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ग्रह

आपकी कुंडली के लिए सभी ग्रह काफी महत्वपूर्ण होते हैं। ज्योतिष भविष्यवाणी के लिए ग्रहों की स्थिति और दशाओं का ही अध्ययन करना होता है। ग्रहों की स्थिति का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता हुआ नजर आता है। ग्रहों का अपना स्वभाव और उनकी प्रकृति होती है। ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं। सूर्य और चंद्रमा भी ग्रहों में गिने जाते हैं। इनके अलावा मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु, केतु ग्रहों में शामिल किया गया है। राहु, केतु को छाया ग्रह बोला गया है। हर ग्रह का स्वभाव अलग होता है।

शुभ ग्रह

बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा को शुभ ग्रह बोला गया है। चन्द्रमा शक्तिशाली होने पर ही शुभ होता है।

क्रूर ग्रह

मंगल, केतु, शनि, राहु और सूर्य।

तटस्थ ग्रह

बुध ग्रह, यह जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं उसी तरीके का फल देते हुए नजर आते हैं।

शुभ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा का नाम आता है। चंद्रमा के बारे में एक बात बोली गई है कि यदि कुंडली में चंद्रमा बलवान है तब यह बहुत अच्छे फल देते हुए नजर आते हैं लेकिन यदि यह कमजोर है उसी स्थिति में यह नकारात्मक प्रभाव देते हुए नजर आते हैं। इसके साथ-साथ बृहस्पति जिनको गुरु के नाम से भी जाना जाता है, यह भी जातक के लिए बहुत महत्वपूर्ण ग्रह होते हैं। व्यापार के लिए गुरु ग्रह को महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। वहीँ शुक्र की बात करें तो शुक्र वैवाहिक जीवन और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति दोनों के लिए बड़े महत्वपूर्ण ग्रह बताए गए हैं।

क्रूर ग्रह में मंगल, केतु, शनि, राहु और सूर्य का नाम आता है। इसमें राहु और केतु मात्र एक छाया ग्रह हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र में राहु, केतु का भी विशेष महत्व बताया गया है। विज्ञान जगत में बेशक राहु और केतु नामक कोई ग्रह मौजूद नहीं हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इनका प्रयोग किया जाता रहा है।

ज्योतिष में ग्रहों का महत्व

ग्रह व्यक्ति के जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हुए नजर आते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि ग्रहों के कारण ही व्यक्ति का आचरण और व्यवहार होता हुआ नजर आता है। व्यक्ति के जीवन में कौन सी घटना कब होगी और इस तरीके का प्रभाव इस घटना का उसके ऊपर पड़ेगा यह सब ग्रहों के ऊपर निर्भर होता है। कुंडली में 12 घर होते हैं और इन 12 घरों के ऊपर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। सूर्य कुंडली के अंदर 1,9,10 घर का फल निर्धारित करता है। चन्द्रमा चौथे, मंगल 3, 6 इसी तरह से सभी ग्रहों का घर कुंडली में निर्धारित है।

ग्रह- भाव कारकत्व

सूर्य- प्रथम, नवम, दशम

चंद्रमा- चतुर्थ

मंगल- तृतीय, षष्टम

बुध- चतुर्थ, दशम

बृहस्पति- द्वितीय, पंचम, नवम, दशम, एकादश

शुक्र- सप्तम, द्वादश

शनि- षष्टम, अष्टम, दशम

इसके साथ-साथ ग्रहों की दृष्टि होती है। हर ग्रह कुंडली के सातवें घर को देखता हुआ नजर आता है इसे सप्तम दृष्टि बोलते हैं। बृहस्पति ग्रह अपने से पाँचवें और नौवें भाव पर भी दृष्टि रखता है। जबकि शनि तृतीय और दसवें भाव पर भी दृष्टि रखता है। इसके अलावा मंगल चौथे व आठवें भाव को देखता है। वहीं राहु और केतु क्रमशः पंचम एवं नवम भाव में पूर्ण दृष्टि रखते हैं।

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ग्रह

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बुध ग्रह

बुध ग्रह सूर्य के समीप होने के कारण अधिक प्रकाशमान बताया गया है। यह सूर्योदय से कुछ पल पूर्व उदय होता है और सूर्यास्त के पश्चात अस्त होता हुआ नजर आता है। सूर्य के आसपास सदैव बुध रहता है अर्थात सूर्य से 28 अंक से अधिक दूर बुध कभी नहीं जा सकता और यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह बोला गया है।

