कुंडली को देखकर इस बात का भी आकलन लगाया जा सकता है कि जातक का विवाह अपनी कास्ट या अपने धर्म से बाहर होगा या नहीं हो पाएगा? या फिर इस बात को ऐसा भी देख सकते हैं कि ऐसे कौन से व्यक्ति होते हैं जिनका प्रेम संबंध या फिर जिनका विवाह अंतर्जातीय या फिर दूसरे धर्म में होता हुआ नजर आता है।
कोई भी एस्ट्रोलॉजर यदि किसी जातक की व्यक्ति की कुंडली देखे तो उसको D1 और D9 कुंडली चार्ट का आकलन जरूर करना चाहिए और खासकर यदि हम व्यक्ति के विवाह की बात कर रहे हैं तो डी9 चार्ट जरूर देखना चाहिए। डी1 कुंडली चार्ट व्यक्ति की लाइफ को दर्शाता है और वहीं दूसरी तरफ डी 9 शादी और वैवाहिक जीवन को दर्शाती हुई नजर आती है। यदि थोड़ा ध्यान से और एकाग्र होकर इन दोनों कुंडली चार्ट का अध्ययन किया जाए तो इस बात का आकलन किया जा सकता है कि क्या जातक का विवाह अंतरजातीय या फिर दूसरे धर्म में होता हुआ नजर आएगा या फिर यह व्यक्ति अपने धर्म और अपनी ही जाति में विवाह करता हुआ नजर आएगा।
राहु और केतु इस तरीके के विवाह में बड़ी अहम भूमिका निभाते हुए नजर आते हैं। राहु और केतु यह दोनों ही ग्रह छाया ग्रह हैं और इन दोनों ग्रहों की वजह से ही व्यक्ति कल्पनाशीलता से घिरा हुआ और वास्तविकता से दूर होता हुआ नजर आता है। ऐसे सपने जो कि एक आम व्यक्ति नहीं देख पाता है, ऐसा व्यक्ति आसानी से देख लेते हैं जिनके ऊपर राहु और केतु का प्रभाव होता है।
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1. ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु के लिए ऐसा भी बोला गया है कि यह ना दिखने वाली एनर्जी होती है और यही एनर्जी बाद में व्यक्ति से शादी को लेकर भी कुछ अलग फैसले करवाती हुई नजर आती है। कुंडली का 7वा भाव वैवाहिक जीवन से संबंध रखता है ऐसे में अगर राहु 7th भाव से संबंध रख रहा है या फिर सातवें घर में बैठा है तो ऐसा जातक अंतर्जातीय या फिर दूसरे धर्म में शादी करता है।
2. राहु और सूर्य की कुंडली में युति सातवें भाव में बन रही है तो भी ऐसा व्यक्ति दूसरे धर्म या दूसरी जाति में शादी करता है।
3. मंगल और राहु भी यदि एक साथ युति बनाकर सातवें घर में बैठे हुए हैं या फिर 7th भाव से संबंध बन रहा है तो भी यह योग एक्टिव हो जाता है।
4. चंद्रमा और राहु की युति भी यदि सातवें घर में या इस घर से संबंधित है तो भी इस तरीके के समीकरण पैदा हो जाते हैं।
5. यहां पर एक बात और गौर करने वाली यह है कि यदि जीवन कुंडली डी 1 और D9 चार्ट दोनों ही जगह पर ऐसी युति बन रही है या अपने लग्न में भी इस तरीके की युति बनी हुई है तो भी ऐसा जातक Inter Caste या दूसरे धर्म में विवाह करता हुआ नजर आ सकता है।
6. सातवें घर का स्वामी यदि कुंडली में 12 घर में राहु के साथ उपस्थित है, युति बना रहा है तो भी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है कि ऐसा जातक अपने घरवालों की इच्छा के अलग दूसरी जाती या दूसरे धर्म में शादी कर सकता है।
7. राहु यदि कुंडली में पहले घर में सातवें घर में नौवें घर में हो या सातवे घर के स्वामी के साथ कहीं ना कहीं संबंध बना रहा है तो भी इंटर कास्ट शादी होती हुई नजर आ सकती है।
8. यहाँ एक बात अच्छी है कि अगर राहु का संबंध सातवें घर से है या सातवें घर के स्वामी के साथ है तो राहु की दशा और महादशा में मैरिज लाइफ खराब नहीं होती है।
9. इसके साथ साथ शुक्र और केतु की युति अगर के सातवें भाव में हो रही है या फिर से यह दोनों सातवें घर के स्वामी के साथ में संबंध बना रहे हैं तो लेट और देरी से शादी तो हो सकती है लेकिन उसमें inter-caste के दूसरे धर्म में शादी की संभावना बनती है।
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