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धनतेरस पूजन 2021


Saturday, 20 March 2021
धनतेरस पूजन 2021

धनतेरस पूजन 2021

भारत में हर त्योहार का अपना एक अलग ही महत्व है लेकिन दिवाली का त्योहार ऐसा त्योहार है जो सबसे विशेष है। इस त्योहार को ज्यादा पसंद किया जाता है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस मनाई जाती है जिसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे।

 

धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को पूरे भारतवर्ष में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। हिंदू रीति रिवाज में इस दिन बर्तन या चांदी का सामान खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा करते हैं और उन्हें मनाते हैं ताकि हमेशा घर धन-धान्य से भरा रहे। धनतेरस सौभाग्य और शुभ लाभ लेकर आता है। आइए जानते हैं कि धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और 2021 में यह त्योहार किस तारीख को मनाया जाता है

 

 

धनतेरस 2021: 2 नवंबर, मंगलवार

 

धनतेरस मुहूर्त: 18:18 से 20:11 तक

 

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ, भगवान धनवंतरी, कुबेर और यमराज की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन बर्तन और अन्य सामान की खरीदारी करने का बड़ा महत्व है। जिससे बाजारों में रौनक छाई रहती है। लोग इसी दिन दीपावली पूजन के लिए भी खरीदारी करते हैं। मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति की खरीदारी की जाती है। धनवंतरी जी को मनाने के लिए यह दिन बड़ा ही शुभ है। माना जाता है कि कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को धनतेरस कहते हैं। चूंकि भगवान कलश लेकर आए इसलिए इस दिन बर्तन ही ज्यादा खरीदें जाते हैं।

 

धनतेरस की प्रथा

धनतेरस पर काम में तरक्की और उन्नति के लिए मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर का पूजन लोग बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं। परंपरा के मुताबिक इस दिन चांदी का बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इसके पीछे कारण है कि यह चंद्रमा का प्रतीक है। जो शीतलता को प्रदान करता है। चांदी के बर्तन खरीदने से घर में धन-धान्य में वृद्धि होती है और सुख-शांति का वास रहता है।

 

धनतेरस पर दीपदान का महत्व

धनतेरस की शाम को लोग दीपदान करते हुए घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाते हैं। इसके पीछे यह कारण है कि एक बार यमराज ने दूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु देते समय तुम्हें दया नहीं आती क्या?

 

इस पर एक दूत ने कहा कि यह तो हमारा कर्तव्य है। हम आपकी आज्ञा और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं परंतु जब हम यमराज ने दूसरों के मन में डर देखा तो उन्होंने दूतों के मन से डर खत्म कर दिया। जिसके बाद एक दूत ने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र के प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारे भी प्राण निकल गए थे लेकिन विधि के विधान के आगे हम कुछ कर नहीं सके। इस पर एक दूत ने यमराज से कहा कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय हो तो कृपा करके हमें बताइए। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमराज कहने लगे कि जो भी प्राणी धनतेरस की शाम को यमराज के नाम का दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखेगा और यमराज के नाम का व्रत करेगा। उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इस मान्यता के अनुसार, धनतेरस की शाम पर लोग अपने घर में यम देवता के नाम का दीपक जलाकर रखते हैं।

 

धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस  के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करें और पूजा स्थल को भी साफ करके सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और गंगा जल छिड़कर भगवान धन्वंतरी, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की प्रतिमा स्थापित करें।

 

भगवान की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उनके सामने देसी घी का दीपक जलाएं, धूप और अगरबत्ती से उनका पूजन करें।

 

माता लक्ष्मी को लाल फूल अर्पित करते हुए धन-धान्य का आशीर्वाद मांगे।

 

आपने जिस बर्तन को खरीदा है उसे भी माता लक्ष्मी के पास ही रख दें।

 

मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरी जी का पूजन बड़े विधि विधान के साथ में करें और मंत्रों का जाप करें।

 

इस दिन लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए।

 

धनतेरस की पूजा करने के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाएं।

 

उसके बाद घर के सभी सदस्य को प्रसाद बांट दें।

 

धनतेरस के दिन गरीबों की सहायता जरूर करनी चाहिए। उन्हें अन्न, वस्त्र और दक्षिणा आदि दान करें।

 

धन्वंतरी हैं देवताओं के चिकित्सक

 

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से  धन के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। भगवान की कृपा से सब कुछ स्वस्थ और सेहतमंद रहता है। भगवान धन्वंतरी को देवताओं के चिकित्सक कहा जाता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भी लिया है।

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