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ईद उल अजहा/ बकरा ईद 2021


Saturday, 20 March 2021
ईद उल अजहा/ बकरा ईद 2021

ईद उल अजहा/ बकरा ईद 2021
इस्लाम धर्म में ईद को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साल में दो ईद आती है। एक ईद रमजान के बाद मनाई जाती है। जिसे ईद उल फितर या मीठी ईद कहा जाता है और एक ईद रमजान के लगभग 70 दिनों बाद मनाई जाती है। जिसे ईद उल अजहा या बकरीद के नाम से जाना जाता है। हम आपको बकरा ईद के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि साल 2021 में बकरा ईद कब मनाई जाएगी और इसके मनाने के पीछे क्या वजह है

बकरा ईद
तारीख: 20 जुलाई 2021
दिन: मंगलवार

20 जुलाई 2021 को ईद उल अजहा या बकरीद मनाई जाएगी। इस त्यौहार को इस्लाम धर्म में उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार दुनियाभर में प्रचलित है। बकरीद एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है कुर्बानी। दरअसल, बकरीद को मुस्लिम समुदाय में बकरे की कुर्बानी देने का प्रचलन है। हालांकि जरूरी नहीं है कि हर मुसलमान बकरीद की कुर्बानी देता है। कहा जाता है कि  बकरे की कुर्बानी अल्लाह को  भेंट के रूप में जाती है।  बकरीद के महीने में इस्लाम धर्म के लोग मक्का मदीना में हज यात्रा करने के लिए जाते हैं। मक्का मदीना सऊदी अरब में है। जहां पर इस्लाम धर्म के लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं और नमाज अदा करते हैं। इस दौरान अच्छी जिंदगी देने के लिए अल्लाह का शुक्रिया किया जाता है।

क्यों मनाई जाती है बकरीद
हर त्योहार को मनाएं जाने के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है। बकरीद को मनाने के पीछे भी एक कारण है। आपको बता दें,  ऐसा माना जाता है कि हजरत अब्राहिम जी अल्लाह को बड़े मानते थे। हमेशा अल्लाह का नाम पुकारते रहते थे। एक दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम जी का इम्तिहान लेने के लिए सपनों में प्रकट होकर इब्राहिम की सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी। इब्राहिम ने बिना सोचे समझे अल्लाह को अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने की मन ही मन में ठान ली। जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रिये था।

इब्राहिम जी ने अल्लाह की हुकूमत की फरमानी करते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने लगे लेकिन अल्लाह उनके बेटी की जगह एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। जिससे हजरत इब्राहिम जी प्रसन्न हुए कि उनका बेटा जीवित है। हजरत इब्राहिम जी की लगन और निष्ठा को देखते हुए अल्लाह बहुत प्रसन्न हुए। माना जाता है कि उसी दिन से मुस्लिम समुदाय में यह त्यौहार मनाया जाने लगा। इसे बकरीद या ईद उल अजहा कहा जाने लगा। इसे कुर्बानी का त्यौहार भी कहा जाता है जो हजरत इब्राहिम जी के बलिदान को याद करते हुए उनके सम्मान में मनाया जाने लगा।

ईद उल अजहा की महत्वपूर्ण बातें
ईद उल अजहा के दिन पालतू जानवर की बलि चढ़ाने की प्रथा है।

मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन खास दुआएं पढ़ते हैं। माना जाता है कि जो बलि देने से पहले दुआ पढ़ी जाती है तो जीवन में हमेशा सुख शांति रहती है।

बकरीद के दिन लोग अपने घर पर मेहमानों को न्योता देकर दावत कराते हैं और नए-नए वस्त्र पहन कर आपस में गले मिलते हैं।

मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन गरीबों में वस्त्र आदि दान करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि सभी सभी पर अल्लाह की रहमत बरसें।

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