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बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बोला गया है इसीलिए इस ग्रह को सभी ग्रहों का गुरू बोला गया है और यही कारण है कि बृहस्पति को इसी नाम से भी बुलाया जाता रहा है। गुरू के नाम से हम इसको पुकारते हैं। कुंडली में गुरु अगर सही जगह, शुभ स्थान पर हो तो जातक, विधि-धर्म एवं नीति का महान पंडित बन सकता है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है।

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शनि ग्रह

दूसरे सभी ग्रहों से काफी दूर होने पर शनि एक सुंदर एवं विचित्र ग्रह बोला गया है। इसके चारों और तीन चक्र होते हैं जो सदैव एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से घूमते हुए नजर आते हैं। अन्य ग्रहों से इस ग्रह की यही एक विशेषता नजर आती है।

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राहु ग्रह

राहु ग्रह एक छाया ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है लेकिन दूसरी तरफ खगोलीय दुनिया में राहु ग्रह का कोई भी अस्तित्व नहीं है। विज्ञान के शब्दों में बोला जाए तो विज्ञान में राहु ग्रह को नहीं माना जाता है।

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सूर्य ग्रह

ग्रहों की बात करें तो ग्रहों में सूर्य को नंबर एक के स्थान पर रखा गया है। सूर्य को भानु, रवि, दिनकर, भास्कर, प्रभाकर, ग्रहपति आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस का एक पिंड है।

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चंद्रमा ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में सूर्य के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा पद चंद्रमा को दिया गया है। सूर्य की तरह से ही नक्षत्रों में चंद्रमा को राजा बताया गया है। चंद्रमा को मृगांक, निशानाथ, रजनीश, निशापति, रजनीपति, हिमांशु, सुधाकर आदि नामों से पुकारा जाता रहा है।

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केतु ग्रह

केतु को कठोर स्वभाव वाला, गलत राह पर चलाने वाला, एक पाप ग्रह बोला गया है। केतु को भी राक्षसों से जोड़कर देखा जाता रहा है और बोला गया है कि केतु के कारण ही जातक पाप के रास्ते पर बढ़ता हुआ नजर आता है। केतु को रहस्यमई एवं गुप्त षड्यंत्र के लिए प्रसिद्ध बताया गया है।

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मंगल ग्रह

मंगल ग्रह पृथ्वी का निकटवर्ती ग्रह है। पृथ्वी से समानता होने के कारण इसे भूपुत्र यानी कि पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता रहा है। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में इसे बल एवं पराक्रम का प्रतीक बोला गया है।

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आज का योग

पंचांग के अंदर 5 बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें से एक हैं योग। योग चंद्रमा और सूर्य की मदद से निर्धारित किए जाते हैं। जातक का जन्म जिस योग में होता हैं उसके अंदर उसी तरीके के गुण उपस्थित होते हैं। आप इसको सामान्य से शब्दों में इस तरीके से समझें कि योग 27 प्रकार के होते हैं और सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के द्वारा योग की गणना की जाती है। जातक के ऊपर योग का बहुत गहरा प्रभाव बताया गया है जैसे कि जातक किस तरीके का काम करेगा, उसका व्यवहार किस तरीके से होगा, उसके अंदर किस तरीके के गुण उपस्थित होंगे इन्हीं सब बातों को देखने के लिए योग का विश्लेषण किया जाता है या आंकलन किया जाता है।

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त्यौहार

त्यौहार को अंग्रेजी में फेस्टिवल्स के नाम से जाना जाता है। त्यौहार हिंदू धर्म में और भारतवर्ष में सभी धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। त्यौहार खुशियों का सूचक हैं और जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। त्यौहार जब भी आते हैं तो इसका एक ही अर्थ लगाया जाता है कि अब हमारे जीवन में खुशियां और सुख व समृद्धि आने वाली हैं। हम त्यौहार पर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उनको इस बात के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं कि उन्होंने हमें अभी तक जिस तरीके का भी जीवन दिया है जो भी खुशियां या दुख हमारे जीवन में दिए हैं यह सब उन्हीं की कृपा है।

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