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श्री कृष्ण जन्मभूमि, मंदिर


Friday, 19 March 2021
श्री कृष्ण जन्मभूमि, मंदिर

 

कहते हैं तो आस्था है तो बंद द्वार में भी रास्ता है। भारतीय को तो आस्था पर पूरा विश्वास है। यही कारण है कि हम लोग कभी भी किसी मुश्किल का सामना करने से पीछे नहीं हटते है। भारत आस्था का सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां पर बहुत-से देवताओं को माना जाता है और अदृश्य शक्ति की पूजा की जाती है। इसका कारण है कि बहुत-से देवताओं जन्म भूमि यहीं है जिस कारण उनके मंदिर की उसी जगह पर स्थापना की गई और उनकी पूजा पाठ की गई। हम आपको भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि के बारे में बता रहे हैं, जो मथुरा में है। भगवान श्री कृष्ण को भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। उनके जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण का जन्म ने यूपी के मथुरा शहर में बड़ी विचित्र तरीके से जन्म लिया था। इनका जन्म कारागार में हुआ। इनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव है मगर श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने इन्हें नंदगांव में नंद बाबा के पास छोड़ दिया था। दरअसल, श्री कृष्ण के मामा कंस के लिए आकाशवाणी हुई थी कि देवकी की संतान के हाथों ही उसकी मृत्यु होगी। जिससे उसने पहले ही देवकी के सात बच्चों को मार डाला था। कंस जानता था कि आठवीं संतार के हाथों मरण निश्चित है फिर भी वो कृष्ण मारना चाहता था इसलिए वासुदेव ने उन्हें पहले ही मां यशोदा और नंद बाबा पास उन्हें छोड़ दिया। यहीं कारण है कि श्री कृष्ण मां यशोदा के लाल कहलाते हैं।

 

श्री कृष्ण जन्मभूमि, मंदिर

कृष्ण ने बुराई को नष्ट करने और प्रेम को समझाने के लिए जन्म लिया था। कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह मंदिर 5000 साल पहले बनवाया गया था। कहा जाता है कि मंदिर को भगवान श्री कृष्ण के पोते ने बनवाया था। जिसे 1017 एडी में गज़नी महमूद ने नष्ट कर दिया था। जिसके बाद महाराजा विजयपाल देव के शासन में 1150 में एक बार फिर से मंदिर बनाया गया लेकिन 16 शताब्दी के आरंभ में ही सिकंदर लोदी ने इसे नष्ट करा दिया था। बाद में मंदिर जहांगीर के शासन में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने बनवाया था और औरंगजेब के शासन के दौरान इस मंदिर के पास में एक मस्जिद का निर्माण किया गया। अंतिम बार औरंगजेब ने इस मंदिर पर प्रहार करने का प्रयास किया लेकिन मदन मोहन मालवीय और जुगल किशोर बिरला में 1951 में ट्रस्ट बनाकर 1953 में मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 1982 में मंदिर का लोकार्पण हुआ और बाद में ट्रस्ट ने यहां पर विश्रामगृह, भागवत भवन और औषधालय भी बनवाया। हालांकि आज भी श्री कृष्ण भगवान का मंदिर विवादों से घिरा रहता है क्योंकि जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह और आधे हिस्से पर  मंदिर।

 

 

मथुरा मंदिर कैसे पहुंचे  

मथुरा जाने के लिए देशभर के कई शहरों से सीधी ट्रेन चलती है। यहां पर हेलीकॉप्टर से भी पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट आगरा का हवाई अड्डा है। आगरा से 60 किलोमीटर की दूरी पर मथुरा मंदिर है। वहां जाकर आप दर्शन कर सकते हैं। हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान से मथुरा के लिए सीधी बस भी चलती है। यहां पर श्रद्धालुओं के देखने के लिए एक नहीं बल्कि अनेक मंदिर है। मथुरा घूमने के लिए दो-तीन दिन भी कम है। यहां पर केवल मंदिर ही मंदिर है। मथुरा में लोग श्री कृष्ण के रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं।

 

मथुरा मंदिर खुलने का समय

ये मंदिर सोमवार से रविवार तक 7 दिन खुलता है और इसके खुलने का समय सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12 बजे तक है। जिसके बाद शाम में 4:00 से 9:30 बजे तक मंदिर खोला जाता है।

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