बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
बृहदेश्वर मंदिर तंजौर, तमिलनाडु में स्थित है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी का माना जाता है जो ग्रेनाइट से बना हुआ मंदिर है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में यह पहला और एकमात्र मंदिर है जो ग्रेनाइट का बना हुआ है। बृहदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। बृहदेश्वर मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर एक राजा के नाम पर कहा जाता है। इस मंदिर की बहुत सी विशेषताएं हैं। जिसको जानने से आप जरूर एक बार इस मंदिर के दर्शन करने जाना चाहेंगे।
बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास
बृहदेश्वर मंदिर को 1010 ईस्वी में बनवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर कहा जाता है। अपने समय में बना यह मंदिर सभी को आकर्षित करता है। मंदिर को विश्व की विशालतम संरचनाओं में गिना जाता है। इसे 16वीं शताब्दी में एक बार फिर से निर्मित किया गया। इस मंदिर को ज्यामिती के नियम के आधार पर बनाया गया है, जो चोल वंश की संपत्ति, ताकत और कलात्मक विशेषता को दर्शाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों को 7 मील की दूरी से लाया गया था। इस विशाल मंदिर को बनाने के लिए लगभग 130,000 ग्रेनाइट का पत्थर मंगाया गया था। ग्रेनाइट को जोड़ने के लिए किसी भी तरह की चुने या सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। दरअसल, ग्रेनाइट को पजल्स सिस्टम से जोड़ा गया है। इस मंदिर को यूनोस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर
बृहदेश्वर मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर कहा जाता है क्योंकि यह 13 मंजिल का बना हुआ है। मंदिर की ऊंचाई 216 फुट और संभवत विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर है। ये लगभग 240.90 मीटर लंबा और 122 मीटर चौड़ा है।
मंदिर में स्थित विशालकाय शिवलिंग
भगवान शिव की पूजा के लिए यहां पर 13 फीट ऊंची शिवलिंग विराजित है। शिवलिंग के साथ एक विशाल पंचमुखी सर्प भी स्थित हैं। जो अपने फनों से शिवलिंग की रक्षा करते हैं। भोलेनाथ का विशालकाय रूप भक्तों को सुख प्रदान करता है।
बिना किसी नींव का बना मंदिर
यह मंदिर बिना किसी नींव के खड़ा किया गया है। दरअसल, इस रहस्य का आज तक किसी को नहीं पता चला कि यह मंदिर बिना नींव के कैसे बनाया गया। कहते हैं कि बिना नींव का बना बृहदेश्वर मंदिर भगवान शिव की कृपा के कारण ही अपनी जगह पर स्थिर खड़ा है।
सबसे विशालकाय नंदी
जहां भगवान शिव हो वहां उनकी सवारी नंदी जरूर होती है। आपने आज तक मंदिरों नंदी जी की छोटी ही प्रतिमा देखी होगी। लेकिन इस विशालकाय मंदिर में नंदी की प्रतिमा बहुत ही विशाल है। आश्चर्य की बात है कि नंदी की प्रतिमा एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई है। जो नंदी की दूसरी सबसे विशाल प्रतिमा है। यह 12 फुट लंबी, 12 फुट ऊंची और 12 फुट चौड़ी है। जिसका वजन 25 टन है और इस विजयनगर शासनकाल में बनाई गई थी। शिव जी के वाहन नंदी के पास प्रणाम करते हुए राजा का चित्र भी बनाया गया है।
मंदिर का गुंबद
एक और आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि इस मंदिर की विशाल गुंबद 88 टन के एक ही पत्थर से बनाई गई है। जिसकी परछाई कभी भी जमीन पर नहीं दिखाई देती है। इस गुबंद के ऊपर एक स्वर्ण कलश रखा भी हुआ है।
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