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गायत्री मंत्र की महिमा का गुणगान


Friday, 19 March 2021
गायत्री मंत्र की महिमा का गुणगान

गायत्री मंत्र की महिमा का गुणगान
गायत्री मंत्र ऐसा मंत्र है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य से जुड़ा रहता है। इस मंत्र में मनुष्य द्वारा भगवान से जुड़ने की प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र हर हवन, जागरण, कीर्तन और मंगल कार्य में पढ़ा जाता है। गायत्री मंत्र को दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र माना गया है। जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिए ही है। इसे सभी मंत्रों में महामंत्र कहा गया है। आइए जानते हैं इस मंत्र की महिमा

गायत्री मंत्र
ओम भूर्भुव स्व तत्सवितुर्वरेंयं भर्गो देवस्य धीमहि।

धियो यो न प्रचोदयात्।।


अर्थ
उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, सर्वश्रेष्ठ तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें और परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति
गायत्री मंत्र का सर्वप्रथम ऋग्वेद में उद्धत हुआ। इसके ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सविता हैं।  माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या की थी। ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चार मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। प्रारंभ में गायत्री मंत्र सिर्फ देवताओं के लिए ही था लेकिन बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपने कठोर तप से गायत्री मंत्र को आम जनों तक पहुंचाया और सभी के कल्याण के लिए पुण्य कार्य किया।

गायत्री मंत्र माता गायत्री का है और माता गायत्री ब्रह्मा जी की दूसरी पत्नी है। माना जाता है कि गायत्री माता भी त्रिदेवियां की शक्तियों से बनी हुई है।

गायत्री मंत्र का प्रभाव
यह मंत्र सभी मंत्रों से ज्यादा प्रभावशाली है क्योंकि इसमें सृष्टिकर्ता परमात्मा की तेज को धारण करने की बात कही गई है ताकि परमात्मा कि तेज से हमारी बुद्धि सन्मार्ग और चलने के लिए प्रेरित हो।

गायत्री मंत्र के जाप करने से जीवन में उत्साह आता है। नकारात्मकता में वृद्धि होती है। हर परिस्थिति में परमात्मा साथ देने लगता है।

गायत्री मंत्र के जाप करने से मनुष्य का मन आध्यात्मिक कार्यों की ओर बढ़ता है और वह धार्मिक होने लगता है।

इस मंत्र के जाप से गायत्री माता की अति कृपा होती है और माता गायत्री मां सरस्वती का रूप है जिससे हमें ज्ञान बुद्धि और समृद्धि मिलती है।

मंत्र का प्रभाव इतना तेज है कि भविष्य में होने वाली घटनाएं सपने में दिखाई देने लगती हैं। इसके अलावा मनुष्य के आशीर्वाद देने की शक्तियां विकसित होने लगती हैं।

गायत्री मंत्र के प्रभाव से क्रोध शांत होता है। मंत्र के उच्चारण से रक्त का संचार सही तरह से होता है। इससे बीमारियों से भी राहत मिलती है और चेहरे पर रौनक आती है।

कैसे करें गायत्री मंत्र का जाप
गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए तीन समय बताए गए हैं जिसमें पहला समय सुबह का है। सुबह-सुबह सूर्योदय से पहले मंत्र का जाप शुरू करना चाहिए। सूर्य उदय के बाद तक मंत्र को जगते रहना चाहिए।

 

इस मंत्र का जाप दोपहर में भी किया जाता है और मंत्र को जपने का तीसरा समय सूर्यास्त से कुछ देर पहले यानी शाम को है। शाम को सूर्यास्त से पहले शुरू करके सूर्यास्त के बाद तक मंत्र का जाप करना चाहिए।

भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र का विशेष महत्व बताया गया है। जब भगवान शिव के मंदिर में जाएं तो इस गायत्री मंत्र को जरूर पढ़ें।

मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। 108 बार इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से घर सुख शांति का निवास होता है।

यदि मंदिर जाना संभव ना हो तो हर रोज घर में एक गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें। याद रहे कि शौच आदि से निवृत्त होकर सूर्योदय से पहले ही मंत्र का जाप करना फायदेमंद होता है।

जो गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, उनके आराध्य स्वयं भगवान शिव होते हैं और वह हमेशा अपने भक्तों का संरक्षण करते हैं।

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