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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है कि यदि शनि को प्रसन्न कर दिया तो जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से छुटकारा पाना बेहद आसान हो जाता है. शनि की खासियत है कि यह व्यक्ति को उसके कर्म अनुसार फल प्रदान करते हैं यदि व्यक्ति अपने कर्मों अनुचित रूप देता है तो निश्चित ही शनि उसके पाप कर्मों का फल उसको देने से पीछे नहीं हटते।

शनि के प्रभाव और राशि

धीमी गति से चलने वाले शनि किसी भी राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं. मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि सूर्यपुत्र भी कहा जाता है किंतु पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देवता ने रंग रूप को देखकर अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया था जिसके पिता और पुत्र के संबंध शत्रुतापूर्ण बने रहते हैं। जिस व्यक्ति कुंडली में शनि अपनी क्रुदृष्टि डालते हैं उनका जीवन अंधकार के साए में देखा जा सकता है. शनि की उच्च राशि तुला मानी जाती है जबकि मेष राशि में शनि नीच रहते हैं. शनि की दशा साढ़े सात वर्ष तक रहती हैं जिस दौरान व्यक्ति के जीवन में दुर्घटना, रोग, नुकसान और क्लेश बना रहता है. यदि शनि का दुष्प्रभाव बना रहे तो व्यक्ति एकांतवास की और भी आकर्षित होने लगता है. न्याय प्रिय शनि कानूनी मामलों में भी व्यक्ति को आए दिन में परेशानियां देने से पीछे नहीं हटते।

शनि के प्रभाव को कैसे कम करें

शनि के प्रभाव को कम करने के लिए जातक को सबसे आसान उपाय यह अपनाना चाहिए कि उसको भगवान हनुमान की पूजा करनी चाहिए. ऐसा शास्त्रों में लिखा गया है कि यदि कुंडली में मंगल और हनुमान की कृपा रहती है तो उस जातक को शनि बिल्कुल भी परेशान करते हुये नजर नहीं आते है. ब्रह्मा के द्वारा प्राप्त वरदान की मदद से हनुमान भगवान अपने जातकों की रक्षा शनि से करते हुए नजर आते हैं. इसलिए अधिकतर यही बोला जाता है कि जातक की कुंडली में शनि का प्रभाव नकारात्मक आ रहा है उसको भगवान हनुमान की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन जातक को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए उन्हें सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए या फिर शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से भी लाभ प्राप्त होता हुआ नजर आता है.

शनि पापी ग्रह बोला गया है इसलिए यदि कुंडली में सूर्य बलवान है तो उसके दुष्परिणाम प्राप्त होते हुए नजर आते हैं.यदि शनि कुंडली में बलवान हो जाता हैं तो उसकी उम्र बढ़ती हुई नजर आती है. विपरीत स्थिति में बैठे हुए शनि जातक को स्वार्थी बना देते हैं और गुस्से के कारण वह बहुत सारे काम बिगड़ता हुआ नजर आता है. लेकिन शनि ग्रह अकस्मात रूप से कई बार जातक को आर्थिक रूप से लाभ देते हुए भी नजर आते हैं। यदि शनि बलवान होकर बैठा हुआ है या फिर कुंडली में आठवें घर के अंदर शनि बलवान है तो जातक की आयु लंबी होती है छठे स्थान में शनि का बेटा होना यह दर्शाता है कि जातक को जीवन में कई बार रोगो का सामना करना पड़ सकता हैं।

अन्य ग्रहों की तरह शनि भी राशि और भावों के अनुरूप अपने प्रभाव जातको डालते हैं. शनि को उपायों के ज़रिये प्रसन्न करके दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता हैं।

धनु से मकर 24 जनवरी,शुक्रवार समय:9.53 सुबह
वक्री मकर राशि 11 मई,सोमवार समय: 9.30 सुबह
मार्गी मकर राशि 29 सितम्बर, मंगलवार समय:10.30 सुबह
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ग्रह गोचर

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ज्योतिषियों से बात करे

क्या आप अपने जीवन में आ रही परेशानियों को लेकर एक सही और अच्छा समाधान खोज रहे हैं। क्या आप अपने व्यवसाय को लेकर परेशान हैं, काफी मेहनत करने के बाद भी, आपका व्यवसाय उस तरीके से मुनाफा नहीं कर रहा है जिस तरीके से आप चाहते हैं। क्या आपको लगातार नौकरी के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या आपका पारिवारिक जीवन सही नहीं चल रहा है। ?

