प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

माँ ब्रह्मचारिणी - नवरात्र का दूसरा दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि - Astroonly.com


Sunday, 11 April 2021
brahmacharini

नवरात्रों में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी जी की पूजा की जाती है साधक इस दिन मां के चरणों में अपना ध्यान लगाते हैं। ब्रह्मा का तात्पर्य तपस्या से होता है और चारिणी यानी आचरण करने वाली। तप और तपस्या जैसा आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी जी बोला गया। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। 

मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और तप करने वाले लोगों को अनंत फल देने वाला होता है। इनकी उपासना से जीवन में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती हुई नजर आती है। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा के इस रूप की उपासना नवदुर्गा में दूसरे दिन की जाती है और साधक स्वाधिष्ठान चक्र को स्थिर करता हुआ नजर आता है। 

 

नवरात्र से संबंधित ज्योतिषीय उपाय जानने के लिये एस्ट्रोओनली ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें।

 

माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि 

 

देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें-

इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु

देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा

 

मां ब्रह्मचारिणी जी की पूजा विधि सामान्य तरीके से ही पूरी की जा सकती है। नवरात्रों के दूसरे दिन सुबह स्नान इत्यादि से जब आप पूरे हो जाए तो उसके बाद साफ वस्त्र पहन लें और आसन पर आकर बैठ जाए। तब मां ब्रह्मचारिणी जी की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करना चाहिए। मां को दूध, दही, मधु एवं चीनी से स्नान करायें। भोग लगाने से पहले यदि आप चाहें तो माता को स्नान करा सकते हैं। इसके बाद मां को भोग लगाएं उन्हें पिस्ते की मिठाई का भोग लगाया जाता है। फिर उन्हें पान, सुपारी, लॉन्ग अर्पित किए जाते हैं। मां के मंत्रों का जाप करें और आरती जरूर करनी चाहिए। सच्चे मन से मां की पूजा करने से जीवन में सभी तरीके की दुख और तकलीफ खत्म होती हुई नजर आती हैं।

 

4. मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ:

 

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥ 

 

5. मां ब्रह्मचारिणी का कवच

 

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp