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माउंट आबू का दिलवाड़ा जैन मंदिर


Thursday, 18 March 2021
माउंट आबू का दिलवाड़ा जैन मंदिर

माउंट आबू का दिलवाड़ा जैन मंदिर

 

भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं और हर किसी को पूरे अधिकार के साथ रहने का हक है। यहां पर हर धर्म का सम्मान किया जाता है। भारत में धर्म की सुंदरता धार्मिक स्थानों पर देखने को मिलती है। सबसे प्राचीन धर्मों में शामिल जैन धर्म के लिए लोगों के विश्व भर में बड़े ही सुंदर मंदिर स्थापित है। जैन धर्म के भव्य मंदिरों में माउंट आबू का दिलवाड़ा जैन मंदिर आर्कषण का केंद्र है। जिसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं...

 

 

 

दिलवाड़ा जैन मंदिर

 

दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू के करीब अरावली पहाड़ियों के बीच बना हुआ है। ये माउंट आबू से ढाई किलोमीटर की दूरी पर है। दिलवाड़ा मंदिर जैनियों का सबसे सुंदर तीर्थ स्थान है। जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दिलवाड़ा मंदिर पांच बड़े मंदिरों का समूह है। जिनके नाम हैं...

 

1.     विमल वसाही मंदिर

 

2.     लूना वसाही मंदिर

 

3.     पित्तलहर मंदिर

 

4.     पार्श्वनाथ मंदिर

 

5.     महावीर स्वामी मंदिर

 

दिलवाड़ा जैन मंदिर सुंदर होने के साथ-साथ सबसे विचित्र भी है क्योंकि यहां पर एक साथ पांच-पांच मंदिरों के दर्शन करने को मिलते हैं। 

 

दिलवाड़ा मंदिर का इतिहास

 

दिलवाड़ा मंदिर को 11वीं-13वीं शताब्दी के बीच राजा वास्तुपाल और तेजपाल नाम के दो भाईयों ने बनवाया था। इतिहासकारों को ये भी मानना है कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश ने कराया था। इन पांचों मंदिर में सबसे पुराना मंदिर विमल वासाही मंदिर है जिसका निर्माण 1031 ई. हुआ था और ये मंदिर प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जी को सर्मपित है। जबकि लूना वासाही मंदिर बाईसवें तीर्थंकर  नेमानाथ को सर्मपण है और इसका निर्माण 1250 ई. में किया गया था। वहीं पित्तलहर मंदिर ऋषभदेव को सर्मपित है। पार्श्वनाथ मंदिर की इमारत तीन मंजिल की बनी हुई है। इस मंदिर का निर्माण 1459 में किया गया। जो 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान को सर्मपित किया गया है। महावीर स्वामी मंदिर का निर्माण 1582 में हुआ और ये मंदिर 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी को सर्मपित है।

 

 

 

मंदिर की अलौकिक रचना

 

इन मंदिरों की रचना बड़े ही सुंदर तरीके से की गई है। इन मंदिरों को संगमरमर के पत्थरों से बड़ी ही बारिकी के साथ बनाया गया है। जो भी मंदिर एक बार देख लेता है वो इसकी सुंदरता का कायम बन जाता है। इन सभी मंदिरों में कुल 48 स्तंभ हैं जिनमें महिलाओं की सुंदर आकृतियां बनी हुई है। मंदिर की छत गुबंद आकार की है। छत के बीचोबीच एक झूमर सुशोभित है। मंदिर की दिवारों की नक्काशी कमल देवता और अमर्त पैटर्न से की गई है।

 

 

 

मंदिर में आदिनाथ जी की अद्भुत मूर्ति

 

इस मंदिर में पहले तीर्थंकर आदिनाथ जी की मूर्ति बड़ी ही अद्भुत है। इस मूर्ति की आंखें असली हीरे की बनी हुई। जबकि गले में बहुमूस्य रत्नों का हार है। मंदिर तीर्थंकरों के साथ-साथ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी है।

 

 

 

मंदिर में प्रवेश का समय

 

ये जैन मंदिर जैन भक्तों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खोला जाता है। जबकि अन्य धर्म के लोगों को दर्शन के लिए केवल दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक ही जाने की इजाजत है। वैसे तो आप इस मंदिर में किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन अप्रैल और जून के महीने में ज्यादा गर्मी के कारण कम यात्री ही दर्शन के लिए जाते हैं।

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