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महाबोधि मंदिर


Friday, 19 March 2021
महाबोधि मंदिर

महाबोधि मंदिर:  इस मंदिर में गौतम बुद्ध ने किया था ज्ञान प्राप्त

भारत में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। हर किसी को अपनी स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है। भारत को आस्था का केंद्र भी माना जाता है क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा भगवान की पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म को मनाने लोगों के लिए यहां हजारों की संख्या में मंदिर है। उन्हीं मंदिर में एक बौद्ध धर्म के मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसका नाम महाबोधि मंदिर है। ये मंदिर भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित है। माना जाता है कि यहां पर भगवान बुद्ध से ज्ञान की प्राप्ति की थी।

महाबोधि मंदिर

महाबोधि बिहार के बोध गया जिले में स्थित है। यूनेस्को ने इस विश्व धरोहर घोषित किया हुआ है। यहां पर 6वीं शताब्दी में गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था।

मंदिर का इतिहास

महाबोधि के मंदिर का निर्माण पहली से दूसरी ईस्वी शताब्दी के दौरान कराया गया था। इस मंदिर की बनावट सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तूप से मिल जुलती है। महान सम्राट अशोक ने लगभग 260 ईसा पूर्व बिहार के बोधगया की यात्रा की और बोधि वृक्ष के पास एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया। ये वहीं बोधि वृक्ष था जहां गौतम बुद्ध बैठते थे। माना जाता है कि सम्राट द्वारा बनाए मंदिर के स्थान को बदल दिया गया था। 

महाबोधि मंदिर की संरचना

मंदिर ईंटों से बना हुआ है। जो 160 फुट ऊंचा है। मंदिर का क्षेत्रफल 4.8 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है। मुख्य मंदिर की दीवार की औसत ऊंचाई 11 मीटर है और इसका निर्माण भारतीय वास्तुकला के शास्त्रीय शैली में किया गया है। मंदिर सात मंजिला पिरामिड की आकृति का बना है। जो बेहद खूबसूरत और डिजाइनर है। इसकी अद्भुत सुंदरता को देखते हुए 2002 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल में शामिल किया था। फिलहाल मंदिर बिहार सरकार की संपत्ति है।

गौतम बुद्ध की भव्य मूर्ति

मंदिर में गौतम बुद्ध की भव्य मूर्ति बनी है। मूर्ति पद्मासन की मुद्रा में है। इस मूर्ति को देखने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं। मुख्य मंदिर के पीछे बुद्ध की लाल बलुए पत्थर की 7 फीट ऊंची एक मूर्ति बनी हुई है। ये मूर्ति विजरासन मुद्रा में है। मूर्ति के चारों ओर अद्भुत सुंदरता देखने को मिलती है। माना जाता है कि सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी में इसी स्थान पर हीरों से बना राजसिहांसन लगवाया था। जिसे पृथ्वी का नाभि केंद्र कहा गया था।

कैसे पहुंचे

यहां पर हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्गों से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग- महाबोधि मंदिर पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा गया में है। इंडिन गया से कलकत्ता और बैंकॉक के साप्ताहिक उड़ान संचालित करती है।

 

रेल मार्ग- नजदीकी रेलवे स्टेशन गया जंक्शन है। गया जंक्शन से मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी और ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है।

 

सड़क मार्ग- अलग-अलग जगहों से बोध गया तक जाने के लिए बसें उपलब्ध रहती हैं। गया, पटना, राजगीर, वाराणसी और कलकत्ता से बोध गया तक बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

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