प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

अश्वनी अमावस्या


Saturday, 20 March 2021
 अश्वनी अमावस्या

अश्वनी अमावस्या

अश्वनी माह की शुरुआत में ही श्राद्ध शुरू हो जाते हैं। जो पूरे 15 दिनतक चलते हैं और अश्वनी अमावस्या पर समाप्त हो जाते हैं। इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और अपने पितरों को श्रद्धांजलि देते हैं। जिससे की उनकी आत्मा को शांति मिल सके। कई लोग इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत भी करते हैं। यह अमावस्या कृष्ण पक्ष की अमावस्या होती है। इस अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस साल यह अमावस्या किस तारीख को है और इसके धार्मिक कर्म किस प्रकार से किए जाते हैं।

 

अश्वनी अमावस्या: 6 अक्टूबर 2021

अश्वनी अमावस्य प्रारंभ: 19: 06 (5 अक्टूबर)

अश्वनी अमावस्या समाप्त: 16:37 (6 अक्टूबर)

 

अश्वनी अमावस्या का व्रत

अश्वनी अमावस्या का व्रत भी रखा जाता है। इस दिन पितरों के पूजन के लिए हवन आदि कराकर ब्राह्मणों को दान देने की प्रक्रिया की जाती है।

 

सबसे पहले सुबह-सुबह उठकर जलास्य, कुंड या नदी में स्नान किया जाता है। स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं।

 

जिसके बाद सूर्य देव को अर्ध्य देते हैं।

 

सूर्य देव को अर्ध्य देने के बाद पितरों के लिए श्राद्ध अनुष्ठान और तर्पण किया जाता है।

 

इस दिन घर में जिसका भी श्राद्ध किया जाता है। उसी के मनपसंद का भोजन बनाया जाता है हालांकि इस दिन

पूड़ी और पकवान आदि बनाएं जाते हैं।

 

अश्वनी अमावस्या की संध्या के समय दीपक जलाते हैं और पकवान और पूड़ी को दरवाजे पर रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसे करने से पितृगण को भोजन मिल जाता है और दीपक इसलिए जाना जाता है ताकि पितरों रोशनी में रास्ता देख सकें।

 

श्राद्ध के 15 दिनों में यदि किसी भी पितर का श्राद्ध छूट जाता है तो उसे अश्वनी अमावस्या पर कर सकते हैं।

 

पितरों को तर्पण करते समय अपनी भूल चूक की माफी मांगते हैं और ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराते हैं।

 

अश्वनी अमावस्या पर दान जरूर करना चाहिए। गरीबों को भोजन, वस्त्र और जरूरत की चीजें दे सकते हैं।

 

अश्वनी अमावस्या के महत्व

पारिवारिक जीवन में पूर्वजों का विशेष महत्व होता है। पूर्वजों के मार्गदर्शन से ही हम अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं। उन्हीं से ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन की सीख मिलती है इसीलिए अश्वनी अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिले।

 

अश्वनी अमावस्या पर अनुष्ठान करने से दैव आशीर्वाद, अच्छा भाग्य और समृद्धि के साथ-साथ सुख शांति भी प्राप्त होती है।

 

अश्वनी अमावस्या पर व्रत रखने से पितृ दोष नहीं लगता है और यदि किसी की कुंडली पर पितृ दोष होता भी है तो पूर्वजों के लिए किए गए अनुष्ठान से वह दोष खत्म हो जाता है।

 

अश्वनी अमावस्या का व्रत करने से मरणोपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन में सभी प्रकार के पापों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

 

जिन पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। इस व्रत के करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

अश्वनी अमवस्या के प्रभाव से परिवार में सुख शांति का माहौल रहता है और बड़े बुजुर्गों का साथ और आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

 

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp