भाद्रपद पूर्णिमा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महीने के आखिरी दिन को पूर्णिमा कहते हैं और हिंदू धर्म में पूर्णिमा को त्योहार की तरह मनाया जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना करते हैं और बहुत से लोग पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं। हर पूर्णिमा का अलग-अलग महत्व होता है लेकिन सभी पूर्णिमा में भाद्रपद पूर्णिमा सबसे खास है। आइए जानते हैं कि यह पूर्णिमा कब है और इसका व्रत कैसे किया जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा 2021: 20 सितंबर सोमवार
पूर्णिमा प्रारंभ: 5:30 (20 सितंबर)
पूर्णिमा समाप्त: 5:26 (21 सितंबर)
खास है भागवत पूर्णिमा
इस पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही इसी दिन उमा महेश्वर व्रत भी किया जाता है। इस पूर्णिमा से श्राद्ध प्रारंभ हो जाते हैं इसलिए इस दिन नदी आदि ने स्नान करने का विशेष महत्व है। लोग स्नान करने के बाद व्रत रखते हैं और भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं। जो लोग उमामाहेश्वर व्रत रखते हैं वह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करके उनके लिए व्रत रखते हैं। भगवान सत्यनारायण और शिव पार्वती भक्तों की हर एक मनोकामना को पूर्ण करके उन्हें सुखद जीवन देते हैं।
कैसे करें भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
सुबह-सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि आप किसी सरोवर या पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो ज्यादा बेहतर होगा।
घर में सत्यनारायण की पूजा करने से पहले साफ सफाई करके पूजा स्थल पर सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें।
नारायण को फल, फूल और तुलसी अर्पित करें और मूर्ति के सामने दीप जलाएं।
पूजन के समय परिवार के साथ सत्यनारायण की कथा सुने और भगवान सत्यनारायण की ओम नमो नारायण भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र से पूजा अर्चना करें।
पूजा समाप्त करने के बाद आरती करें और भगवान विष्णु को पंचामृत और चूरमे के प्रसाद का भोग लगाएं।
भोग लगाने के बाद यह प्रसाद भक्तों में बांट दें।
इस दिन व्रती को जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता जरूर करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन दान देने से दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की मिलती है।
पूर्णिमा के दिन दान देने का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन गरीबों में वस्त्र दान करें और माता की सेवा करें और गाय को आटे की लोई दें।
सत्यनारायण व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से सभी अटके हुए काम पूरे हो जाते हैं। मन में श्रद्धा, भक्ति और लगन के साथ जो भी आपने मनोकामना रखी है। भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखने से पूरी हो जाती है।
सत्यनारायण भगवान घर में सुख समृद्धि और धन-धान्य देते हैं ।मनुष्य का जीवन खुशियों के साथ देता है और हर काम में तरक्की मिलती है।
उमा महेश्वर व्रत
भाद्रपद पूर्णिमा पर ही उमा महेश्वर व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का भी बड़ा महत्व है।
इस व्रत को स्त्रियां अपनी संतान के लिए रखती हैं।
उमा महेश्वर व्रत की विधि
इस दिन स्त्रियां स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव पार्वती की मूर्ति स्थापित करके उनकी धूप दीप से पूजा-अर्चना करें। ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान केले चढ़ाएं और भगवान की आरती करें।
घर में पूजा समाप्त करने के बाद मंदिर जाएं और भगवान शिव का रुद्राभिषेक और बेलपत्र चढ़ाएं।
मंदिर में ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर व्रत को पूरा करें।
इस व्रत को करने से संतान बुद्धिमान और तेजस्वी होती है। साथ में घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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