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बुध गोचर

कुंडली के अंदर बुध ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। सूर्य के नजदीक होने के कारण यह ग्रह बहुत अधिक प्रकाशमान होता है। बुध ग्रह की सबसे अधिक खास बात यह होती है कि यह ग्रह सूर्य के आसपास नजर आता है। ज्योतिष शास्त्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह कभी भी सूर्य से 28 अंश से अधिक दूर नहीं जा सकता है। साथ ही साथ यह सौर ग्रह का यह सबसे छोटा ग्रह भी बताया गया है।

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बृहस्पति गोचर

धन, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म और लक्ष्मी के कारक के रूप में बृहस्पति ग्रह को जाना जाता है। बृहस्पति ग्रह को गुरु भी बोला जाता है और यह कुंडली के एक महत्वपूर्ण ग्रह में गिने जाते हैं। बृहस्पति, धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क में यह उच्च राशि के होते हैं तथा मकर इनकी नीच राशि होती है।

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शुक्र ग्रह

सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर अगर सौर परिवार का सबसे चमकदार एवं तेजस्वी ग्रह का जिक्र करें तो वह ग्रह शुक्र ग्रह बोला गया है। शास्त्रों में शुक्र ग्रह को कला, प्रेम सौंदर्य एवं आकर्षण की देवी बोला गया है। शुक्र एक और जहां पर मनुष्य को कामवासना में लिप्त होने के लिए उत्तेजित करता हुआ नजर आता है वहीं दूसरी ओर यह माता के समान निस्वार्थ प्रेम का भी एक सूचक बोला गया है।

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शनि ग्रह गोचर

शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है कि यह ग्रह सबसे धीमी गति से चलता है और अपने प्रभाव और फल देने में समय लेता है. अन्य ग्रहों की तुलना में इस ग्रह को क्रूर और पापी ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है.हालांकि शनि को न्याय प्रिय न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.

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राहु ग्रह

विज्ञान, राहु ग्रह को नहीं मानता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष के अंदर राहु ग्रह का अस्तित्व नजर आता है। ज्योतिष ग्रह के अनुसार राहु और केतु दो ग्रह और भी हैं जिनको की खगोलीय दुनिया में नकार दिया गया है।

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सूर्य गोचर

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व अतुलनीय है। सूर्य को सभी ग्रहों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। व्यक्ति अपने जीवन में कैसे कार्य करेगा और कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है यह सब कुंडली में सूर्य की दशा को देखकर जाना जा सकता है।

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चंद्रमा गोचर

चंद्रमा की बात करें तो चंद्रमा कुंडली के अंदर और राशिफल से बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है। चंद्रमा सबसे अधिक तेज गति से अपनी जगह बदलता हुआ नजर आता है। चंद्रमा एक राशि से दूसरी राशि में पहुंचने से काफी तीव्र गति का प्रयोग करता है और यह सवा 2 दिन अपनी राशि परिवर्तित करता हुआ नजर आता है। यही कारण है कि इसीलिए ज्योतिष शास्त्र में बोला गया है कि चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पर सबसे अधिक पड़ता है।

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केतु ग्रह

केतु को भी छाया ग्रह बोला गया है. इसका भी अस्तित्व नजर नहीं आता है लेकिन ज्योतिष में केतु का भी विशेष महत्व है. जातक की कुंडली में यदि केतु बलवान होकर बैठा हुआ है तो यह भी जातक को बहुत अधिक धन लाभ देता हुआ नजर आता है. ऐसा जातक सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करता है या फिर खेल के क्षेत्र में यह सफल होता हुआ दिखता है. केतु के बारे में एक चीज बहुत प्रसिद्ध है कि केतू हमेशा लाभ प्रदान नहीं करता है लेकिन जब भी यह व्यक्ति को लाभ देता है तो वह बड़ी चीजों के रूप में नजर आता है यानी कि कि केतु हमेशा ही अकस्मात रूप से बड़ा लाभ प्रदान करने का कार्य करता है.

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मंगल गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अंदर मंगल ग्रह को बल और पराक्रम का ग्रह बताया गया है। जातक की कुंडली में यदि मंगल सही स्थिति में मौजूद है और मंगल बलवान है तो ऐसे जातक में पराक्रम पूरी तरह से नजर आता है और ऐसा जातक बहुत ही मुश्किल कामों को आसानी से करता हुआ नजर आता है। उदाहरण के लिए जैसे कि हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री जी की कुंडली में मंगल बलवान रहा तो इन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना रास्ता तय किया और एक आम परिवार से होते हुए भी यह प्रधानमंत्री बनते हुए नजर आए हैं। मंगल यदि कुंडली में बलवान है और शक्तिशाली है तो ऐसा जातक किसी भी तरीके का असंभव काम भी करता हुआ नजर आता है और ऐसा व्यक्ति कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है।

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सूर्य ग्रहण

ग्रहों का हमारे जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ता है। ग्रह किस चाल और दिशा में चल रहे हैं, उसी से ही हमारे भविष्य और वर्तमान में होने वाली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह अपनी एक अलग विशेषता रखते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य ग्रह का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है। आज हम आपको सूर्य ग्रह से जुड़ा सूर्य ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं

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चन्द्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती ऐसी स्थिति चंद्र ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है जिसके बारे में बताया गया है कि इसका मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करने पर भी रोक लगा दी जाती है

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