातक के जीवन में संतान का सुख कैसा रहेगा यह सारी जानकारी हमें सप्तमांश कुंडली देती है।
नवांश - नवांश कुंडली जातक के जीवन में स्त्री-सुख के बारे में जानकारी देती है जातक के जीवन का विस्तृत रूप कैसा रहेगा या अगर स्त्री है तो उसके जीवन में पुरुष का रूप कैसा रहेगा हमें यह सब जाकारी यही कुंडली बताती ।
द्वादशांश - जातक के जीवन में माता-पिता का सुख कैसा रहेगा? जातक के माता-पिता क्या जातक के साथ चलेंगे या फिर जातक की माता-पिता से कैसे रिश्ते रहेंगे यह सारी जानकारी यही कुंडली देती है
त्रिशांश- त्रिशांश कुंडली जीवन में कामनाएं एवं स्त्री के चरित्र के बारे में सारी जानकारी प्रकट करती है।
“एस्ट्रो ओनली” के इस भाग में आप अपनी कुंडली को खुद बना सकते हैं वह काफी हद तक खुद उस कुंडली का अध्ययन भी कर सकते हैं। यहां पर हम आपको कुंडली की लगन के बारे में जानकारी बता चुके हैं। आप यदि लग्न देखना सीख जाएंगे तो आपको यह तो पता ही चल जाएगा कि आप किस तरीके के गुण वाले जातक है और किस तरीके का व्यवहार करना आपके लिए उचित रहेगा। “एस्ट्रो ओनली” की इस सेवा से आप अपनी कुंडली बहुत ही आसानी से बना सकते हैं साथ ही, हमारे अनुभवी ज्योतिष आचार्यों की मदद से आप अपने भविष्य फल व कुंडली के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं,“एस्ट्रो ओनली” के अनुभवी ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली का सही और सटीक आकलन करके यह बता सकते हैं कि भविष्य में आप के लिए क्या क्या छुपा हुआ है।